स्थानीय निकाय चुनावः 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण दिया तो चुनाव रोक देंगे?, सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को दी चेतावनी, 19 नवंबर को फिर सुनवाई

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 17, 2025 19:39 IST2025-11-17T19:38:57+5:302025-11-17T19:39:55+5:30

Local body elections: न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव 2022 की जे के बांठिया आयोग की रिपोर्ट से पहले की स्थिति के अनुसार ही कराए जा सकते हैं, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणियों में 27 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की गई थी।

Local body elections stop elections if provide more than 50% reservation Supreme Court warns Maharashtra government hearing again November 19 | स्थानीय निकाय चुनावः 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण दिया तो चुनाव रोक देंगे?, सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को दी चेतावनी, 19 नवंबर को फिर सुनवाई

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Highlightsतुषार मेहता के अनुरोध पर पीठ ने मामले की सुनवाई 19 नवंबर के लिए तय की।अदालत को अपना काम रोक देना चाहिए, तो हम चुनाव पर रोक लगा देंगे।पीठ द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा को पार करने का कभी इरादा नहीं था।

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार से कहा कि अगले महीने होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक न हो तथा चेतावनी दी कि यदि आरक्षण की सीमा का उल्लंघन हुआ, तो चुनाव पर रोक लगा दी जाएगी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव 2022 की जे के बांठिया आयोग की रिपोर्ट से पहले की स्थिति के अनुसार ही कराए जा सकते हैं, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणियों में 27 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की गई थी।

महाराष्ट्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर पीठ ने मामले की सुनवाई 19 नवंबर के लिए तय की, लेकिन राज्य सरकार से कहा कि वह 50 प्रतिशत की सीमा से आगे न बढ़े। शीर्ष अदालत ने कहा, “अगर दलील यह है कि नामांकन शुरू हो गया है और अदालत को अपना काम रोक देना चाहिए, तो हम चुनाव पर रोक लगा देंगे।

इस अदालत की शक्तियों का इम्तिहान न लें।” पीठ ने कहा, “हमारा संविधान पीठ द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा को पार करने का कभी इरादा नहीं था। हम दो न्यायाधीशों वाली पीठ में बैठकर ऐसा नहीं कर सकते। बांठिया आयोग की रिपोर्ट अब भी न्यायालय में विचाराधीन है, हमने पहले की स्थिति के अनुसार चुनाव कराने की अनुमति दी थी।”

शीर्ष अदालत ने उन याचिकाओं पर भी नोटिस जारी किया, जिनमें आरोप लगाया गया है कि कुछ मामलों में राज्य के स्थानीय निकाय चुनावों में आरक्षण 70 प्रतिशत तक पहुंच गया है। मेहता ने कहा कि नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि सोमवार है और उन्होंने शीर्ष अदालत के छह मई के आदेश का हवाला दिया, जिसने चुनाव कराने का मार्ग प्रशस्त किया था।

न्यायमूर्ति बागची ने कहा, “हम स्थिति से पूरी तरह अवगत थे। हमने संकेत दिया था कि बांठिया से पहले वाली स्थिति बनी रह सकती है। लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि सभी के लिए 27 प्रतिशत की छूट होगी? अगर ऐसा है, तो हमारा निर्देश इस अदालत के पिछले आदेश के विपरीत है। इसका मतलब यह होगा कि यह आदेश दूसरे आदेश के विपरीत होगा।”

वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह और नरेंद्र हुड्डा ने दावा किया कि 40 प्रतिशत से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा का उल्लंघन किया गया, जबकि कुछ स्थानों पर यह लगभग 70 प्रतिशत है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने मेहता से कहा कि यदि चुनाव बांठिया आयोग की सिफारिशों के अनुसार कराए गए तो मामला निरर्थक हो जाएगा।

पीठ ने कहा, “हमने कभी नहीं कहा कि आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक होगा। हमें ऐसे आदेश पारित करने के लिए मजबूर न करें, जो संविधान पीठ के आदेशों के विपरीत हों।” पीठ ने हस्तक्षेपकर्ता के आवेदन की ओर इशारा करते हुए कहा कि उनका यह कहना सही है कि अदालत के आदेशों की गलत व्याख्या की जा रही है।

मेहता ने कहा कि न्यायालय ने कहा कि यह प्रक्रिया बांठिया आयोग की सिफारिशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं के अंतिम निर्णय के अधीन जारी रह सकती है, जो अनुभवजन्य आंकड़ों पर आधारित थीं। पीठ ने कहा कि आयोग की रिपोर्ट अब भी न्यायालय में विचाराधीन है और न्यायालय ने छह मई और 16 सितंबर के अपने आदेश में केवल यही कहा था कि स्थानीय निकाय चुनाव आयोग की रिपोर्ट आने से पहले की स्थिति के अनुसार कराए जा सकते हैं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य के अधिकारी अदालत के सरल आदेशों को जटिल बना रहे हैं,

इसलिए स्थानीय निकाय चुनावों के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया स्थगित कर दी जानी चाहिए। मेहता ने आश्वासन दिया कि सब कुछ 19 नवंबर को पारित होने वाले अदालत के आदेशों के अधीन होगा। राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) द्वारा चार नवंबर को घोषित कार्यक्रम के अनुसार, महाराष्ट्र में 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों के लिए चुनाव दो दिसंबर को होंगे,

जबकि मतगणना तीन दिसंबर को होगी। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 17 नवंबर थी और 18 नवंबर को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी। 21 नवंबर तक नामांकन वापस लिए जा सकेंगे, जबकि चुनाव चिह्न और उम्मीदवारों की सूची 26 नवंबर को प्रकाशित की जाएगी। शीर्ष अदालत ने 16 सितंबर को कहा था कि लंबित परिसीमन कार्य, सभी परिस्थितियों में, 31 अक्टूबर, 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा और इस संबंध में कोई और विस्तार नहीं दिया जाएगा।

इसमें कहा गया है कि जिला परिषदों, पंचायत समितियों और नगर पालिकाओं सहित सभी स्थानीय निकायों के चुनाव 31 जनवरी, 2026 तक करा लिए जाएंगे और यह स्पष्ट किया गया है कि राज्य या राज्य निर्वाचन आयोग को इसके लिए कोई और समय विस्तार नहीं दिया जाएगा। उच्चतम न्यायालय ने छह मई को ओबीसी आरक्षण मुद्दे के कारण पांच साल से अधिक समय से रुके हुए स्थानीय निकाय चुनावों का मार्ग प्रशस्त करते हुए एसईसी को चार सप्ताह में इसे अधिसूचित करने का आदेश दिया था। भाषा प्रशांत दिलीप दिलीप

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