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लोकसभा चुनाव 2019: लखनऊ में राजनाथ सिंह के खिलाफ पूनम सिन्हा को उतारने के पीछे क्या कारण है?

By विकास कुमार | Updated: April 16, 2019 18:21 IST

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, लखनऊ लोकसभा सीट पर कायस्थ वोटरों की संख्या 4 लाख के आसपास है. वहीं सिन्धी वोट भी 1 लाख 30 हजार है. पूनम सिन्हा भी सिन्धी हैं. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के इस सीट से जुड़े होने के कारण लखनऊ के वोटरों का बीजेपी के प्रति एक भावनात्मक जुड़ाव भी रहा है.

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ठळक मुद्देलखनऊ सीट 1991 से ही बीजेपी के पास है.राजनाथ सिंह को 2014 में 5 लाख 61 हजार वोट मिले थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में राजनाथ सिंह को 54.27 फीसदी वोट मिले थे.

शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा को लेकर चल रहे कयासों पर विराम लग गया है. आज डिंपल यादव की मौजूदगी में उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया. देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित किया है और उम्मीद जताई जा रही है कि कांग्रेस भी अपना समर्थन उन्हें देगी, क्योंकि हाल ही में शत्रुघ्न सिन्हा ने कांग्रेस ज्वाइन किया है और पटना साहिब से केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के खिलाफ पार्टी के उम्मीदवार भी हैं. 

लखनऊ लोकसभा सीट परंपरागत रूप से बीजेपी का गढ़ रहा है. लेकिन विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में पूनम सिन्हा की दावेदारी भी मजबूत दिख रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव में लखनऊ सीट पर कांग्रेस की प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी को 2 लाख 88 हजार वोट मिले थे. वहीं समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार और अखिलेश यादव के करीबी अखिलेश मिश्रा को 56 हजार वोट मिले थे. 

पूनम सिन्हा सिन्धी हैं 

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, लखनऊ लोकसभा सीट पर कायस्थ वोटरों की संख्या 4 लाख के आसपास है. वहीं सिन्धी वोट भी 1 लाख 30 हजार है. पूनम सिन्हा भी सिन्धी हैं. ऐसे में उनकी उम्मीदवारी मजबूत मानी जा रही है.  

2014 के लोकसभा चुनाव में राजनाथ सिंह को 54.27 फीसदी वोट मिले थे तो वहीं कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी 27.89 फीसदी वोट के साथ दूसरे स्थान पर थीं. रीता बहुगुणा जोशी अब भाजपा में शामिल हो चुकी हैं और प्रयागराज से चुनाव मैदान में हैं. 

शिया मुस्लिमों का साथ 

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के इस सीट से जुड़े होने के कारण लखनऊ के वोटरों का बीजेपी के प्रति एक भावनात्मक जुड़ाव भी रहा है. इस सीट पर मुस्लिम वोटरों की संख्या साढ़े तीन लाख है. मुस्लिमों को बीजेपी का वोटबैंक कभी नहीं माना गया है लेकिन लखनऊ में यह राजनीतिक धारणा हमेशा से कमजोर रही है. शिया मुस्लिमों की बड़ी आबादी होने के कारण बीजेपी को हमेशा मुस्लिम समुदाय का साथ मिला है. 

राजनाथ सिंह यूपी में बीजेपी के सबसे मजबूत नेता माने जाते हैं. ब्राह्मण, ठाकुर और वैश्य समीकरण भी उनके साथ है. ऐसे में उनकी दावेदारी अभी भी मजबूत दिख रही है. लेकिन एक कड़वा सत्य ये भी है कि योगी आदित्यनाथ पर लग रहे ठाकुरवाद के आरोप के कारण ब्राह्मण समुदाय नाराज बताया जा रह है. 

लखनऊ सीट 1991 से ही बीजेपी के पास है. इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पांच बार सांसद चुने गए. 2009 में लाल जी टंडन ने इस सीट पर जीत दर्ज की लेकिन 2014 में उन्होंने यह सीट राजनाथ सिंह के लिए खाली कर दी. राजनाथ सिंह को 2014 में 5 लाख 61 हजार वोट मिले थे. 

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