लोकसभा चुनाव 2019ः गिरिराज सिंह की नाराजगी से कैसे निपटेगी भाजपा?
By एस पी सिन्हा | Published: March 27, 2019 07:42 AM2019-03-27T07:42:49+5:302019-03-27T07:42:49+5:30
नवादा की जगह बेगूसराय से टिकट दिए जाने की वजह से भाजपा से नाराज चल रहे केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह बिहार से वापस दिल्ली लौटे। उन्होंने सीट बदलाव के लिए प्रदेश भाजपा को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि अगर राज्य नेतृत्व उन्हें सीट बदलने की वाजिब वजह नहीं बता पाया तो वह निर्णय करेंगे कि उनका अगला कदम क्या होगा।
संतोष ठाकुर/ एस. पी. सिन्हा: गिरिराज सिंह की नाराजगी को बिहार भाजपा में भूमिहार और यादव राजनीति के बीच रहे आतंरिक द्वंद के सतह पर आने जैसा माना जा रहा है. यह कहा जा रहा है कि गिरिराज सिंह राज्य भाजपा में यादव वर्ग के बढ़ते वर्चस्व को लेकर नाराज हैं और यही वजह है कि सीट बदलने का बहाना करके वह केंद्रीय नेतृत्व के ऊपर राज्य भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद राय को हटाने का दबाव बना रहे हैं. दिल्ली आने के बाद सिंह ने कहा कि उनकी शिकायत केंद्रीय भाजपा से नहीं है. आखिर क्या वजह है कि बिहार में केवल उनकी ही सीट बदली गई.
यही नहीं, उन्हें इसके लिए विश्वास में भी नहीं लिया गया. उन्होंने सीधे प्रदेश अध्यक्ष का नाम लिए बगैर कहा कि वह बिहार में उस समय से राजनीति कर रहे हैं जब कई लोग पटना भाजपा कार्यालय का पता भी नहीं जानते थे. जानकारोें के मुताबिक गिरिराज अंतत: बेगूसराय सीट से ही चुनाव लड़ेंगे लेकिन वह इस मौके के बहाने नित्यानंद राय के खिलाफ एक माहौल बनाना चाहते हैं. यहां यह बताना रोचक है कि 2014 के चुनाव में गिरिराज इसी तरह से बेगूसराय की जगह नवादा सीट से टिकट दिए जाने से नाराज हो गए थे.
बेगूसराय भूमिहार बहुल क्षेत्र है. यहां से वामपंथी दलों के संयुक्त उम्मीदवार कन्हैया कुमार भी भूमिहार वर्ग से आते हैं. वह जिस गांव से हैं वहां की आबादी ही करीब एक लाख से ऊपर है. साथ ही वहां पर वामपंथ का दबदबा है. जिससे बेगूसराय सीट पर भूमिहार वोटों के गिरिराज और कन्हैया के बीच बंटने की भी संभावना है.
उल्लेखनीय है कि पिछले लोकसभा चुनाव में गिरिराज सिंह नवादा सीट से जीतकर संसद पहुंचे थे. लेकिन इस बार राजग गठबंधन के फॉर्मूले के तहत नवादा की सीट लोजपा के खाते में चली गई है. कहा तो यहां तक जा रहा है कि जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार से टक्कर लेने में उन्हें परेशानी महसूस होने लगी है. कन्हैया ने पिछले एक साल में अपनी जमीन को और पुख्ता कर लिया है और भूमिहार के साथ अन्य वर्ग में भी उसका अच्छा खासा प्रभाव हो गया है.
सूत्रों की मानें तो गिरिराज को बेगूसराय में एक और परेशानी का सामना करना पड़ सकता है और समस्या है उनका बेगूसराय से बाहर का होना. पार्टी के अंदर का एक धड़ा यह चाहता था कि दिवंगत सांसद भोला सिंह की जगह किसी स्थानीय नेता को ही यहां से उम्मीदवार बनाया जाए.