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लोकसभा चुनाव 2019: शिक्षा के राजनीतिकरण में उलझी कांग्रेस-बीजेपी, इससे दोनों पार्टियां क्या हासिल कर पाएंगी ?

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: February 18, 2019 14:20 IST

शिक्षा अधिकारी राजे सरकार के समय की फाइलों को जांच रहे हैं, ताकि यह जाना जा सके कि उस दौरान स्कूली पाठ्यक्रम में क्या-क्या परिवर्तन किए गए.

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ठळक मुद्देपिछली वसुंधरा राजे सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम के साथ-साथ कई व्यवस्थाओं में अनुरूप बदलाव किए थेस्कूली पाठ्क्रम में बदलाव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस, दोनों आमने-सामने हैं।

राजस्थान में सरकारें बदलने के साथ ही अनेक तरह के सियासी बदलाव आते रहे हैं, इनमें से कुछ तो अच्छे होते हैं, लेकिन ज्यादातर केवल सियासी मकसद साधने के लिए ही होते हैं. ऐसे बदलावों से शिक्षा का क्षेत्र भी अछूता नहीं है और इसीलिए स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव के निर्णय खासे चर्चा में रहे हैं.

वर्तमान अशोक गहलोत सरकार ने एक अच्छा निर्णय लेते हुए पुलवामा के शहीदों की गौरवगाथाओं को राजस्थान के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की तैयारी शुरू कर दी है. शिक्षामंत्री गोविंद सिंह डोटासरा का कहना है कि पाठ्यक्रम समीक्षा समिति को इस संबंध में प्रस्ताव भेजकर जल्दी ही रिपोर्ट मांगी गई है.

लेकिन, इससे कुछ समय पहले महाराणा प्रताप की महानता पर विवादास्पद बयान ने बीजेपी को कांग्रेस सरकार को घेरने का मौका दे दिया. अब इस मुद्दे पर बीजेपी, कांग्रेस को घेरने के साथ-साथ लोस चुनाव में भी अपना फायदा देख रही है, इसलिए इस मुद्दे को बड़े स्तर पर उठाने की तैयारी में है. 

कांग्रेस जुटा रहा बीजेपी सरकार में शिक्षा विभाग के आंकड़े

पिछली वसुंधरा राजे सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम के साथ-साथ कई व्यवस्थाओं में भी अपनी सियासी सोच के अनुरूप बदलाव किए थे, इसको लेकर अब शिक्षा विभाग ये आंकड़े जुटा रहा है कि भाजपा राज में किताबों में क्या-क्या बदलाव हुए थे?

शिक्षा अधिकारी राजे सरकार के समय की फाइलों को जांच रहे हैं, ताकि यह जाना जा सके कि उस दौरान स्कूली पाठ्यक्रम में क्या-क्या परिवर्तन किए गए. स्कूली पाठ्यक्रम के अलावा स्कूली लायब्रेरियों में खरीदी जाने वाली अन्य किताबों पर भी नजरें हैं कि वे किसी विचारधारा विशेष का समर्थन तो नहीं करती हैं. 

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि महाराणा प्रताप की महानता निर्विवाद है, इसलिए इसे किसी राजनेता या जांच समिति के प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है, लेकिन बीजेपी या कांग्रेस की सरकारों द्वारा अपने कार्यकाल में किए गए विभिन्न बदलावों की निष्पक्ष जांच, शिक्षा विशेषज्ञों से करवाई जानी चाहिए और उनके सुझावों के सापेक्ष ही बदलाव, संशोधन किए जाने चाहिए. 

लोकसभा चुनाव पर दोनों की टिकी नजरें 

बहरहाल, स्कूली पाठ्क्रम में बदलाव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस, दोनों आमने-सामने हैं, लेकिन असली नजर लोस चुनावों पर है. जाहिर है, लोस चुनाव में राजस्थान में यह बड़ा मुद्दा बन सकता है. देखना दिलचस्प होगा कि शिक्षा के राजनीतिकरण में उलझी कांग्रेस और बीजेपी, इससे लोस चुनाव में क्या हांसिल कर पाएंगी?

टॅग्स :लोकसभा चुनावराजस्थानकांग्रेसभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
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