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वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद की तरह एमपी का भोजशाला-कमल मौला मस्जिद भी है विवादों के घेरे में, जानिए क्या है मामला

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: May 13, 2022 16:10 IST

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने एएसआई के साल 2003 के उस आदेश के खिलाफ अपील दायर की है, जिसमें एएसआई ने मुसलमानों को हर शुक्रवार को भोजशाला परिसर स्थित कमल मौला मस्जिद में नमाज़ अदा करने की अनुमति दी है। याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट हिंदुओं को भी रोजाना वाग्देवी की पूजा करने के अधिकार दे।

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ठळक मुद्देमध्य प्रदेश के धार जिले में भोजशाला स्थित मौला मस्जिद का विवाद भी हाईकोर्ट की निगहबानी में हैहिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की याचिका में मांग की गई है कि हिंदुओं को भी हर दिन वहां वाग्देवी की पूजा की इजाजत मिलेहाईकोर्ट संभवतः आगामी  27 जून को हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की याचिका पर सुनवाई कर सकता है 

धार: यूपी के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में मौजूद श्रृंगार गौरी मंदिर विवाद की तरह मध्य प्रदेश के धार जिले में भोजशाला स्थित मौला मस्जिद का विवाद भी कोर्ट की निगहबानी में आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है।

मामले में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की याचिका पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गुरुवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।

मध्य प्रदेश के भोजशाला विवाद से पहले संक्षेप में वाराणसी के विवाद को समझ लेते हैं, उसके बाद भोजशाला विवाद को समझते हैं।

वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद की पिछली दीवार से सटे श्रृंगार गौरी मंदिर में नियमित पूजा-अर्चना के लिए दिल्ली स्थित हौजखास की एक महिला रेखा शर्मा ने वाराणसी की चार अन्य महिलाओं के साथ विराणसी की कोर्ट में एक याचिका दायर की और कोर्ट से मांग की, कोर्ट उन्हें साल एक बार की जगह ज्ञानवापी मस्जिद स्थित मां श्रृगार गौरी मंदिर में रोज पूजा के लिए आज्ञा दें।

इस मामले में वाराणसी की कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए तीन एडवोकेट कमिश्नर को मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया, जिसके बाद से मामले ने तूल पकड़ लिया है और ज्ञानवापी मस्जिद का रखरखाव करने वाली इंतेजामिया कमेटी ने मामले में सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप करने के लिए अपील की है वाराणसी कोर्ट के आदेश पर स्टे लगाने की मांग की।

मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि कोर्ट मामले की सुनवाई करेगा लेकिन बिना कोर्ट आदेश की प्रति और अन्य संबंधित कागजों को देखे बिना वाराणसी कोर्ट के आदेश पर स्टे नहीं जारी करेगा।

अब बात करते हैं मध्य प्रदेश स्थित भोजशाला मस्जिद विवाद के बारे में। दरअसल यह विवाद भी वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी मंदिर की तरह है।

हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एएसआई  के साल 2003 के उस आदेश के खिलाफ अपील दायर की है, जिसमें कहा गया है कि एएसआई ने साल 2003 में अधिसूचना जारी करके मुसलमानों को भोजशाला परिसर स्थित कमल मौला मस्जिद में नमाज़ अदा करने की अनुमति दी है तो हिंदुओं के भी वाग्देवी की पूजा करने के अधिकार मिलना चाहिए।

समाचार वेबसाइट 'फर्स्ट पोर्स्ट' के मुताबिक मध्य प्रदेश की राजधानी से 250 किलोमीटर दूर स्थित भोजशाला-कमल मौला मस्जिद इसी कारण हिंदुओं और मुसलमानों के बीच विवाद का मुद्दा बनी हुई है। हिंदू इस स्थान पर वाग्देवी (देवी सरस्वती) के मंदिर होने का दावा करते हैं तो मुसलमान इसे कमल मौला मस्जिद कहते हैं।

इतिहासकारों का मत है कि परमार शासक राजा भोज ने धार में एक संस्कृत पाठशाला शुरू की थी। मान्यता है कि इसी पाठशाला में वाग्देवी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी, जो मौजूदा समय में लंदन के संग्रहालय में है।

वहीं अन्य इतिहासकार यह तर्क देते हैं कि भोजशाला स्थित कमल मौला मस्जिद का निर्माण साल 1305 में अलाउद्दीन खिलजी के गवर्नर ऐन-उल-मुल्क मुल्तानी ने सूफी संत निजामुद्दीन औलिया के शिष्य सूफी संत कमालुद्दीन मौला की याद में कराया था। कहा जाता है कि यहां पर संत कमालुद्दीन मौला की दरगाह भी है।

दस्तावेज बताते हैं कि एएसआई ने अप्रैल 2003 में एक अधिसूचना जारी करते हुए हिंदुओं को केवल बसंत पंचमी के दिन भोजशाला में वाग्देवी की पूजा करने की अनुमति दी थी, वहीं मुसलमानों को  कमल मौला मस्जिद में हर शुक्रवार को दो घंटे के लिए नमाज़ अदा करने की अनुमति मिली।

मध्य प्रदेश सरकार की ओर से आदेश जारी हुआ है कि भोजशाला में बसंत पंचमी के दिन हिंदुओं को पूजा-अर्चना के लिए सुबह से दोपहर 3.30 बजे से शाम तक और हर शुक्रवार को मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक मुसलमानों के लिए समय आरक्षित कर दिया।

हालांकि साल 2006. 2013 और 2016 को बसंत पंचमी शुक्रवार के दिन पड़ी, जिसके कारण पूरे धार में तनाव की स्थिति बनी रही। इस विवाद ने एक नया मोड़ तब ले लिया, जब हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस नाम की संस्था ने 2 मई 2022 को एएसआई के साल 2003 की अधिसूचना को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर दी और मांग की कि हिंदुओं को केवल बसंत पंचमी के दिन नहीं बल्कि हर दिन भोजशाला मंदिर में पूजा-अर्चना की अनुमति दी जाए।

हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने याचिका में संविधान के अनुच्छेद 25 का हवाला देते हुए कोर्ट से मांग की कि हिंदू समुदाय को पूरा अधिकार है कि वो भोजशाला परिसर में प्रतिदिन देवी वागदेवी की पूजा और आराधना कर सकते हैं। इसके साथ दी जनहित याचिका में कोर्ट से अपील भी की गई है कि वो भारत सरकार को आदेश जारी करे कि वो लंदन संग्रहालय में रखी गई देवी वाग्गदेवी की प्राण प्रतिष्ठित प्रतिमा को लाने और भोजशाला परिसर में पुनः स्थापित करने का आदेश दे।

याचिका में इतिहासकारों के हवाले से दावा किया गया साल 1034 में तत्कालीन शासक राजा भोज ने धार में भोजशाला बनवाई और उसमें मां वाग्देवी की पवित्र प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा करवाई थी। जिसे अंग्रेजों ने देश की पहली क्रांति के साल यानी 1857 में लंदन के संग्रहालय में भेज दिया था। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट संभवतः आगामी  27 जून को हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की याचिका पर सुनवाई कर सकता है। 

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