पटना साहिब सीटः कायस्थ लैंड पर रविशंकर प्रसाद के सामने शत्रुघ्न सिन्हा, कौन जीतेगा जंग
By एस पी सिन्हा | Published: May 16, 2019 06:44 PM2019-05-16T18:44:53+5:302019-05-16T18:52:29+5:30
इस बार भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद हैं तो कांग्रेस की ओर से फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा चुनाव मैदान में हैं। ऐसे में कायस्थ परंपरा को कायम रखते हुए दोनों उम्मीदवार अपनी वाणी मर्यादा को भी कायम रखते हुए खम ठोक रहे हैं।
बिहार में एक कहावत है मधेपुरा लोकसभा सीट के बारे में ’ रोम पोप का तो मधेपुरा गोप का’ अर्थात यादवों का, ठीक उसी तर्ज पर अब पटना साहिब लोकसभा सीट के बारे में कहा जाने लगा है कि अगर मधेपुरा ’यादव लैंड’ है तो पटना भी कायस्थ लैंड है।
ऐसे में यहां जो दो दिग्गज चुनाव मैदान में हैं, संयोग से दोनों हीं कायस्थ हीं हैं। ऐसे में कायस्थ बाहुल्य इस सीट पर नेताओं की किस्मत का फैसला कायस्थ वोटर ही करते हैं। यही कारण है कि हरेक चुनाव प्रत्याशियों की संख्या ज्यादा होती है।
इस बार भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद हैं तो कांग्रेस की ओर से फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा चुनाव मैदान में हैं। ऐसे में कायस्थ परंपरा को कायम रखते हुए दोनों उम्मीदवार अपनी वाणी मर्यादा को भी कायम रखते हुए खम ठोक रहे हैं।
वैसे यह दोनों उम्मीदवार कभी दोस्त थे और उनका दल भी एक हीं था, लेकिन इस चुबावी फिजां में अब दोनों प्रबल प्रतिद्वंद्वी हैं। ऐसे में एक की जीत से दूसरे की हार भी तय है। लेकिन इतनी कड़ी लड़ाई में इन दोनों ने भाषा की मर्यादा को कायम रखते हुए एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं।
दोनों प्रत्याशी एक नजीर पेश करते हुए चुनाव प्रचार के दौरान वाणी में तल्खी नहीं दिखा रहे हैं
यहां दोनों प्रत्याशी एक नजीर पेश करते हुए चुनाव प्रचार के दौरान वाणी में तल्खी नहीं दिखा रहे हैं, जो चर्चा का विषय बना हुआ है। इन दोनों के व्यवहार में कटुता नहीं है और आचरण में उत्तेजना नहीं है। आरोप-प्रत्यारोप का स्तर भी इतना नही गिरा है कि लोग इसकी चर्चा कर सकें।
यहां तक कि प्रचार के दौरान या जनसभाओं में दोनों एक-दूसरे का नाम लेने से भी परहेज करते दिख रहे हैं। सिर्फ विरोधी दल एवं उसकी नीतियों, योजनाओं एवं कार्यक्रमों की ही आलोचना करते हैं। दरअसल, रविशंकर प्रसाद और शत्रुघ्न सिन्हा दोनों ने चुनाव मैदान में उतरते ही सार्वजनिक कर दिया था कि सियासत की इस रस्साकशी में वे अपने पुराने संबंधों को असहज नहीं होने देंगे।
एक-दूसरे पर व्यक्तिगत आरोप नहीं लगाएंगे। पार्टियों और नीतियों की बात तो जरूर होगी, लेकिन परवरिश, परिवेश और परिवार पर चर्चा नहीं करेंगे, जो दोनों आज तक निभा रहे हैं।
कायस्थ बहुल पटना साहिब सीट पर इस बार भी हाई प्रोफाइल फाइट
इस तरह से दोनों कायस्थ परंपरा का पालन करते हुए मर्यादित तरीके से चुनाव मैदान में एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं। इस तरह से कायस्थ बहुल पटना साहिब सीट पर इस बार भी हाई प्रोफाइल फाइट का गवाह बन रही है और पूरे देश की नजरें इस सीट पर आ टिकी हैं।
इस सीट को पिछले चुनाव यानी 2014 में भाजपा के शत्रुघ्न सिन्हा ने जीता था लेकिन इस बार के हालात और समीकरण दूसरे हैं और वो कांग्रेस में जा चुके हैं। शत्रुघ्न के पाला बदलने से एनडीए को एक दमदार उम्मीदवार की तलाश थी, जो रविशंकर प्रसाद पर जाकर पूरी हुई।
इस सीट से भाजपा के ही एक और चेहरे आरके सिन्हा को लेकर भी चर्चा तेज थी, लेकिन पार्टी ने उनकी जगह रविशंकर प्रसाद पर भरोसा जताया और पहली बार उनको लोकसभा चुनाव के दंगल में उतार दिया। साल 2014 के चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में शत्रुघ्न सिन्हा को 485,905 वोट मिले थे।
पिछले चुनाव में उनके मुकाबले में कांग्रेस ने सिने स्टार कुणाल सिंह को खड़ा किया था, जिनको 220,100 मत मिले थे, वहीं जदयू ने शहर के प्रख्यात चिकित्सक और कायस्थ चेहरे डा. गोपाल प्रसाद सिन्हा को टिकट दिया था, लेकिन वह मात्र 91,024 वोट पा सके थे।
साल 2019 में कायस्थ लैंड की सूरत भले ही न बदली हो, लेकिन उम्मीदवारों के चेहरे बदल गए हैं। यहां मुकाबला सीधे तौर पर "कायस्थ बनाम कायस्थ" है।
कहा जा रहा है कि पार्टी के फैसले से आरके सिन्हा नाराज हैं तो वहीं शत्रुघ्न सिन्हा को भी कायस्थ समेत एमवाई(माय) का वोट मिलेगा। भाजपा छोडने के बाद बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस के टिकट से हैट्रिक लगाने की कोशिश में है तो इस प्रयास में उनको लालू, मांझी और कुशवाहा का भी साथ मिल रहा है।
वहीं, रविशंकर प्रसाद की बात करें तो वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काम, मोदी मैजिक और कायस्थों के परंपरागत वोटों के सहारे मैदान में हैं. पटना साहिब सीट से कायस्थ मतदाताओं के साथ ही वोटिंग का प्रतिशत भी काफी हद तक हार-जीत की तस्वीर को साफ करेगा। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि पटना के कायस्थ मतदाता किसे खामोश करते हैं और किसे ताज पहनाते हैं।