जन्मदिन विशेष: पैसे बचाने को ट्रक में सफर करते थे कुमार विश्वास, पढ़िए उनकी कुछ प्रेम से भरी कविताएं
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: February 10, 2018 01:17 AM2018-02-10T01:17:08+5:302018-02-10T01:17:29+5:30
कुमार विश्वास ने हिंदी कवि सम्मेलनों को एक नया रूप दिया है। उन्होंने साबित किया कि मंच से भी अच्छी कविता हो सकती है। 'कोई दीवाना कहता है...' ने बनाया सुपरहिट कवि।
साल 1994 में राजस्थान के एक कॉलेज में व्याख्याता (लेक्चरर) के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाले डॉक्टर कुमार विश्वास एक दिन प्रसिद्ध हिंदी कविता मंच का चेहरा बनेंगे शायद ही किसी को पता हो। ' कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है' के साथ कुमार ने हर किसी को अपना दीवाना बनाया। आज के वक्त में कुमार को कवि सम्मेलनों की रौनक समझा जाता है। कुमार ने अपने करियर के शुरुआती दिनों में कॉलेज में पढ़ाया भी है। वो पत्र-पत्रिकाओं के लिए लेख भी लिखते रहे हैं। वो जितनी सुन्दर कविताओं के रचयिता हैं उतनी ही सुन्दरता से वह अपने चाहने वालों के लिए इसे पेश भी करते हैं।
विश्वास का जन्म व शिक्षा
कुमार विश्वास का जन्म 10 फरवरी, 1970 को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जनपद के पिलखुआ में हुआ था। इनके पिता का नाम डॉ. चंद्रपाल शर्मा हैं, जो आरएसएस डिग्री कॉलेज में प्रध्यापक रहे हैं और मां का नाम रमा शर्मा है जो गृहणी हैं। वह अपने चार भाइयों में सबसे छोटे हैं। विश्वास की प्रारंभिक शिक्षा पिलखुआ के लाला गंगा सहाय विद्यालय में हुई। उन्होंने राजपुताना रेजिमेंट इंटर कॉलेज से 12वीं पास की है। इनके पिता चाहते थे कि कुमार इंजीनियर बनें। लेकिन इनका इंजीनियरिंग की पढ़ाई में मन नहीं लगता था। वह कुछ अलग करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी और हिंदी साहित्य में 'स्वर्ण पदक ' के साथ स्नातक की डिग्री हासिल की। एमए करने के बाद उन्होंने 'कौरवी लोकगीतों में लोकचेतना' विषय पर पीएचडी प्राप्त की। उनके इस शोधकार्य को वर्ष 2001 में पुरस्कृत भी किया गया।
कुमार का करियर
शुरुआती दिनों में जब कुमार विश्वास कवि सम्मेलनों से देर से लौटते थे, तो पैसे बचाने के लिए ट्रक में लिफ्ट लिया करते थे। अगस्त, 2011 में कुमार 'जनलोकपाल आंदोलन' के लिए गठित टीम अन्ना के लिए सक्रिय सदस्य रहे हैं। कुमार 26 जनवरी, 2012 को गठित टीम 'आम आदमी पार्टी' के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य हैं। कुमार विश्वास ने वर्ष 2014 में अमेठी से राहुल गांधी और स्मृति ईरानी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें बाजी नहीं मार पाए। उनकी कविताएं पत्रिकाओं में नियमित रूप से छपने के अलावा दो काव्य-संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं- 'एक पगली लड़की के बिन' और 'कोई दीवाना कहता है'। विख्यात लेखक धर्मवीर भारती ने कुमार विश्वास को अपनी पीढ़ी का सबसे ज्यादा संभावनाओं वाला कवि कहा था। प्रसिद्ध हिंदी गीतकार नीरज ने उन्हें 'निशा-नियाम'की संज्ञा दी है। कवि सम्मेलनों और मुशायरों के अग्रणी कवि कुमार विश्वास अच्छे मंच संचालक भी माने जाते हैं। देश के कई शिक्षण संस्थानों में भी इनके एकल कार्यक्रम होते रहे हैं। कुमार की लोकप्रिय कविताएं हैं- 'कोई दीवाना कहता है', 'तुम्हें मैं प्यार नहीं दे पाऊंगा', 'ये इतने लोग कहां जाते हैं सुबह-सुबह', 'होठों पर गंगा है' और 'सफाई मत देना'।
कुमार विश्वास की इश्क के माहौल वाली कविताएं पढ़ें-
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है
ओ मेरे पहले प्यार...
ओ प्रीत भरे संगीत भरे!
ओ मेरे पहले प्यार!
मुझे तू याद न आया कर
ओ शक्ति भरे अनुरक्ति भरे!
नस-नस के पहले ज्वार!
मुझे तू याद न आया कर।
मूझे पता चला मधुरे तू भी पागल बन रोती है,
जो पीङा मेरे अंतर में तेरे दिल में भी होती है
लेकिन इन बातों से किंचिंत भी अपना धैर्य नहीं खोना
मेरे मन की सीपी में अब तक तेरे मन का मोती है,
पावस की प्रथम फुहारों से
जिसने मुझको कुछ बोल दिये
मेरे आँसु मुस्कानों की
कीमत पर जिसने तोल दिये
जिसने अहसास दिया मुझको
मै अम्बर तक उठ सकता हूं
जिसने खुद को बाँधा लेकिन
मेरे सब बंधन खोल दिये
ओ अनजाने आकर्षण से!
ओ पावन मधुर समर्पण से!
मेरे गीतों के सार
मुझे तू याद न आया कर।
ओ सहज सरल पलकों वाले!
ओ कुंचित घन अलकों वाले!
हँसते गाते स्वीकार
मुझे तू याद न आया कर।
ओ मेरे पहले प्यार
मुझे तू याद न आया कर।