लोकसभा चुनावः अब पूर्वांचल में दंगल, 27 सीटों पर सभी दलों की निगाहें, भाजपा, कांग्रेस और सपा-बसपा गठबंधन में जंग
By सतीश कुमार सिंह | Published: May 10, 2019 03:25 PM2019-05-10T15:25:22+5:302019-05-10T15:25:22+5:30
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा-अपना दल गठबंधन ने 27 में से 26 सीट पर कब्जा किया था। एक सीट यानी आजमगढ़ पर सपा संरक्षक और पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव जीते थे। इस बार भी भाजपा-अपना दल में गठबंधन है। कांग्रेस अकेले मैदान में है। बसपा 16 सीट और सपा 11 सीट पर चुनावी मैदान में है।
लोकसभा चुनाव अंतिम दौर में है। अब केवल दो चरण के मतदान बाकी है। 543 लोकसभा सीट में 424 सीट पर मतदान संपंन्न हो चुका है। अब केवल 118 सीट पर मतदान बाकी है। इनमें से उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल सभी दलों के लिए महत्वपूर्ण है। यहां पर लोकसभा की 27 सीट है।
पूर्वांचल लोकसभा चुनाव 2019 में कुरुक्षेत्र बन गया है। पूर्वांचल के वाराणसी सीट से देश के प्रधानमंत्री और भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र मोदी चुनाव लड़ रहे हैं। छठे और 7वें चरण के चुनावी जंग में प्रमुख चुनावी महारथी होंगे, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरखपुर के पूर्व सांसद योगी आदित्यनाथ, आजमगढ़ से चुनाव लड़ रहे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा प्रमुख मायावती, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी हैं।
2014 में भाजपा गठबंधन ने 27 में से 26 पर किया कब्जा
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा-अपना दल गठबंधन ने 27 में से 26 सीट पर कब्जा किया था। एक सीट यानी आजमगढ़ पर सपा संरक्षक और पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव जीते थे। इस बार भी भाजपा-अपना दल में गठबंधन है। कांग्रेस अकेले मैदान में है। बसपा 16 सीट पर और सपा 11 सीट पर चुनावी मैदान में है। यहां पर 12 और 19 मई को मतदान है।
चुनाव प्रचार के दौरान नेता एक-दूसरे पर जुबानी तीर छोड़ रहे हैं। पूर्वांचल में सबसे महत्वपूर्ण सीट वाराणसी, गोरखपुर और आजमगढ़ है। उत्तर प्रदेश में अब सियासी रणभूमि का मैदान पूर्वांचल बन गया है। अगले दोनों चरण की लड़ाई केंद्र की सत्ता का भविष्य तय करेगी।
ऐसे में बीजेपी, कांग्रेस और सपा-बसपा गठबंधन ने पूरी ताकत लगाए हुए हैं। सत्ताधारी बीजेपी अपना किला बचाने में जुटी है तो कांग्रेस नए राजनीतिक समीकरण के जरिए पूर्वांचल में दमदार वापसी की कोशिश में है, जबकि सपा-बसपा गठबंधन के सामने अपने वोटों के ट्रांसफर की बड़ी चुनौती है, जिसके चलते अखिलेश यादव और मायावती ने दोनों नेताओं ने नई रणनीति बनाई है।
पूर्वांचल में 27 लोकसभा सीट
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीट है। अकेले पूर्वांचल में 27 सीट है। सभी दलों की नजर यहां है। पूर्वांचल में दो चरण में मतदान होंगे। 12 मई को सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, फूलपुर, इलाहाबाद, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संतकबीर नगर, लालगंज, आजमगढ़, जौनपुर, मछलीशहर और भदोही में वोट पड़ेंगे। 19 मई को महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर, रॉबर्ट्सगंज में मतदान होगा।
पूर्वांचल का असर बिहार में भी
पूर्वांचल की सीमा बिहार से लगती है। 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आए थे और उसका असर भी दिखाई पड़ा। बिहार की 8 सीटों आरा, बक्सर, सासाराम, काराकाट, जहानाबाद, सारण, गोपालगंज और सीवान पर भी यहां का असर पड़ता है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, यूपी भाजपा अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय मैदान में
यूपी ही नहीं, दूसरे प्रदेशों के नेताओं ने भी पूर्वांचल में डेरा डाल दिया है। पूर्वांचल में वाराणसी से पीएम नरेंद्र मोदी, आजमगढ़ से अखिलेश यादव, चंदौली से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, गाजीपुर से केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा समेत कई प्रमुख नेताओं का चुनाव आखिरी चरणों में है।
सीएम योगी आदित्यनाथ व डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का क्षेत्र होने के नाते गोरखपुर व फूलपुर लोकसभा सीटें भाजपा के लिए खास हैं। सबसे ज्यादा नेताओं की आवक वाराणसी व आजमगढ़ में है। दोनों जिलों में अधिकतर होटल व रिसॉर्ट बुक हो चुके हैं।
आजमगढ़ में 12 तो वाराणसी में आखिरी चरण में 19 मई को वोट पड़ेंगे। देश की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर जाता है और यूपी को जीतने के लिए पूर्वांचल को जीतना जरूरी है। इसी फॉर्मूले से 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में यूपी में सबसे ज्यादा सीटें हासिल करने वाली बीजेपी अब 2019 का चुनाव जीतने के लिए पूर्वांचल पर फोकस कर रही है।