पंजाब-हरियाणा सहित देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाई गई लोहड़ी, जानिए क्या है इतिहास?
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 13, 2019 09:56 PM2019-01-13T21:56:01+5:302019-01-13T21:56:01+5:30
पंजाब के लुधियाना, मोहाली और जालंधर सहित प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर दिन में बच्चों और युवाओं ने पतंगें उड़ायी। आसमान विभिन्न रंगों के पतंगों से पटी पड़ी थी।
पंजाब, हरियाणा एवं चंडीगढ़ में लोहड़ी का त्योहार परंपरागत हर्ष एवं उल्लास के साथ रविवार को मनाया गया। लोगों ने इस मौके पर एक दूसरे को लोहड़ी की बधाई दी। इस दौरान परिवारों ने अपने अपने घरों के बाहर लोहड़ी जलायी। पंजाब के लुधियाना, मोहाली और जालंधर सहित प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर दिन में बच्चों और युवाओं ने पतंगें उड़ायी। आसमान विभिन्न रंगों के पतंगों से पटी पड़ी थी।
इस बार प्रदेश में कई स्थानो पर लोहड़ी बेटियों को समर्पित थी क्योंकि लोगों को बेटियों के महत्व से जागरुक बनाने के लिए ‘‘धियां दी लोहड़ी’’ का आयोजन किया गया था। पंजाब में परंपरागत रूप से फसलों के मौसम की शुरूआत के दौरान लोहड़ी मनायी जाती है। लड़कियां पारंपरिक पोशाक में कई स्थानों पर लोक नृत्य गिद्धा करती हैं।
इस मौके पर लोगों ने रेवड़ियां, मूंगफली और पापकार्न (मक्के का लावा) बांटी। ये तीनों खाद्य पदार्थ लोहड़ी से संबंधित है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने लोगों को इस मौके पर बधाई दी है।
#Visuals of #Lohri celebrations from Amritsar, Punjab pic.twitter.com/REDQwPJS1K
— ANI (@ANI) January 13, 2019
इस बीच सैकड़ों श्रद्धालुओं ने रविवार को पंजाब हरियाणा और चंडीगढ़ में दसवें सिख गुरू, गुरू गोविंद सिंह के 352 वें प्रकाश पर्व के मौके पर गुरूद्वारा जाकर मत्था टेका और अरदास किया।
लोहड़ी का इतिहास
आइए आपको लोहड़ी का इतिहास बताते हैं। एक लोक प्रचलित कहानी के अनुसार सुंदरी और मुंदरी नाम की दो बहनें हुआ करती थीं। बचपन में अनाथ हो जाने के कारण लाचार बहनें अपने चाचा के पास आ गईं। रहने के लिए छत और खाने के लिए दो रोटी की भूखी इन बहनों के चाचा को इनपर तरस ना आया।
#WATCH: Himachal Pradesh CM Jai Ram Thakur participate in Lohri celebrations at his residence in Shimla. pic.twitter.com/d2W0LhvuQQ
— ANI (@ANI) January 13, 2019
जालिम चाचा ने लालच में आकर दोनों को एक जमींदार के यहां बेचने की सोची। उस समय उस क्षेत्र में दुल्ला भट्टी नाम का एक डाकू था। जो गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करता था। किसी नी दुल्ला भट्टी को जालिम चाचा की करतूत बताई।
खबर मिलते ही दुल्ला भट्टी ने चाचा के चंगुल से दोनों लड़कियों को छुड़ाया। दोनों को दुल्ला भट्टी ने अपने यहां शरण दी। उनका लालन पोषण किया। जब लड़कियां बड़ी हो गईं तो उसने दो अच्छे वर ढूंढ कर उनकी शादी करने का सोचा।
शादी बहुत जल्दी-जल्दी में की गई। दुल्ला भट्टी ने आग जलाई और उसी आग के आसपास फेरे लेते हुए दोनों लड़कियों की शादी कर दी गई। कहते हैं दूल्हा भट्टी के पास दोनों बहनों को देने के लिए कुछ नहीं था इसलिए उसने दोनों की झोली में गुड़ डाला और उन्हें विदा कर दिया।
इसी कहानी को आधार मानते हुए आज लोहड़ी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। इसदिन पंजाब में पतंगबाजी करने का भी चलन है। लोहड़ी की शाम को भंगड़े और गिद्दे से खूब रौनक लगाई जाती है। लोहड़ी की कहानी पर एक गाना भी प्रचलित है:
सुंदर मुंदरिये होय ! तेरा कौन विचारा होय !
दुल्ला भट्टी वाला होय ! दुल्ले धी व्याही होय !
सेर शक्कर पाई होय ! कुड़ी दा लाल पटाका होय !
कुड़ी दा सालू पाटा होय ! सालू कौन समेटे होय !
चाचे चूरी कुटें होय ! जमींदारा लुट्टी होय !
ज़मींदार सधाए होय ! बड़े भोले आये होय !
एक भोला रह गया होय ! सिपाही पकड़ ले गया होय !
सिपाही ने मरी ईट होय ! सानू दे दे लोहरी ते तेरी जीवे जोड़ी !
भावें रो ते भावें पिट!”
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)