लोकसभा चुनाव 2019: हारे हुए राहुल के लिए नहीं, जीते हुए कांग्रेस अध्यक्ष का सही समय पर साथ देने आई हैं प्रियंका?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: January 24, 2019 04:34 PM2019-01-24T16:34:12+5:302019-01-24T16:34:12+5:30
जेडीयू के ही बिहार प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह का कहना था कि- प्रियंका पहले से ही कांग्रेस के भीतर सक्रिय और प्रभावशाली रही हैं, इसलिए उन्हें पार्टी में कोई पद दिए जाने का मामला बहुत महत्व नहीं रखता.
प्रियंका गांधी को कांग्रेस में सक्रिय करने के लिए लंबे समय से कांग्रेसियों द्वारा मांग की जाती रही है, लेकिन वे अब सही समय पर कांग्रेस में आईं हैं. तब वे आती तो राजनीतिक मैदान में हारे हुए राहुल गांधी की रक्षा के लिए आती, लेकिन अब जबकि राहुल गांधी तीन प्रमुख राज्यों- एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सियासी जंग जीत गए हैं तब वे आईं हैं तो कांग्रेस अध्यक्ष की जीत को आगे बढ़ाने के लिए आईं हैं, सफल सियासी नेता राहुल गांधी का साथ देने आईं हैं.
यदि वे तब सक्रिय राजनीति में आ जाती तो राहुल गांधी फिर कभी अपने दम पर कांग्रेस का नेतृत्व नहीं कर पाते, क्योंकि सारी कामयाबी प्रियंका के कारण मान ली जाती और राहुल के सियासी खाते में केवल नाकामयाबी दर्ज होती. प्रियंका के आने से कांग्रेस को कितना लाभ होगा, यह तो समय बताएगा, परन्तु इतना तय है कि वे एक स्टार प्रचारक हैं और उनकी सक्रियता से कांग्रेस को लोस चुनाव 2019 में बड़ा फायदा मिलेगा.
जहां प्रियंका के सियासी मैदान में आने से कांग्रेस नेता जोश में हैं वहीं गैर-कांग्रेसी नेताओं की मिलजुली प्रतिक्रियाएं हैं. जहां पीएम मोदी ने उनके सक्रिय राजनीति में प्रवेश को परिवारवाद करार दिया, वहीं जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने प्रियंका की नियुक्ति पर उन्हें बधाई दी और इसे भारतीय राजनीति में बहुप्रतीक्षित पदार्पण में से एक बताया.
चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने किशोर ने ट्वीट किया- यह भारतीय राजनीति में बहुप्रतीक्षित पदार्पण में से एक है, हालांकि लोग उनके राजनीति में प्रवेश के समय, उनकी सटीक भूमिका और आवंटित पद को लेकर बहस कर सकते हैं, लेकिन मेरे लिए असली खबर यह है कि उन्होंने आखिरकार यह फैसला ले लिया, प्रियंका गांधी को बधाई और शुभकामनाएं.
जाहिर है, भाजपा के अलावा कोई और दल प्रियंका पर शायद ही कोई बड़ी नकारात्मक टिप्पणी करे, क्योंकि देश में कब सियासी समीकरण बदल जाएं, कहा नहीं जा सकता है.
जेडीयू के ही बिहार प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह का कहना था कि- प्रियंका पहले से ही कांग्रेस के भीतर सक्रिय और प्रभावशाली रही हैं, इसलिए उन्हें पार्टी में कोई पद दिए जाने का मामला बहुत महत्व नहीं रखता.
अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की महासचिव और रायबरेली से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह का कहना था कि- प्रियंका का राजनीति में आधिकारिक रूप से पदार्पण हुआ है, इससे पूरे देश के कांग्रेसजन में खुशी का माहौल है और उनमें नया उत्साह पैदा हुआ है.
बीजेपी ने इस पर नकारात्मक प्रतिक्रियाएं दीं हैं, जो यह साबित करती हैं कि प्रियंका की सक्रियता बीजेपी की परेशानी बढ़ाने वाली है, केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी बोलीं- कांग्रेस ने घोषणा कर दी कि राहुल गांधी फेल हुए. प्रियंका के कांग्रेस में औपचारिक प्रवेश को- पारिवारिक गठबंधन, करार देते हुए बीजेपी ने कहा कि यह कांग्रेस द्वारा इस बात की स्वीकारोक्ति है कि राहुल गांधी नेतृत्व प्रदान करने में विफल रहे हैं.
बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा बोले कि- प्रस्तावित महागठबंधन में विभिन्न दलों से खारिज किये जाने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने पारिवारिक गठबंधन को अपनाया है. कांग्रेस ने वास्तव में सार्वजनिक तौर पर घोषणा कर दी है कि राहुल गांधी विफल हो गए हैं. यह महागठबंधन के दलों द्वारा खारिज किए जाने के कारण हुआ है और ऐसे में उन्होंने पारिवारिक गठबंधन को चुना.
बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने प्रियंका को बधाई तो दी, लेकिन साथ ही कटाक्ष करते हुए कहा कि एक निजी कंपनी में सीएमडी किसी को किसी भी पद पर नियुक्त कर सकता है.
उधर, आरजेडी नेता तेजप्रताप यादव ने इसे कांग्रेस के भीतर बेहतर बदलाव की करार देते हुए कहा कि प्रियंका अपनी दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलती-जुलती हैं और उन्होंने उनके मूल्यों को भी आत्मसात किया है. इससे कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों की संभावनाएं प्रबल होंगी तो राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा का मानना था कि अगर महागठबंधन का कोई घटक मजबूत होता है तो इससे पूरे गठबंधन को फायदा होगा.
बहरहाल, विभिन्न राजनेताओं ने प्रियंका की एक्टिव पॉलिटिकल एंट्री पर अपने-अपने सियासी दलों के लाभ-हानि के नजरिए से टिप्पणियां तो कर दीं हैं, लेकिन इसके बाद सभी नेता इस हिसाब में व्यस्त हो गए हैं कि इससे वास्तव में उन्हें कितना फायदा-नुकसान होगा?