राहुल गांधी की न्यूनतम आय योजना क्या चुनावी जुमला है या वाकई हो सकेगी लागू?
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 26, 2019 08:59 AM2019-03-26T08:59:55+5:302019-03-26T09:02:16+5:30
राहुल गांधी की घोषणा के बाद अरुण जेटली ने अपने फेसबुक ब्लॉग में बताया कि सरकार अभी ही करीब 5.34 लाख करोड़ सब्सिडी और दूसरी योजनाओं के तौर पर लोगों को दे रही है।
लोकसभा चुनाव के माहौल के बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को एक बड़ी घोषणा की। पिछले कई दिनों से न्यूनतम आय योजना (NYAY) की बात कर रहे राहुल ने इसकी एक रूपरेखा पेश कर दी। राहुल गांधी ने कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो हर साल 20 फीसदी गरीब परिवारों को 72,000 रुपये सरकार की ओर से दिये जाएंगे।
राहुल ने बहुत विस्तार से तो नहीं बताया कि यह कैसे होगा और इसके लिए पैसे कैसे आएंगे लेकिन इतना जरूर कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि हर परिवार की कमाई महीने के 12 हजार रुपये जरूर हो। अगर इसमें कमी होती है को इसकी भरपाई सरकार करेगी।
मौजूदा योजनाओं पर फर्क पड़ेगा?
राहुल गांधी ने कहा कि न्याय स्कीम की राजकोषीय घाटा नहीं बढ़ेगा। हालांकि, उन्होंन यह साफ नहीं किया सरकार अगर ऐसी योजना लाती है तो क्या जो मौजूदा योजनाएं हैं या कह लीजिए कि सरकार जहां सब्सिडी देती है, उसमें कोई फर्क पड़ेगा। अगर ऐसा होता है यह फर्क कितना होगा और किन योजनाओं पर होगा।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार कई जानकार यह बताते हैं कि सरकार की मौजूदा सब्सिडी स्कीम के साथ न्यूनतम आय योजना को लागू करना बेहद मुश्किल है। अगर आंकड़ों को देखा जाए तो 5 करोड़ परिवारों के लिए न्यूनतन आय स्कीम रोजकोषीय घाटा में मौजूदा जीडीपी का 1.9 फीसदी जोड़ देगी। कुल मिलाकर यह सबकुछ भारत के स्वास्थ्य बजट से ज्यादा होगा जो जीडीपा का 1.4 फीसदी अनुमानित है।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार 2011 में भारत में 24.95 करोड़ घर हैं। अगर इस लिहाज से 20 प्रतिशत के अंदर हर गरीब घर को इस योजना में शामिल किया जाता है तो यह सालाना करीब 3.6 लाख करोड़ रुपये खर्च आयेगा। यह मौजूदा रोजगार गांरटी योदना मनरेगा के 55,000 करोड़ रुपये से भी 6 गुना ज्यादा है। ऐसे में न्यूनतम आय स्कीम और मौजूदा सब्सिडी और दूसरी योजनाओं को एक साथ लेकर चलना बेहद मुश्किल होगा।
वित्तीय वर्ष-2018 के आंकड़ों के अनुसार देश में करीब 950 सेंट्रल सेक्टर और केंद्र प्रायोजित सब-स्किम हैं। यह जीडीपी का करीब 5 फीसदी है। इसमें करीब 11 स्कीम बजट आवंटन का करीब 50 फीसदी है। इसमें फूड सब्सिडरी या कह लीजिए पीडीएस सबसे बड़ी योजनाओं में से एक हैं। साथ ही यूरिया सब्सिडी और नरेगा जैसी योजनाएं भी शामिल हैं। अगर राज्यों को इसमें शामिल किया जाए तो यह आंकड़ा और बढ़ जाएगा। आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 में उस समय के प्रमुख आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यण ने प्रति वर्ष 7,620 रुपये बतौर यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई) को तौर पर प्रस्तावित किया था।
कांग्रेस की न्यूनतम आय की घोषणा का एक असर ये भी होगा कि उपभोग बढ़ेगा और मांग भी बढ़ेगी। सब्सिडी के साथ चलते हुए ज्यादा मांग और सरकार के ज्यादा कर्ज लेने का असर ये होगा कि राषकोषीय घाटा बढ़ेगा। साथ ही एक बड़ी मुश्किल उन लोगों की पहचान भी है जिन्हें न्यूनतम आय का लाभ पहुंचाया जाना होगा।
राहुल की घोषणा के बाद वित्तीय मंत्री अरुण जेटली ने अपने फेसबुक ब्लॉग में बताया था कि सरकार अभी ही करीब 5.34 लाख करोड़ सब्सिडी और ट्रांसफर के तौर पर लोगों को दे रही है। इसमें 1.8 लाख करोड़ सीधे तौर पर विभिन्न मंत्रालयों से बैंक अकाउंट में भेजे जा रहे हैं। वहीं, नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा कि कांग्रेस का वादा राषकोष पर प्रभाव डालेगा।
राजीव ने ट्वीट किया, 'कांग्रेस अध्यक्ष ने एक ऐसी स्कीम की घोषणा की है जो राषकोष की व्यवस्था को खराब करेगा। यह काम के मुकाबले ज्यादा प्रलोभन जैसा है जो कभी लागू नहीं किया जा सकता।'