बिहार: महागठबंधन की बढ़ रही मुश्किलें, वामदलों ने 6 सीटों पर ठोका दावा, भाकपा का आरोप- कन्हैया से चिढ़ते हैं RJD के लोग
By एस पी सिन्हा | Published: March 18, 2019 08:59 PM2019-03-18T20:59:40+5:302019-03-18T20:59:40+5:30
सीपीआई नेताओं ने महागठबंधन में छह सीटें मांगी हैं और ये इस जिद पर अड़े हुए हैं कि हमें छह से एक भी सीट कम नहीं चाहिए. सीपीआई के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह ने साफ कहा है कि हर हाल में कन्हैया कुमार बेगूसराय सीट से ही चुनाव लड़ेंगे.
बिहार में महागठबंधन की मुश्किलें फिलहाल कम होती नहीं दिख रही हैं. एक तरफ जहां एनडीए ने संख्या से साथ ही सीटों के बंटवारे का ऐलान कर दिया है, तो वहीं, दूसरी ओर महागठबंधन में अभी तक सीटों के बंटवारे को लेकर ही स्थिति साफ नहीं हो सकी है, यानी इस बात का भी पता नहीं लग सका है कि कौन सा दल कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा. इसी कड़ी में अब वामदलों ने बिहार की छह सीटों पर अपना दावा ठोक दिया है.
सीपीआई नेताओं ने महागठबंधन में छह सीटें मांगी हैं और ये इस जिद पर अड़े हुए हैं कि हमें छह से एक भी सीट कम नहीं चाहिए. सीपीआई के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह ने साफ कहा है कि हर हाल में कन्हैया कुमार बेगूसराय सीट से ही चुनाव लड़ेंगे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस से हमारी बात हो चुकी है. लेकिन अभी तक महागठबंधन के सीट देने पर चर्चा नहीं हुई है.
उन्होंने आरोप लगाया कि राजद के लोग कन्हैया से चिढ़ते हैं. वहीं, पटना में हुई भाकपा-माले की बैठक में अहम निर्णय लेते हुए पार्टी ने महागठबंधन से पहले ही उम्मीदवार की घोषणा भी कर दी है. पार्टी ने आरा सीट पर कॉमरेड राजू यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है. इस मौके पर मौके पर माले महासचिव कॉमरेड दीपंकर भट्टाचार्य, राज्य सचिव कुणाल, स्वदेश भट्टाचार्य, नन्द किशोर प्रसाद सहित वरिष्ठ नेता उपस्थित थे.
वहीं, भाकपा- माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने सोमवार को कहा कि बिहार के सीटों का बंटवारा दिल्ली में बैठकर संभव नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि महागठबंधन की बड़ी पार्टियां छोटी पार्टियों को कम आंकने की भूल ना करें और इस बात का ध्यान रखें कि महागठबंधन के किसी सहयोगी के साथ कोई धोखा नहीं हो.
भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार की 6 सीटों पर भाकपा-माले की दावेदारी अभी भी बरकरार है. उन्होंने कहा कि हम बिहार की आरा, सीवान और जहानाबाद की सीट हर हाल में माले के लिए चाहते हैं. वामदलों को अलग रखकर महागठबंधन एनडीए को शिकस्त नहीं दे सकता. दीपंकर ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस को सीरियस बातों पर चर्चा करनी चाहिए क्योंकि उत्तरप्रदेश और दिल्ली में अलग चुनाव लड़कर भाजपा को परास्त करना असंभव सा है. लेकिन, अब बिहार में भी कांग्रेस उसी रास्ते पर चल रही है.
यहां बता दें कि बिहार की 40 सीटों के लिए वामदल भी महागठबंधन का हिस्सा हैं. ऐसे में सीटों के बंटवारे से ठीक पहले वामदल की दावेदारी ने एक बार फिर से महागठबंधन के अन्य घटकों के लिए परेशानी बढ़ा दी है.