लोकसभा चुनावः भुवनेश्वर सीट पर ‘पुआ’ बनाम ‘बोहू’ में जंग, कौन जीतेगा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 22, 2019 08:44 PM2019-04-22T20:44:40+5:302019-04-22T20:44:40+5:30
ओडिशा की भुवनेश्वर लोकसभा सीट पर मुख्य चुनावी मुकाबला दो पूर्व अधिकारियों के बीच है। इनमें से एक को ओडिया भाषा में ‘पुआ’ यानी बेटा और दूसरे को ‘बोहू’ यानी बहू कहा जा रहा है।
इनमें ‘पुआ’ हैं बीजू जनता दल के उम्मीदवार अरुप पटनायक और ‘बोहू’ हैं भाजपा की प्रत्याशी अपराजिता सारंगी। इनमें एक साझी बात यह है कि दोनों ने बतौर सरकारी अधिकारी एक लंबा कार्यकाल बिताया है।
ओडिशा के ‘पुत्र’ पटनायक मुंबई पुलिस प्रमुख जैसे चर्चित पद पर रह चुके हैं और उनका अधिकांश जीवन महाराष्ट्र में बीता है। वहीं, ओडिशा की ‘बोहू’ सारंगी ने 19 साल तक ओडिशा में अपनी सेवाएं दी हैं।
उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए छह महीने पहले भारतीय प्रशासनिक सेवा से त्यागपत्र दे दिया था। यहां की राजनीति की नब्ज पकड़ने वाले मानते हैं कि इन दो पूर्व अधिकारियों के बीच ही चुनावी हार-जीत का फैसला होगा। कांग्रेस ने भुवनेश्वर सीट माकपा को दी है और उसने यहां से पुराने कम्युनिस्ट जनार्दन पति पर दांव खेला है।
कुल 14 उम्मीदवार मैदान, कौन जीतेगा
इन तीनों के अलावा 11 और उम्मीदवार भी चुनावी सरगम में अपना सुर लगा रहे हैं। वामपंथी राजनीति के दिग्गज शिवराज पटनायक इस सीट से 1989 और 1991 में अपनी जीत का परचम फहरा चुके हैं। यह सीट फिलहाल बीजद के प्रसन्ना पटसानी के पास है।
कठोर प्रशासक की छवि वाली और बिहार में जन्मीं सारंगी की शादी आईएएस अधिकारी संतोष सारंगी से हुई। उन्होंने भुवनेश्वर की निगमायुक्त और राज्य की स्कूल एवं जन शिक्षा विभाग की सचिव के रूप में काफी लोकप्रियता हासिल की थी।
पटनायक के पक्ष में दो बातें हैं-पहली यह कि उन्होंने यहां जबर्दस्त चुनाव प्रचार चलाया है और दूसरी यह कि उन्हें मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की साफ सुथरी छवि और लोकप्रियता का भी सहारा है। वामपंथी दल के प्रत्याशी जर्नादन पति झुग्गी झोंपड़ियों में रहने वालों में बहुत लोकप्रिय हैं और बेगुनिया व जतनी विधानसभा सीट वाले क्षेत्र में उनकी गहरी पकड़ है।
उनका कहना है कि वह मोदी सरकार की ‘गरीब विरोधी’ नीतियों, नोटबंदी और जीएसटी जैसे कदमों को लोगों के सामने ला रहे हैं। सारंगी कहती हैं कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित होने के बाद नौकरी छोड़कर राजनीति में कूदने का फैसला किया। इसके अलावा उन्हें अपने काम और लोगों के साथ संपर्क पर भी भरोसा है। भुवनेश्वर लोकसभा सीट पर लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में 23 अप्रैल को वोट डाले जायेंगे।