रतलाम-झाबुआ सीटः विधानसभा चुनाव में बेटे को हराया, लोकसभा में पिता से मुकाबला, डामोर-भूरिया में जंग
By सतीश कुमार सिंह | Published: May 16, 2019 02:39 PM2019-05-16T14:39:57+5:302019-05-16T14:39:57+5:30
राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र की सीमाओं से लगी पश्चिम मध्य प्रदेश की आदिवासी बहुल रतलाम- झाबुआ सीट पर 19 मई को मतदान होना है। यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी चुनावी सभा कर चुके हैं।
पश्चिम मध्य प्रदेश की आदिवासी बहुल, आरक्षित रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट पर रोचक मुकाबला है, जहां इंजीनियर से नेता बने भाजपा के विधायक गुमानसिंह डामोर, पांच दफा के सांसद, पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया को चुनौती दे रहे हैं।
लोक स्वास्थ्य विभाग के मुख्य अभियंता पद से सेवानिवृत्त होने के बाद राजनीति में आए डामोर नवंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में झाबुआ विधानसभा सीट पर, कांग्रेस के सांसद कांतिलाल भूरिया के पुत्र डॉ विक्रांत भूरिया को 10,400 से अधिक मतों से परास्त कर चुके हैं।
विधानसभा में कांतिलाल भूरिया के पुत्र को हारा चुके हैं डामोर
पांच माह बाद ही डामोर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के मौजूदा सांसद कांतिलाल भूरिया को चुनौती दे रहे हैं। सीनियर भूरिया इस क्षेत्र से 1998 से सांसद है और केवल एक दफा 2014 में (मोदी लहर) में भाजपा उम्मीदवार दिलीप सिंह भूरिया से पराजित हुए थे।
दिलीप सिंह भूरिया पहले कांग्रेस में थे, लेकिन बाद में आदिवासी मुख्यमंत्री के मुद्दे पर मतभेद के चलते कांग्रेस से अलग होकर भाजपा में शामिल हो गए थे। दिलीप सिंह भूरिया के निधन के बाद इस सीट पर 2015 में हुए उपचुनाव में कांतिलाल भूरिया विजयी हुए थे।
कांतिलाल भूरिया ने दिलीप सिंह भूरिया की पुत्री और भाजपा उम्मीदवार निर्मला भूरिया को 88,000 से अधिक मतों से पराजित किया था। दिलीप सिंह भूरिया कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर झाबुआ लोकसभा सीट पर 1980 से 1996 तक हुए चुनावों में लगातार विजयी हुए।
आदिवासी बहुल रतलाम- झाबुआ सीट पर 19 मई को मतदान
राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र की सीमाओं से लगी पश्चिम मध्य प्रदेश की आदिवासी बहुल रतलाम- झाबुआ सीट पर 19 मई को मतदान होना है। यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी चुनावी सभा कर चुके हैं।
डामोर ने कहा, ‘’20 साल से अधिक समय तक सांसद रहने और पूर्व केन्द्रीय मंत्री होने के बावजूद भूरिया क्षेत्र के लिये कुछ नहीं कर पाये। लोग मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं इसलिये भूरिया की पराजय निश्चित है।’’
कांतिलाल भूरिया के लिये यह सीट बचाए रखना आसान नहीं होगा, क्योंकि नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों में 15 साल बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी, लेकिन भूरिया के पुत्र डॉ विक्रांत भूरिया झाबुआ विधानसभा सीट से चुनाव हार गए।
रतलाम-झाबुआ लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें
रतलाम-झाबुआ लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें अलीराजपुर, जोबट, झाबुआ, थांदला, पेटलावद, रतलाम ग्रामीण, रतलाम शहर और सैलाना हैं। इनमें से पांच सीटों जोबट, अलीराजपुर, पेटलावद, थांदला, और सैलाना पर कांग्रेस और तीन सीटों झाबुआ, रतलाम ग्रामीण और रतलाम शहर पर भाजपा का कब्जा है।
गोधरा-मक्सी और इन्दौर-दाहोद रेल लाइन परियोजना के लंबित होने तथा सड़कों की खराब हालत को लेकर दोनों पक्ष एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। झाबुआ जिला कांग्रेस के अध्यक्ष निर्मल मेहता ने कहा ‘‘कांग्रेस की प्रस्तावित न्यूनतम आय योजना (न्याय) से गरीबों को फायदा होगा। चुनाव में यह योजना कांग्रेस के लिये निर्णायक साबित होगी।’’
उन्होंने विपक्ष के इस आरोप को खारिज कर दिया कि सांसद भूरिया ने क्षेत्र के लिये कुछ नहीं किया।