Child Marriages Personal Laws: बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 ‘पर्सनल लॉ’ पर प्रभावी?, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बाल विवाह से जीवनसाथी चुनने का विकल्प...
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 18, 2024 12:05 IST2024-10-18T11:58:47+5:302024-10-18T12:05:34+5:30
Child Mmarriages Personal Laws: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 सभी ‘पर्सनल लॉ’ पर प्रभावी होगा।

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Child Mmarriages Personal Laws: देश में बाल विवाह रोकथाम कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए उच्चतम न्यायालय ने कई दिशा-निर्देश जारी किए है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 सभी ‘पर्सनल लॉ’ पर प्रभावी होगा। बाल विवाह निषेध कानून में कुछ खामियां हैं। बाल विवाह से जीवनसाथी चुनने का विकल्प छिन जाता है। भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने देश में बाल विवाह रोकथाम कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कई दिशानिर्देश भी जारी किए।
Supreme Court says that addressing child marriage requires an intersectional approach especially when dealing with girl child.
— ANI (@ANI) October 18, 2024
Delivering judgment on PIL alleging rise in child marriages in the country, the Supreme Court issues a slew of guidelines for effective implementation… pic.twitter.com/MEVIBxYnHq
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम को ‘पर्सनल लॉ’ प्रभावित नहीं कर सकते और बचपन में कराए गए विवाह अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का विकल्प छीन लेते हैं। प्रधान न्यायाधीश ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि बाल विवाह की रोकथाम के कानून को ‘पर्सनल लॉ’ के जरिए प्रभावित नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि इस तरह की शादियां नाबालिगों की जीवन साथी चुनने की स्वतंत्र इच्छा का उल्लंघन हैं। पीठ ने कहा कि अधिकारियों को बाल विवाह की रोकथाम और नाबालिगों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और उल्लंघनकर्ताओं को अंतिम उपाय के रूप में दंडित करना चाहिए। पीठ ने यह भी कहा कि बाल विवाह निषेध कानून में कुछ खामियां हैं।
बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 बाल विवाह को रोकने और इसका उन्मूलन सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया था। इस अधिनियम ने 1929 के बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम का स्थान लिया। पीठ ने कहा, ‘‘निवारक रणनीति अलग-अलग समुदायों के हिसाब से बनाई जानी चाहिए।
यह कानून तभी सफल होगा जब बहु-क्षेत्रीय समन्वय होगा। कानून प्रवर्तन अधिकारियों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण की आवश्यकता है। हम इस बात पर जोर देते हैं कि इस मामले में समुदाय आधारित दृष्टिकोण की आवश्यकता है।’’