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गोपालगंज ग्राउंड रिपोर्ट: आरजेडी-बीएसपी में कड़ी टक्कर, मुस्लिम वोटों की होगी अहम भूमिका

By निखिल वर्मा | Published: May 09, 2019 1:18 PM

एनडीए ने गोपालगंज में पिछली बार रिकॉर्ड मतों से जीतने वाले जनक राम का टिकट काटकर आलोक कुमार सुमन को टिकट दिया है। जनक राम पिछली बार बीजेपी के टिकट पर 2.73 लाख वोटों से जीते थे।

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ठळक मुद्देगोपालगंज लोकसभा सीट को 2009 में एससी के लिए सुरक्षित कर दिया गया है। आरजेडी ने सुरेंद्र महान को टिकट दिया है, जबकि बीएसपी से कुणाल किशोर विवेक लड़ रहे हैं।

बिहार के गोपालगंज लोकसभा सीट पर आरजेडी प्रत्याशी सुरेंद्र महान, एनडीए प्रत्याशी आलोक कुमार सुमन और बीएसपी के टिकट पर 29 वर्षीय कुणाल किशोर विवेक के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। गोपालगंज में 12 मई को मतदान है। 

गोपालगंज में नए चेहरे

एनडीए ने गोपालगंज में पिछली बार रिकॉर्ड मतों से जीतने वाले जनक राम का टिकट काटकर आलोक कुमार सुमन को टिकट दिया है। जनक राम पिछली बार बीजेपी के टिकट पर 2.73 लाख वोटों से जीते थे। इस बार यह सीट जेडीयू के खाते में गई है। वहीं महागठबंधन में यह सीट आरजेडी के खाते में गई है। आरजेडी ने सुरेंद्र महान को टिकट दिया है। विवेक के साथ ही सुमन और महान भी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।

बीएसपी को है गोपालगंज से उम्मीद

बीएसपी के स्टार प्रचारक विवेक पार्टी के सबसे कम उम्र के उम्मीदवार हैं। बिहार में बहुजन समाज पार्टी लोकसभा की सभी 40 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ रही है। 18 अप्रैल को गोपालगंज में बसपा प्रमुख मायावती पार्टी प्रत्याशी कुणाल किशोर विवेक के लिए चुनावी रैली कर चुकी हैं। 

लोकमत से बातचीत में विवेक कहते हैं, गोपालगंज उत्तर प्रदेश से सटा इलाका है। यहां बीएसपी का जनाधार रहा है। ये पूछने पर जनाधार रहने के बावजूद लोकसभा चुनाव 2014 में बीएसपी को सिर्फ 17000 वोट ही क्यों मिले? कुणाल कहते हैं, बीजेपी से जीतने वाले जनक राम पहले ही बीएसपी के ही कार्यकर्ता थे। 2014 में चुनाव से पहले उन्होंने बीजेपी से टिकट हासिल कर लिया और बीएसपी को कमजोर करने का काम किया।

कुणाल कहते हैं, मोदी सरकार में पिछले 5 सालों में दलितों का जो उत्पीड़न हुआ, उसके चलते यहां के दलितों में काफी गुस्सा है। उन्होंने दावा किया कि दलितों के आक्रोश के चलते ही बीजेपी ने जीती हुई सीट जेडीयू को दे दी।

कुणाल के जीतने के दावे को खारिज करते हुए आरजेडी प्रत्याशी सुरेंद्र महान कहते हैं, यहां कोई लड़ाई ही नहीं है। महागठबंधन एकतरफा जीत रही है। वो कहते हैं, गोपालगंज में बीएसपी का कोई आधार नहीं है। बाबा साहेब अंबेडकर को मानने वाले लोग महागठबंधन की तरफ हैं। लोकमत से बातचीत में सुरेंद्र महान खुद बताते हैं कि वह भी पहले बीएसपी के ही कार्यकर्ता थे। लोकमत ने एनडीए प्रत्याशी आलोक कुमार सुमन से भी बातचीत करने की कोशिश, लेकिन उन्होंने बात करने से इंकार कर दिया।

मुस्लिम वोट किस तरफ?

उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों का एक बड़ा तबका बीजेपी को हराने के लिए महागठबंधन को वोट दे रहा है। बिहार में एनडीए के सामने लड़ाई में आरजेडी के नेतृत्व वाली महागठबंधन ही है। लेकिन यूपी से सटा इलाका होने के कारण गोपालगंज में मुस्लिम वोटरों की स्थिति अलग है। यहां करीब 2.25 लाख मुस्लिम वोट हैं। 

गोपालगंज के रहने वाले रंजय पासवान सोशल मीडिया में काफी सक्रिय हैं। रंजय 'Activist Ranjay' के नाम से यू-ट्यूब चैनल चलाते हैं। वो यहां बीएसपी प्रत्याशी कुणाल किशोर विवेक का समर्थन कर रहे हैं। लोकमत से बातचीत में रंजय कहते हैं, "बाबा साहेब के सपनों को बीएसपी ही पूरा कर सकती है। 18 अप्रैल को बसपा प्रमुख मायावती की रैली में जितनी भीड़ आई थी, उसका एक चौथाई हिस्सा भी 22 अप्रैल को आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की रैली में नहीं आई।" मायावती की रैली के बाद से मुस्लिम वोट बीएसपी की ओर जा सकता है। 

बीएसपी के बिहार प्रदेश महासचिव औऱ स्टार प्रचारक नियाज अहमद लगातार गोपालगंज में चुनावी सभाएं कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि विधानसभा चुनाव 2015 में भी पार्टी ने गोपालगंज में चार मुस्लिमों को विधानसभा का टिकट दिया था।

यादव वोटों में सेंध लगाने की तैयारी

गोपालगंज से सटे जिले महाराजगंज से बीएसपी ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के साले साधु यादव को टिकट दिया है। गोपालगंज में करीब 3 लाख यादव वोट हैं। साधु यादव गोपालगंज में काफी सक्रिय हैं। बीएसपी का कहना है कि साधु यादव के लड़ने से दोनों सीटों पर पार्टी का फायदा होगा। साधु यादव के प्रभाव पर आरजेडी प्रत्याशी सुरेंद्र महान कहते हैं, खुद 4000 वोट भी नहीं पाने वाले साधु यादव दूसरों को क्या ही जिताएंगे। साधु यादव की कहानी खत्म हो चुकी है। 

बीएसपी को बिहार में गोपालगंज से सबसे ज्यादा उम्मीद है। विधानसभा चुनाव 2005 में पार्टी के दो विधायकों ने यहां से जीत हासिल किया था। अब 23 मई को परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा कि गोपालगंज की जनता किस नए चेहरे को मौका देगी।

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