AAP में कद घटाए जाने पर कुमार विश्वास हुए भावुक, लिखी कविता- 'आत्मप्रवंचित बौनों' का दरबार बना कर क्या पाया?
By खबरीलाल जनार्दन | Published: April 11, 2018 02:24 PM2018-04-11T14:24:05+5:302018-04-11T14:24:05+5:30
पर कतरे जाने से आम आदमी पार्टी नेता व कवि कुमार विश्वास दुखी हैं। उन्होंने एक कविता के जरिए अपने भाव व्यक्त किए हैं।
राजस्थान प्रभारी पद से हटाने जाने के बाद आम आदमी पार्टी नेता कुमार विश्वास ने पहली प्रतिक्रिया ट्विटर पर जारी की है। उन्होंने पहले एक ट्वीट में यह कविता पोस्ट की-
तुम निकले थे लेने “स्वराज”
सूरज की सुर्ख़ गवाही में,
पर आज स्वयं टिमाटिमा रहे
जुगनू की नौकरशाही में,
सब साथ लड़े,सब उत्सुक थे
तुमको आसन तक लाने में,
कुछ सफल हुए “निर्वीय” तुम्हें
यह राजनीति समझाने में,
इन “आत्मप्रवंचित बौनों” का,
दरबार बना कर क्या पाया?
इसके साथ दुखी होने का स्माइली भी जारी की। इसके साथ उन्होंने आप की अदालत कार्यक्रम दिए गए इंटरव्यू की वीडियो फुटेज भी जारी की।
इसके कुछ ही मिनटों बाद उन्होंने उसी ट्वीट के जवाब में लिखा-
हम शब्द-वंश के हरकारे,सच कहना अपनी परम्परा
हम उस कबीर की पीढ़ी,जो बाबर-अकबर से नहीं डरा
पूजा का दीप नहीं डरता,इन षड्यंत्री आभाओं से
वाणी का मोल नहीं चुकता,अनुदानित राज्य सभाओं से
जिसके विरुद्ध था युद्ध उसे,हथियार बना कर क्या पाया?
जो शिलालेख बनता उसको,अख़बार बना कर क्या पाया?
इस ट्वीट के आखिरी में भी उन्होंने दुख जाहिर करने वाली स्मामिली और निराशा व्यक्त करने वाली स्माइली जारी की।
उल्लेखनीय है कुमार यह ट्वीट आम आदमी पार्टी के उस प्रेस कॉन्फ्रेंस के तुरंत बाद आई, जिसे आशुतोष ने की। उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुमार विश्वास से राजस्थान का प्रभारी पद छीन लिया गया। आशुतोष ने बताया कि कुमार के पास वक्त की कमी है। जबकि राजस्थान चुनाव सिर पर हैं।
उल्लेखनीय है कि कुमार विश्वास के कद को लगातार पार्टी में घटाया जा रहा है। राज्य सभा ना भेजे जाने से नाराज कुमार ने केजरीवाल और पार्टी खिलाफ जहर उगले थे। उस वक्त कुमार ने पार्टी छोड़ने के भी संकेत दिए थे।
(इसे भी पढ़ेंः AAP ने कतरे कुमार विश्वास के पर, राजस्थान प्रभारी पद से हटाया)
उस दौरान एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कुमार विश्वास ने कहा था कि उन्हें आदेशों के पालन में कभी ज्यादा दिलचस्पी नहीं रही। ऐसे में अगर किसी दिन उन्हें उपेक्षित या अपमानित महसूस होगा, वह पार्टी से विदा ले सकते हैं।
तुम निकले थे लेने “स्वराज”
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) April 11, 2018
सूरज की सुर्ख़ गवाही में,
पर आज स्वयं टिमाटिमा रहे
जुगनू की नौकरशाही में,
सब साथ लड़े,सब उत्सुक थे
तुमको आसन तक लाने में,
कुछ सफल हुए “निर्वीय” तुम्हें
यह राजनीति समझाने में,
इन “आत्मप्रवंचित बौनों” का,
दरबार बना कर क्या पाया?😳https://t.co/mbG1wvgKJ0
हम शब्द-वंश के हरकारे,सच कहना अपनी परम्परा
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) April 11, 2018
हम उस कबीर की पीढ़ी,जो बाबर-अकबर से नहीं डरा
पूजा का दीप नहीं डरता,इन षड्यंत्री आभाओं से
वाणी का मोल नहीं चुकता,अनुदानित राज्य सभाओं से
जिसके विरुद्ध था युद्ध उसे,हथियार बना कर क्या पाया?
जो शिलालेख बनता उसको,अख़बार बना कर क्या पाया?😳👎 https://t.co/koUnDmuiSi