RSS की नसीहत के बाद BJP नेता और कार्यकर्ता हुए एक्टिव, लेकिन पार्टी गढ़ों को बचाने में छूट रहे पसीने

By राजेंद्र पाराशर | Published: May 10, 2019 09:08 AM2019-05-10T09:08:24+5:302019-05-10T09:08:24+5:30

मध्यप्रदेश में दो चरणों में 13 संसदीय क्षेत्रों के लिए मतदान हो चुके हैं, 16 पर 12 एवं 19 मई को मतदान होना है. 12 मई को होने वाले मतदान से पहले भाजपा के लिए संगठन द्वारा कराए आंतरिक सर्वे ने चिंता बढ़ा दी है.

lok sabha election: bjp leaders active after rss gives feedback on high profile seats in madhya pradesh | RSS की नसीहत के बाद BJP नेता और कार्यकर्ता हुए एक्टिव, लेकिन पार्टी गढ़ों को बचाने में छूट रहे पसीने

फाइल फोटो

Highlightsसर्वे के मुताबिक शेष 16 संसदीय क्षेत्रों में से 14 संसदीय क्षेत्रों में भाजपा कब्जा है. दो सीटे गुना और झाबुआ-रतलाम में कांग्रेस की झोली हैं.सर्वे के बाद भाजपा संगठन को संघ ने भी नसीहत दे डाली. संघ की नाराजगी की वजह अधिकांश वे सीटें कमजोर बताई जा रही है, जहां पर संघ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. भाजपा के लिए सबसे बड़ी मुसीबत यह भी है कि दो चरणों का मतदान हो गया, मगर अब तक वरिष्ठ नेताओं में तालमेल नजर नहीं आया है.

मध्यप्रदेश में दो चरणों में हुए मतदान के बाद शेष 16 संसदीय क्षेत्रों के लिए होने वाले मतदान से पहले भाजपा के आंतरिक सर्वे ने नेताओं को चिंता में डाल दिया है. इस सर्वे में अधिकांश सीटों पर भाजपा को प्रत्याशी चयन के चलते नाराजगी महंगी पड़ रही है. यहां पर भाजपा को नुकसान होने की संभावना सर्वे में जताई है, ये सभी संसदीय क्षेत्र भाजपा के गढ़ रहे हैं.

मध्यप्रदेश में दो चरणों में 13 संसदीय क्षेत्रों के लिए मतदान हो चुके हैं, 16 पर 12 एवं 19 मई को मतदान होना है. 12 मई को होने वाले मतदान से पहले भाजपा के लिए संगठन द्वारा कराए आंतरिक सर्वे ने चिंता बढ़ा दी है. सर्वे के मुताबिक शेष 16 संसदीय क्षेत्रों में से 14 संसदीय क्षेत्रों में भाजपा कब्जा है. दो सीटे गुना और झाबुआ-रतलाम में कांग्रेस की झोली हैं. भाजपा को इन 14 संसदीय क्षेत्रों में से 8 से 10 सीटों पर सर्वे में नुकसान का आकलन किया गया है. इस सर्वे के बाद संगठन ने पदाधिकारियों की बैठकें तेज की और इन सीटों पर ज्यादा से ज्यादा फोकस करने की रणनीति बनाई है.

सर्वे के बाद भाजपा संगठन को संघ ने भी नसीहत दे डाली. संघ की नाराजगी की वजह अधिकांश वे सीटें कमजोर बताई जा रही है, जहां पर संघ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. राजगढ़, ग्वालियर, मंदसौर और भोपाल संसदीय सीटों पर तो संघ के अपने प्रत्याशी मैदान में हैं. 

इन सभी स्थानों पर प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया के बाद से स्थानीय नेता और कार्यकर्ता मैदान से हट से गए हैं. इसे लेकर संघ ने एक बार फिर नाराजगी जताई. संघ के स्वयंसेवक तो सक्रियता दिखा रहे हैं, मगर अधिकांश सीटों पर भाजपा कार्यकर्ताओं का उत्साह खत्म सा नजर आ रहा था. इसे लेकर संघ ने जब भाजपा पदाधिकारियों पर नाराजगी दिखाई तो कुछ स्थानों पर माहौल बदलता नजर आया. भोपाल में दो दिनों से स्थिति में सुधार आया और विधायकों ने मैदान में कार्यकर्ताओं को उतारा. हालांकि अभी भी कार्यकर्ता वैसे काम करते नजर नहीं आ रहे हैं, जिस तरह विधानसभा चुनाव में दिखाई देते रहे हैं.

वरिष्ठ नेताओं में तालमेल का अभाव

भाजपा के लिए सबसे बड़ी मुसीबत यह भी है कि दो चरणों का मतदान हो गया, मगर अब तक वरिष्ठ नेताओं में तालमेल नजर नहीं आया है. खुद प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह के संसदीय क्षेत्र जबलपुर में 29 अप्रैल को मतदान हो गया था, मगर वे भी दो दिन से ही प्रदेश में सक्रियता दिखा रह हैं. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अकेले ही मैदान में नजर आ रहे थे. वे सुबह भाजपा कार्यालय पहुंचकर पहले बैठकें करते फिर सभाओं के लिए मोर्चा संभालते. वहीं नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव भी अपने क्षेत्र सागर तक ही सीमित नजर आ रहे हैं. सत्ता में रहते हुए जिस तरह से भाजपा संगठन में तालमेल दिखाई देता था, वह तालमेल इस बार लोकसभा चुनाव में नहीं दिखाई दे रहा है,जिसके चलते कार्यकर्ता भी निराश हुआ है.

Web Title: lok sabha election: bjp leaders active after rss gives feedback on high profile seats in madhya pradesh



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