नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मोरेटोरियम मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि आम लोगों की दिवाली अब सरकार के हाथ में है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को 2 करोड़ रुपये तक लोन पर ब्याज की छूट के मामले में सर्कुलर जारी करने के लिए 2 नवंबर तक की डेडलाइन तय की है। नरेंद्र मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में सर्कुलर जाने के लिए एक माह का समय मांगा था।
टीओआई रिपोर्ट की मानें तो इसी मामले पर सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यदि केंद्र सरकार ने इस मामले में फैसला ले ही लिया है, तो इतना समय सरकार क्यों लगा रही है। तीन सदस्यीय पीठ के सदस्य जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि आम लोगों की दिवाली अब सरकार के हाथों में है।
इस दौरान केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने कहा कि मोरेटोरियम अवधि के लिए दो करोड़ तक के लोन पर ब्याज की छूट के मामले में 15 नवंबर तक सर्कुलर जारी कर दिया जाएगा।
इससे पहले केंद्र सरकार की तरफ से इस मामले में आरबीआई ने कोर्ट में ये कहा था-
बता दें कि इससे पहले केंद्र सरकार की तरफ से इस मामले में आरबीआई ने हलफनामा दायर किया था और कहा था कि 6 माह से अधिक की लंबी राहत लोन लेने वालों को देने पर क्रेडिट व्यवहार को प्रभावित कर सकता है और निर्धारित भुगतानों को फिर से शुरू करने में देरी से जोखिम बढ़ सकता है।
केंद्र ने कहा था कि पहले से ही सरकार ने वित्तीय पैकेजों के माध्यम से राहत की घोषणा की थी, उस पैकेज में और ज्यादा छूट जोड़ना संभव नहीं है। चक्रवृद्धि ब्याज की छूट और ऋण पर विभिन्न क्षेत्रों को राहत देने पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ये हलफनामा दाखिल किया है।
मोरेटोरियम मामले में कोर्ट ने सरकार से पहले भी कहा था कि आरबीआई के पीछे छिपकर बचें नहीं-
बीते अगस्त महीने में सुप्रीम कोर्ट ने मोरेटोरियम मामले में नरेंद्र मोदी सरकार पर सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार रिजर्व बैंक के पीछे छुपकर अपने को बचाए नहीं, इस बारे में हलफनामा दाखिल कर अपना रुख स्पष्ट करे।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि आप सिर्फ व्यापार में दिलचस्पी नहीं ले सकते। लोगों की परेशानियों को भी देखना होगा। आपको यहां बता दें कि लॉकडाउन की वजह से परेशान होकर लोगों ने मोरेटोरियम के ब्याज पर ब्याज को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
नरेंद्र मोदी सरकार ने ये भी कहा कि जनहित याचिका के माध्यम से क्षेत्र विशेष के लिए राहत की मांग नहीं की जा सकती। अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया है कि संकट समाधान के लिए उधार देने वाली संस्थाएं और उनके उधारकर्ता पुनर्गठन योजना बनाते हैं, केंद्र और आरबीआई उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं।