विरोधी दलों को परिवारवाद पर घेरते हैं पीएम मोदी, बिहार में पासवान परिवार पर NDA दिखा मेहरबान
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 23, 2019 01:13 PM2019-03-23T13:13:38+5:302019-03-23T13:21:18+5:30
Lok Sabha Election 2019: लोकसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी को 6 सीटें दी हैं जिनमें से तीन सीटें केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के परिवार को ही गई हैं।
Lok Sabha Election 2019: लोकसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने बिहार की 40 सीटों के लिए टिकट का बंटवारा कर लिया है लेकिन परिवारवाद के खिलाफ पीएम नरेंद्र मोदी की बातों से उलट लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) पर गठबंधन मेहरबान दिखा। बिहार में एलजेपी के खाते में 6 सीटें आई हैं। इन 6 सीटों में से 3 पर केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के परिवार के लोग ही उम्मीदवार हैं।
एलजेपी को मिलने वाली 6 सीटों में समस्तीपुर से रामचंद्र पासवान, हाजीपुर से पशुपति कुमार पारस, जमुई से चिराग पासवान, वैशाली से वीणा देवी और नवादा से चंद्र कुमार को उम्मीदवार बनाया गया है जबकि खगड़िया सीट एलजेपी को गई तो है लेकिन अभी इस पर उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की गई है।
बता दें कि समस्तीपुर से एलजेपी उम्मीदवार रामचंद्र पासवान और हाजीपुर से उम्मीदवार पशुपति कुमार पारस केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के भाई हैं और जमुई से उम्मीदवार चिराग पासवान उनके बेटे हैं। इस प्रकार सीटों के बंटवारे में परिवारवाद साफ झलकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनडीए में शामिल कई नेता चुनावी रैलियों और कई मौकों पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विरोधी दलों को परिवारवाद की राजनीति करने के लिए घेरते रहे हैं।
बता दें कि इस बार समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए मैनपुरी से पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव, कन्नौज से अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव, बंदायुं से मुलायम के भतीजे धर्मेंद्र यादव और फिरोजाबाद से रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव को उम्मीदवार बनाया है। इसी तरह राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव के परिवार के कई लोग सक्रिय राजनीति में हैं। अटकलें है कि लालू यादव की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और बेटी मीसा भारती भी इस बार लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं।
राजनीतिज्ञ विशेषज्ञों के मुताबिक राजनीति में सब कुछ संभव है। ऐसे में परिवारवाद के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाला एनडीए अगर बिहार में इसे नजरअंदाज कर रहा है तो हैरानी की बात नहीं होनी चाहिए।