क्षीर भवानी मेला: हजारों कश्मीरी पंडितों ने मांगी कश्मीर वापसी की दुआ, जानिए क्या है इसका इतिहास

By सुरेश डुग्गर | Published: June 10, 2019 12:58 PM2019-06-10T12:58:27+5:302019-06-10T12:59:22+5:30

ज्येष्ठा अष्टमी को कश्मीर में तुलमुला तथा मझगांव स्थित मां क्षीर भवानी मेले में मां रागन्या को आस्था के फूल अर्पित करने के लिए सैंकड़ों कश्मीरी पंडित कई दिन पहले ही जम्मू से कूच कर गए थे। ये श्रद्धालु एसआरटीसी की बसों और निजी वाहनों में रवाना हुए थे।

Ksheer Bhavani fair: Thousands of Kashmiri Pandits demanded the return of Kashmir, about interesting facts | क्षीर भवानी मेला: हजारों कश्मीरी पंडितों ने मांगी कश्मीर वापसी की दुआ, जानिए क्या है इसका इतिहास

क्षीर भवानी मेला: हजारों कश्मीरी पंडितों ने मांगी कश्मीर वापसी की दुआ, जानिए क्या है इसका इतिहास

Highlightsकश्मीर में आतंकवाद के दौरान विकट परिस्थितियों में भी क्षीर भवानी मंदिर पहुंचने वाले पंडितों और मुस्लिम भाइयों ने आपसी प्रेम को कायम रखा है।यह मेला कमीर में हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक भी है।

हजारों कश्मीरी पंडितों ने आज ज्येष्ठा अष्टमी पर तुलमुला स्थित मां रागन्या के मंदिर में एकत्र होकर क्षीर भवानी को श्रद्धा के फूल चढ़ाए। इसी प्रकार विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने जम्मू में बनाए गए क्षीर भवानी मंदिर में भी हाजिरी लगाई। क्षीर भवानी आने वाले हजारों कश्मीरी विस्थापित पंडितों ने अपनी कश्मीर वापसी के लिए दुआ भी मांगी।

ज्येष्ठा अष्टमी को कश्मीर में तुलमुला तथा मझगांव स्थित मां क्षीर भवानी मेले में मां रागन्या को आस्था के फूल अर्पित करने के लिए सैंकड़ों कश्मीरी पंडित कई दिन पहले ही जम्मू से कूच कर गए थे। ये श्रद्धालु एसआरटीसी की बसों और निजी वाहनों में रवाना हुए थे। सबसे अहम बात तो यह थी कि इस बार भी क्षीर भवानी मेले में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं को सुरक्षा की चिंताथी। कुछ वर्षों से श्रद्धालु सुरक्षा के घेरे में मां क्षीर भवानी की पूजा-अर्चना करने के लिए जम्मू से जा रहे थे।

इस बार के मेले की खास बात यह थी कि क्षीर भवानी आने वाले कश्मीरी पंडितों ने इस बार अपनी कश्मीर वापसी की चर्चा स्थानीय मुस्लिमों के साथ की थी। उन्होंने विश्वास जताया कि वे जल्द ही कश्मीर लौट सकते हैं। मुंबई में रह रहे कश्मीरी पंडित रविन्द्र साधु का कहना था कि उन्हें कश्मीर की बहुत याद सताती है और वे वापस आने का खतरा मोल लेने को तैयार हैं।

कश्मीर में आतंकवाद के दौरान विकट परिस्थितियों में भी क्षीर भवानी मंदिर पहुंचने वाले पंडितों और मुस्लिम भाइयों ने आपसी प्रेम को कायम रखा है। इसमें बड़ी संख्या में मुस्लिम भाई लंगरों में भक्तों की सेवा करते रहे हैं। मेले के लिए को पूजा में प्रयोग लाए जाने वाले दूध, फूलों सहित अन्य जरूरी सामग्री को उपलब्ध करवाया गया था। इसके अलावा यात्रियों के ठहरने, पानी, बिजली, चिकित्सा आदि के उचित इंतजाम किए गए थे।

यह मेला कमीर में हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक भी है। इस मेले में घाटी की हिंदू आबादी के साथ ही स्थानीय मुसलमान भी बढ़-चढ़ कर शामिल होते है। यहां तक कि पूजा सामग्री से लेकर श्रद्धालुओं की सुविधा का पूरा इंतजाम भी यही लोग करते हैं।

कश्मीर में बेहतर हो रहे हालात से अब यह उम्मीद भी जगी है कि घाटी से पलायन कर चुके कई पंडित परिवार घाटी वापस लौटने का मन बना रहे हैं। घाटी के तुलमुल के क्षीर भवानी मंदिर में ज्येष्ठ अष्टमी के मौके पर देश के कोने-कोने से कश्मीरी पंडित मंदिर में पहुंचते हैं। यही वह मौका होता है जब सालों से बिछुड़े रिश्तेदार, पड़ोसी और दोस्तों से यहां मिलते हैं।

क्षीर भवानी का इतिहास

दंत कथाओं के अनुसार क्षीर भवानी माता जिसे शामा नाम से जाना जाता था, श्रीलंका में विराजमान थी। वह वैष्णवी प्रवृति की थी, लेकिन राक्षसों की प्रवृति से माता नाराज हो गई और वहां भगवान श्रीराम के आगमन पर मां ने हनुमान को आदेश दिया कि वह उन्हें सतीसर (जिसे कश्मीर भूमि कहा जाता है) में ले जाए। इस पर हनुमान मां को 360 नागों के साथ श्रीनगर ले आए। इस दौरान मां जहां जहां रुकी वहां उनकी स्थापना हुई। कश्मीर में गंदरबल जिला के तुलमुला क्षेत्र में मां क्षीर भवानी का प्रमुख मंदिर स्थापित है। इस मंदिर की महाराजा प्रताप सिंह ने स्थापना की। मंदिर के कुंड के पानी की खासियत है कि संसार में जब भी कुछ घटता है कुंड के पानी का रंग बदल जाता है। यहां कई दिन मां के मेले का आयोजन होता है।

Web Title: Ksheer Bhavani fair: Thousands of Kashmiri Pandits demanded the return of Kashmir, about interesting facts

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे