बक्सर: केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे से लोग नाराज! RJD उम्मीदवार जगदानंद सिंह दे रहे हैं कड़ी टक्कर
By निखिल वर्मा | Published: May 14, 2019 03:29 PM2019-05-14T15:29:37+5:302019-05-14T16:28:38+5:30
अश्विनी चौबे बिहार के भागलपुर जिले के रहने वाले हैं जबकि जगदानंद सिंह का जन्म कैमूर में हुआ है। महागठबंधन अश्विनी चौबे के बाहरी होने का मुद्दा जोर-शोर से उठा रहा है।
बिहार में धान के कटोरे के नाम से मशहूर बक्सर संसदीय सीट पर लोकसभा चुनाव 2019 के सातवें चरण में 19 मई को वोटिंग होगी। यहां पर मुख्य मुकाबला बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे और आरजेडी के सबसे वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह के बीच है। इस बार कुल 15 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।
बाहरी बनाम स्थानीय
अश्विनी चौबे बिहार के भागलपुर जिले के रहने वाले हैं जबकि जगदानंद सिंह का जन्म कैमूर में हुआ है। महागठबंधन अश्विनी चौबे के बाहरी होने का मुद्दा जोर-शोर से उठा रहा है। 74 वर्षीय जगदानंद सिंह ने लोकसभा चुनाव 2009 में बक्सर से जीत हासिल की थी। जगदानंद सिंह बक्सर जिले के रामगढ़ विधानसभा सीट से 1985 से 2009 तक लगातार छह बिहार विधायक रहे हैं। इसके अलावा जगदानंद सिंह 1990 से 2005 पर लगातार लालू-राबड़ी सरकार में मंत्री रहे हैं।
अश्विनी चौबे से लोग नाराज
अश्विनी चौबे को लेकर इस क्षेत्र में लोगों में उत्साह नहीं है। बक्सर के दहीवर गांव के रहने वाले पप्पू कुमार कहते हैं, 2014 में अश्विनी चौबे जीतने के बाद मुश्किल से बक्सर आते थे। चर्चा थी कि इस बार चौबे अपने गृह जिला भागलपुर से चुनाव लड़ सकते हैं। इस चक्कर में उन्होंने इस बक्सर के विकास पर ध्यान नहीं दिया। अब टिकट मिलने के बाद जिले की परिक्रमा कर रहे हैं। बता दें कि भागलपुर सीट एनडीए में जेडीयू के खाते में चली गई थी।
एम्स मामले में फंसे चौबे
लोगों के बीच यह आम धारणा बन गई है कि अश्विनी चौबे ने बक्सर में खुलने वाले एम्स को भागलपुर स्थानांतरित करा दिया। अश्विनी चौबे इस विषय में कहते हैं, विपक्षियों द्वारा बक्सर से एम्स को हटाकर भागलपुर ले जाने की बात झूठी है। इसमें कोई दम नहीं है। वे अपनी हार को सुनिश्चित देख इस तरह का झूठ और अफवाह फैला रहे हैं। बिहार में दरभंगा में एम्स बनाने का प्रस्ताव है।
कभी था कांग्रेस का गढ़, अब बीजेपी का
1952 से 1977 तक लगातार यहां कांग्रेस पार्टी से सांसद रहा। पहली बार 1977 में आपातकाल के बाद हुए चुनाव में भारतीय लोकदल से दिग्गज समाजवादी नेता रामानंद तिवाड़ी ने जीत हासिल की। उनके बेटे शिवानंद तिवाड़ी अभी आरजेडी के वरिष्ठ नेता हैं। पिछले सात चुनावों में इस सीट पर बीजेपी ने पांच बार कब्जा जमाया है। लालमुनि चौबे इस सीट पर लगातार चार बार बीजेपी से सांसद रह चुके हैं।
बक्सर का जातीय गणित
बक्सर सीट पर राजपूत और बाह्मण मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। यहां से अब तक 10 बार बाह्मण जाति से सांसद बने हैं, जबकि पांच बार राजपूत समुदाय से। लोकमत से बातचीत में जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह कहते हैं, इस बार महागठबंधन करीब डेढ़ लाख मतों के अंतर से जीतने जा रहा है। उन्होंने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी और मुकेश साहनी ने महागठबंधन को काफी मजबूत किया है।
आरजेडी को इस बार कुशवाहा, यादव, महादलित और मुस्लिम मतदाताओं का पूरा वोट मिलने जा रहा है। यह पूछने पर क्या राजपूत वोटों में बंटवारा होगा? सुधाकर सिंह कहते हैं, थोड़ा बहुत हो सकता है, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।
महागठबंधन को यहां बीएसपी से खतरा हो सकता है। बीएसपी के प्रदेश महासचिव सुशील कुशवाहा बक्सर से चुनाव लड़ रहे हैं। 11 मई को बक्सर के चौसा में बसपा प्रमुख मायावती ने कुशवाहा के लिए एक रैली भी की थी। बीएसपी के स्टार प्रचारक कुणाल किशोर विवेक कहते हैं, बक्सर में कुशवाहा और चमार मिलाकर करीब 3.50 लाख वोट हैं। हमारी पार्टी पूरे जी-जान से लड़ रही है।
वहीं अश्विनी चौबे को ददन पहलवान से बहुत आस है। वर्तमान में जेडीयू विधायक ददन पहलवान ने लोकसभा चुनाव 2014 में बीएसपी के टिकट से चुनाव लड़ा था। तीसरे नंबर पर रहने वाले ददन पहलवान को 1.84 लाख वोट मिले थे। एनडीए को उम्मीद है कि ददन पहलवान उर्फ ददन सिंह यादव महागठबंधन के यादव वोटों में सेंध लगाएंगे।
बक्सर लोकसभा सीट पर मतदाता
2014 चुनाव में इस सीट पर कुल वोटर्स की संख्या 16.40 लाख थी। इनमें से 8.88 लाख मतदाताओं ने अपने मतों का प्रयोग किया। इसमें 4.93 लाख पुरुष और 3.94 लाख महिला मतदाताओं की संख्या थी।
बक्सर में विधानसभा की छह सीटें बह्मपुर, बक्सर, डुमरांव, राजपुर, दिनारा, रामगढ़ है। विधानसभा चुनाव 2015 में जेडीयू ने तीन, आरजेडी-कांग्रेस-बीजेपी ने एक-एक सीटों पर जीत हासिल की थी। जेडीयू 2015 विधानसभा चुनाव के समय महागठबंधन में शामिल थी। महागठबंधन ने उस समय छह में पांच सीटों पर जीत हासिल की थी।