यूपी के किसानों की आय कई गुना बढ़ा सकती है लाख की खेती: बायोवेद

By भाषा | Published: June 28, 2020 07:00 PM2020-06-28T19:00:19+5:302020-06-28T19:00:19+5:30

उत्तर प्रदेश के किसानों की आय लाख की खेती कई गुना बढ़ा सकती हैं। यदि सरकार इस दिशा में आगे आए तो प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजगार के नए द्वार खुले सकते हैं।

Lakh farming can increase UP farmers income | यूपी के किसानों की आय कई गुना बढ़ा सकती है लाख की खेती: बायोवेद

बटन लाख का उपयोग हस्तशिल्प उत्पादों में और सतह कोटिंग में किया जाता है।

Highlightsइसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधन कंपनियां बायो लिपस्टिक, नेल पॉलिश आदि बनाने में करती हैं।यदि सरकार इस दिशा में आगे आए तो प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजगार के नए द्वार खुले सकते हैं।

प्रयागराज: चूड़ियां बनाने और सीलिंग की सामग्री में उपयोग तक सीमित लाख की खेती और इसके मूल्यवर्धित उत्पाद उत्तर प्रदेश के किसानों की आय कई गुना बढ़ा सकते हैं। यहां स्थित बायोवेद कृषि प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. बृजेश कांत द्विवेदी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि लाख के मूल्यवर्धित उत्पादों की विश्वभर में भारी मांग है जिसे देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने लाख को कृषि उत्पाद का दर्जा प्रदान किया है। लेकिन उत्तर प्रदेश में अब भी यह वन उत्पाद है।

उन्होंने बताया कि लाख के क्षेत्र में प्रदेश में कोई अनुसंधान नहीं किया जा रहा है और न ही कोई प्रौद्योगिकी विकसित की गई है। इसे खेती का दर्जा नहीं मिलने से कोई बैंक इसकी खेती के लिए ऋण भी नहीं देता। और सबसे दिलचस्प बात कि देश में कृषि विश्वविद्यालयों में लाख की खेती के लिए अलग से कोई पाठ्यक्रम नहीं है।

घरेलू उद्योगों में लाख की खपत बढ़ने से किसानों की रुचि इसकी खेती में बढ़ी है

द्विवेदी ने बताया कि हालांकि विभिन्न घरेलू उद्योगों में लाख की खपत बढ़ने से किसानों की रुचि इसकी खेती में बढ़ी है और वर्तमान में प्रदेश के बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, मानिकपुर, सीतापुर, हरदोई, देवरिया, गोरखपुर, प्रयागराज, कौशांबी, प्रतापगढ़ और फतेहपुर में छोटे स्तर पर लाख की खेती की जा रही है। उन्होंने बताया कि पलाश, बेर, बबूल, कुसुम, पाकड़, जंगल जलेबी, फ्लेमिनिया, अरहर पर आसानी से लाख के कीड़े ‘कैरिया लक्का’ लगाए जा सकते हैं।

लाख का कीड़ा अंडे देने के लिए एक पदार्थ पैदा करता है और उसी में अंडे देते है। यही पदार्थ बाद में सूखकर लाख बनता है। लाख चार महीने की फसल है जो साल में दो बार- जुलाई से अक्टूबर और अक्टूबर से फरवरी में ली जा सकती है। कुसुम के एक पेड़ से 10,000-15,000 रुपये मूल्य तक की लाख पैदा होती है, जबकि बेर के पेड़ से 3,000 रुपये तक की लाख पैदा हो सकती है। उन्होंने बताया कि लाख के मूल्यवर्धित उत्पादों में ब्लीच्ड लाख का उपयोग सेब पर लेप के तौर पर किया जाता है।

उपयोग सौंदर्य प्रसाधन कंपनियां बायो लिपस्टिक, नेल पॉलिश आदि बनाने में करती हैं

वहीं, इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधन कंपनियां बायो लिपस्टिक, नेल पॉलिश आदि बनाने में करती हैं। इसी तरह, बटन लाख का उपयोग हस्तशिल्प उत्पादों में और सतह कोटिंग में किया जाता है। द्विवेदी ने बताया कि कच्चे लाख से सीड लैक, बटन लैक, शेल लैक, ब्लीच्ड लैक और एल्यूरिटिक एसिड का निर्माण किया जा सकता है जोकि मूल्यवर्धित उत्पाद है।

विदेश में एल्यूरिटक एसिड का भाव 25,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक है और इसका उपयोग फार्मा एवं परफ्यूम उद्योग में होता है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में पूरे देश में लाख का उत्पादन 17,000-18,000 टन है जिसमें झारखंड का योगदान 60 प्रतिशत है, जबकि उत्तर प्रदेश का योगदान महज एक प्रतिशत है।

यदि सरकार इस दिशा में आगे आए तो प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजगार के नए द्वार खुले सकते हैं। द्विवेदी ने कहा कि लाख की खेती से पेड़ कटने से बचेंगे और लोगों की आय बढ़ेगी। इसलिए आगामी वन महोत्सव को देखते हुए सरकार को लाख की खेती वाले वृक्ष लगाने को प्रोत्साहित करना चाहिए और लघु उद्योग नीति के तहत लोगों को उद्यम लगाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। 

Web Title: Lakh farming can increase UP farmers income

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