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लोकसभा चुनावः 12 सीटें BJP के लिए बनी चुनौती, आधा दर्जन विधायकों को चुनाव लड़ाने की चल रही तैयारी

By राजेंद्र पाराशर | Updated: January 14, 2019 11:35 IST

विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली हार के बाद अब राष्ट्रीय नेतृत्व प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर सक्रिय हो गया है. विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद एक दर्जन लोकसभा सीटें भाजपा के लिए चुनौती बनती नजर आ रही है, जिसे लेकर भाजपा जमावट में जुट गई है. 

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मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा में कई समीकरण बनते-बिगड़ते नजर आ रहे हैं. एक दर्जन सीटों पर भाजपा को मिल रही चुनौती को देख भाजपा अब आधा दर्जन विधायकों को मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी चुनाव लड़ाने का मन बनाया है. भाजपा उन्हें विदिशा या फिर छिंदवाड़ा से मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है.

विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली हार के बाद अब राष्ट्रीय नेतृत्व प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर सक्रिय हो गया है. विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद एक दर्जन लोकसभा सीटें भाजपा के लिए चुनौती बनती नजर आ रही है, जिसे लेकर भाजपा जमावट में जुट गई है. 

भाजपा के लिए गुना, रतलाम-झाबुआ और छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्रों के अलावा विदिशा, खजुराहो, देवास, गुना, राजगढ़, रीवा, सीधी, शहडोल, सागर भोपाल और ग्वालियर संसदीय क्षेत्रों में प्रत्याशी के चेहरे कमजोर नजर आ रहे हैं. एट्रोसिटी एक्ट और उत्तरप्रदेश में सपा एवं बसपा के हुए गठजोड़ के बाद एक बार फिर भाजपा के लिए ग्वालियर-चंबल अंचल के अलावा विंध्य और बुंदेलखंड अंचल चुनौती बना है. 

भाजपा को विधानसभा चुनाव में ग्वालियर-चंबल अंचल में खासा नुकसान भी उठाना पड़ा थ. इस अंचल में भाजपा को मिली हार के बाद अब इस क्षेत्र के संसदीय क्षेत्रों में भाजपा ऐसे चेहरों की तलाश कर रही है, जो जीताऊ चेहरे हों. यहां तक की भाजपा में केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की नजरें भी अब ग्वालियर के बजाय भोपाल पर टिक गई है. 

भोपाल संसदीय क्षेत्र भाजपा का गढ़ रहा है. यहां से वर्तमान सांसद आलोक संजर के टिकट कटने की संभावना जताई जा रही है. इस सीट पर तोमर के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम तेजी से सामने आया है. 

मगर चौहान विदिशा से चुनाव लड़ना पसंद करेंगे. वहीं कुछ नेता चौहान को छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र से मैदान में उतारना चाह रहे हैं. भाजपा नेताओं का मानना है कि अगर कमलनाथ विधानसभा चुनाव लड़े तो वे अपने पुत्र नकुलनाथ को यहां से प्रत्याशी बनवा सकते हैं. इस लिहाज से भाजपा इस सीट को और भी गंभीरता से ले रही है.

आधा दर्जन विधायकों को उतार सकते हैं मैदान में

भाजपा ने विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद राज्य में मिली 109 सीटों पर विजय के बाद यह फैसला लिया था कि किसी भी विधायक को चुनाव नहीं लड़वाया जाएगा. मगर ऐसा मना जा रहा है कि अब भाजपा फिर से विधायकों पर दाव लगाने का प्रयास कर रही है. माना जा रहा है कि अगर नरेन्द्र सिंह तोमर सीट बदलने में सफल रहे तो ग्वालियर से भाजपा के लिए जीताऊ प्रत्याशी सिर्फ शिवपुरी की विधायक यशोधरा राजे सिंधिया ही रहेंगी. ग्वालियर के अलावा खजुराहो से भाजपा विधायक नागेन्द्र सिंह, रीवा से राजेन्द्र शुक्ल, बैतूल से विजय शाह को मैदान में उतारने का विचार किया जा रहा है. वहीं राघवगढ़ से जीते संजय पाठक को भी भाजपा चाहती है कि उन्हें लोकसभा का चुनाव लड़ाया जाए.

झा और गहलोत के नाम पर भी विचार

राज्यसभा सांसद थावरचंद गहलोत और प्रभात झा के नाम भी लोकसभा चुनाव में मैदान में उतारने के लिए सामने आए हैं. राष्ट्रीय संगठन चाहता है कि प्रभात झा और केन्द्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत को भी मैदान में उतारा जाए, हालांकि दोनों ही नेता अभी चुनाव लड़ने का विचार नहीं कर पाए हैं, दोनों ही राज्यसभा सांसद हैं. अगर दोनों ने चुनाव नहीं लड़ने का अपना फैसला संगठन के सामने रखा और संगठन माना तो उनके स्थान पर दूसरे नाम पर विचार किया जाएगा. वैसे संगठन का मत है कि झा को ग्वालियर और गहलोत को देवास से चुनाव लड़ाया जाए.

टॅग्स :लोकसभा चुनावमध्य प्रदेशभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
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