नयी दिल्ली: गृह मंत्रालय के उस आदेश के बाद जिसमें प्रवासी मज़दूरों को 4 मई से उनके घरों को वापस भेजने की सूचना ज़ारी की गयी है के बाद से, लॉक डॉउन के बाबजूद अफरा -तफरी का माहौल बनता नज़र आ रहा है, प्रवासी मज़दूर ग्रुपों में मंत्रणा कर रहे हैं कि यह पता लगाया जाये कि घर जाने के लिये उनको कहाँ जाना होगा, बसों के किराये का भुगतान कौन करेगा, क्योंकि उनके पास न राशन है और न पैसा, काम पहले ही छूट चुका है।
राज्यों से अभी तक जो आंकड़े मिले हैं उसके अनुसार लगभग एक करोड़ से अधिक ऐसे लोगों की संख्या अब तक आंकी जा रही है ,सरकार ने इनको बसों से गंतव्य तक भेजे जाने के आदेश जारी किये हैं ,अब सवाल उठ रहा है कि क्या मज़दूरों की इतनी बड़ी संख्या को बसों से उनके गंतव्य तक भेजा जा सकता है।
यही नहीं सरकार की ओर से कहा गया है कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुये राज्य सरकारें अपने अपने प्रदेश के प्रवासी मज़दूरों, पर्यटकों, धार्मिक सैलानियों, छात्रों को लाने के लिये बसों से वापस बुलाने की व्यबस्था करें। विभिन्न राज्यों ने नॉडल अधिकारी तो नियुक्त कर दिये लेकिन उनके पास बसों का इंतज़ाम होता नहीं दिख रहा।
राज्यों के अनेक मुख्य मंत्रियों ने पहले ही इस बात पर विरोध जताया था कि प्रवासी मज़दूरों को बसों से भेजा जाय, इनकी मांग थी कि विशेष ट्रेन चलाई जायें लेकिन गृहमंत्रालय ने आदेश जारी करते समय मुख्यमंत्रियों के सुझाव को अनदेखा करते हुये बसों से मज़दूरों को वापस भेजने का फ़रमान जारी कर दिया।
तेलंगाना ने कोशिश कर एक ट्रेन आज प्रवासी मज़दूरों को लेकर झारखण्ड के लिये रवाना कर दी, जिससे अन्य राज्य भी मोदी सरकार पर दवाब डाल रहे हैं कि उनके राज्य से भी विशेष ट्रेन चलाई जाये। कांग्रेस भी आज इन राज्यों के समर्थन में उतर आयी। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने मोदी सरकार पर सीधा हमला किया यह कहते हुये कि यह सरकार बिना किसी तैयारी के फ़रमान जारी कर देती है और बाद में उसी फ़रमान के कारण कोहराम मचता है।
सिंघवी ने सरकार से पूछा कि मज़दूरों को वापस भेजने का सरकार ने क्या ब्ल्यू प्रिंट तैयार किया है। बिहार के लिये लगभग 27 लाख ,राजस्थान 3 लाख ,गुजरात से 7 लाख असम से 5 लाख ,ओड़िसा से 10 लाख केरल और पंजाब से 9 लाख मज़दूर जाने को तैयार बैठे है यदि इनको बसों से भेजा गया तो भेजने में 3 साल लग जायेंगे। उनका मानना था एक स्थान से दूसरे स्थान तक सीधी ट्रेन चलायी जाये जो नियमों का पालन करते हुये जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग आसानी से लागू हो सकेगी और कम समय में इन मज़दूरों को गंतव्य तक भेजा जा सकेगा।