यहां आधा दर्जन BJP नेताओं का राजनीतिक भविष्य लगा दांव पर, कांग्रेस दे रही कड़ी टक्कर

By राजेंद्र पाराशर | Published: April 29, 2019 07:56 AM2019-04-29T07:56:59+5:302019-04-29T07:56:59+5:30

लोकसभा चुनावः मध्यप्रदेश में इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से ज्यादा भाजपा में बगावती सुर दिखाई दे रहे हैं. इसके चलते भाजपा के करीब आधा दर्जन नेताओं का राजनीतिक भविष्य दांव पर लगा हुआ है.

lok sabha election: madhya pradesh big BJP leaders political career congress bjp fight | यहां आधा दर्जन BJP नेताओं का राजनीतिक भविष्य लगा दांव पर, कांग्रेस दे रही कड़ी टक्कर

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Highlights केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर जो इस बार ग्वालियर सीट छोड़कर मुरैना से चुनाव लड़ रहे हैं. यहां पर बसपा ने उन्हें त्रिकोणीय मुकाबले में उलझा दिया है.  पूर्व सांसद अशोक अर्गल और उकने समर्थक अब तक नाराज चल रहे हैं. तोमर के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा भरा हो गया है. मतदान के चंद दिनों पहले धीरज पटेरिया के भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने से उनके लिए परेशानी खड़ी हुई है. साथ ही इस बार कांग्रेस प्रत्याशी उन्हें कड़ी टक्कर भी देते नजर आ रहे हैं.

मध्यप्रदेश के लोकसभा चुनाव में इस बार आधा दर्जन भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का राजनीतिक भविष्य दांव पर लगा है. इन नेताओं को जीत के लिए मशक्कत तो करनी पड़ रही है, साथ ही अपने जो रूठे हैं, उन्हें वे चाह कर भी मना नहीं पा रहे हैं. उनकी जीत-हार अपनों के भरोसे ही है.

मध्यप्रदेश में इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से ज्यादा भाजपा में बगावती सुर दिखाई दे रहे हैं. इसके चलते भाजपा के करीब आधा दर्जन नेताओं का राजनीतिक भविष्य दांव पर लगा हुआ है. केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर जो इस बार ग्वालियर सीट छोड़कर मुरैना से चुनाव लड़ रहे हैं. यहां पर बसपा ने उन्हें त्रिकोणीय मुकाबले में उलझा दिया है. 

इसके अलावा पूर्व सांसद अशोक अर्गल और उकने समर्थक अब तक नाराज चल रहे हैं. तोमर के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा भरा हो गया है. तोमर के अलावा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह भी इस परेशानी से उलझे हैं. 

मतदान के चंद दिनों पहले धीरज पटेरिया के भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने से उनके लिए परेशानी खड़ी हुई है. साथ ही इस बार कांग्रेस प्रत्याशी उन्हें कड़ी टक्कर भी देते नजर आ रहे हैं. विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद अगर प्रदेश में भाजपा का जीत का समीकरण गड़बड़या तो उनके लिए भी यह चुनाव परेशानी पैदा करने वाला साबित होगा.

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद वे खण्डवा संसदीय क्षेत्र से टिकट पाने में तो सफल हो गए, मगर चौहान के लिए अपने ही मुसीबत खड़ी कर रहे हैं. अगर इस बार चौहान की राह मुश्किल हुई तो भविष्य में उनके क्षेत्र में उनके लिए कई बाधाएं पैदा होंगी. 

वहीं पूर्व केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते आदिवासी नेता के रुप में भाजपा में उभरे हैं, वे मंडला से फिर एक बार मैदान में हैं. यहां पर इस बार कांग्रेस ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के कमल मरावी को कांग्रेस में शामिल कर कुलस्ते की चिंता को बढ़ा दिया है. कुलस्ते इस बार अकेले ही मैदान में नजर आए. उनके पक्ष में सभाएं लेने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तो पहुंचे, मगर केन्द्रीय नेताओं ने दूरी सी बनाए रखी, जिसके चलते वे खुद परेशान होते रहे. कुलस्ते के लिए भी यह चुनाव अहम बन गया हैं.

संघ से टिकट पाकर खजुराहो से मैदान में उतरे बी.डी.शर्मा के लिए भी भाजपा के नेता चिंता खड़ी कर रहे हैं. वे संघ के कहने पर टिकट तो पा गए हैं, मगर जीत न होने पर उनके लिए भी भाजपा में वर्तमान जैसा स्थान बनाए रखना मुश्किल नजर आ रहा है. भाजपा संगठन के कई पदाधिकारी भी संघ के इस फैसले से खुश नहीं है. 

इसी तरह संघ के द्वारा भोपाल से मैदान में उतारी गई प्रज्ञा सिंह ठाकुर के लिए यह चुनाव राजनीतिक जीवन का अहम मोड़ है. अगर वे जीतती है, तो भाजपा में उमा भारती के बाद वे दूसरी साध्वी होंगी जो भाजपा में अपना वजूद बनाने में सफल रहे हैं. अगर यहां परिणाम उलट हुआ तो वे फिर से हासिए पर जा सकती है.

Web Title: lok sabha election: madhya pradesh big BJP leaders political career congress bjp fight



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