लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावः 5 साल में 1.29 करोड़ मतदाताओं ने ‘नोटा’ का विकल्प चुना, एडीआर रिपोर्ट में खुलासा, यहां देखें लिस्ट

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 4, 2022 05:22 PM2022-08-04T17:22:44+5:302022-08-04T17:25:17+5:30

Lok Sabha and state assembly elections: लोकसभा चुनावों में बिहार की गोपालगंज सीट पर सबसे अधिक 51,660 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना जबकि लक्षद्वीप लोकसभा सीट पर सबसे कम 100 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया।

Lok Sabha and state assembly elections 2018-2022, 1-29 crore voters opted 'NOTA' in 5 years revealed in ADR report see list here | लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावः 5 साल में 1.29 करोड़ मतदाताओं ने ‘नोटा’ का विकल्प चुना, एडीआर रिपोर्ट में खुलासा, यहां देखें लिस्ट

2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान सबसे अधिक 7,42,134 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना।

Highlights‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।बिहार विधानसभा चुनाव में 7,06,252 जबकि दिल्ली में 43,108 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया।2022 में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में सबसे कम लोगों ने नोटा का विकल्प चुना।

नई दिल्लीः देश में पिछले पांच साल में आम चुनाव और राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान करीब 1.29 करोड़ मतदाताओं ने ‘नोटा’ का विकल्प चुना। गैर-सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

 

एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच (एनईडब्ल्यू) ने 2018 से 2022 के दौरान विभिन्न चुनावों में ‘नोटा’ (उपरोक्त में से कोई नहीं) विकल्प के तहत डाले गए वोटों की संख्या का विश्लेषण किया। रिपोर्ट के मुताबिक, इस अवधि में राज्य विधानसभा चुनावों में नोटा के तहत औसतन 64,53,652 वोट डाले गए।

वहीं, लोकसभा चुनावों में बिहार की गोपालगंज सीट पर सबसे अधिक 51,660 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना जबकि लक्षद्वीप लोकसभा सीट पर सबसे कम 100 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया। रिपोर्ट के मुताबिक, विधानसभा चुनावों के दौरान 2020 में दो राज्यों में सर्वाधिक 1.46 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना, जिसमें बिहार विधानसभा चुनाव में 7,06,252 जबकि दिल्ली में 43,108 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया। इसके मुताबिक, 2022 में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में सबसे कम लोगों ने नोटा का विकल्प चुना।

इनमें 0.70 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना, जिसमें गोवा में 10,629, मणिपुर में 10,349, पंजाब में 1,10,308, उत्तर प्रदेश में 6,37,304 और उत्तराखंड में 46,840 मतदाताओं ने ईवीएम में नोटा का बटन दबाया। रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान सबसे अधिक 7,42,134 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना।

वहीं, 2018 के मिजोरम विधानसभा चुनाव के दौरान नोटा के तहत सबसे कम 2,917 वोट डाले गए। इसके मुताबिक, 2018 में छत्तीसगढ़ राज्य विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना जोकि 1.98 फीसदी रहा। वहीं, दिल्ली विधानसभा चुनाव, 2020 और मिजोरम विधानसभा चुनाव, 2018 में नोटा के तहत सबसे कम प्रतिशत यानी 0.46 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया।

एडीआर के मुताबिक, 2018 से लेकर अब तक विधानसभा चुनावों के दौरान ऐसी सीटों पर 26,77,616 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना, जहां चुनाव लड़ रहे तीन या इससे अधिक उम्मदीवारों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे थे।

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