कोविड-19: झारखंड की जेलों में भीड़ कम करने के लिए 7,000 कैदियों को मिल सकता है पैरोल या जमानत

By भाषा | Published: May 23, 2021 04:56 PM2021-05-23T16:56:58+5:302021-05-23T16:56:58+5:30

Kovid-19: 7,000 prisoners can get parole or bail to reduce congestion in jails of Jharkhand | कोविड-19: झारखंड की जेलों में भीड़ कम करने के लिए 7,000 कैदियों को मिल सकता है पैरोल या जमानत

कोविड-19: झारखंड की जेलों में भीड़ कम करने के लिए 7,000 कैदियों को मिल सकता है पैरोल या जमानत

(नमिता तिवारी)

रांची, 23 मई कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच झारखंड की जेलों में भीड़भाड़ कम करने के लिए करीब 7,000 कैदियों को अंतरिम जमानत या पैरोल दी जा सकती है। एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के आलोक में यह कदम उठाया जा रहा है।

झारखंड के पुलिस महानिरीक्षक (जेल) बीरेंद्र भूषण ने पीटीआई-भाषा को बताया कि चूंकि कोरोना वायरस महामारी के आलोक में उच्चतम न्यायालय ने जेलों में भीड़ कम करने के लिए ऐसे कैदियों और विचाराधीन कैदियों को अंतरिम जमानत या पैरोल पर छोड़ने का निर्देश दिया था जिन्हें उनके संबंधित अपराधों में अधिकतम सात वर्ष की सजा मिल सकती है, इसलिए उच्च स्तरीय समिति ने जेल अधीक्षकों को ऐसे कैदियों की सूची बनाने का आदेश जारी किया था।

भूषण ने कहा, ‘‘अदालत मंजूरी देती हैं तो, ऐसे करीब सात हजार कैदी हैं जिन्हें अंतरिम जमानत दी जा सकती है। यदि ऐसा हो जाता है तो हमारे यहां के कारागार में क्षमता अनुसार कैदी ही रह जाएंगे।

झारखंड की 30 जेलों में 21,046 कैदी बंद हैं जबकि इनकी क्षमता 16,700 कैदियों को रखने की है। जेलों में फिलहाल 15,900 विचाराधीन कैदी हैं।

झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एके सिंह, प्रधान सचिव (गृह) राजीव अरूण ईक्का और आईजी जेल बीरेंद्र भूषण की उच्च स्तरीय समिति ने 17 मई को बैठक की थी और हालात का जायजा लिया था। समिति ने सभी जेल अधीक्षकों से ऐसे कैदियों की पहचान करने को कहा था जिन्हें न्यायालय के आदेश के मुताबिक रिहा किया जा सकता है।

झारखंड की 30 जेलों में सात केंद्रीय जेल हैं।

सिंह ने बताया कि रिहा किए जा सकने वाले कैदियों की पहचान के अलावा कैदियों को अधिक भीड़भाड़ भरी जेलों से कम कैदियों वाली जेलों में भेजने की भी कवायद चल रही है।

देश में कोविड-19 के मामलों में “अभूतपूर्व वृद्धि” पर संज्ञान लेते हुए उच्चतम न्यायालय ने आठ मई को जेलों में भीड़ कम करने का निर्देश देते हुए कहा कि जिन कैदियों को पिछले साल महामारी के मद्देनजर जमानत या पैरोल दी गई थी उन सभी को फिर वह सुविधा दी जाए।

देश की जेलों में बंद करीब चार लाख कैदियों और उनकी निगरानी के लिये तैनात पुलिस कर्मियों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की एक पीठ ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय के आदेश पर बनाई गई राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की उच्चाधिकार प्राप्त समितियों द्वारा पिछले साल मार्च में जिन कैदियों को जमानत की मंजूरी दी गई थी, उन सभी को समितियों द्वारा पुनर्विचार के बगैर पुन: वह राहत दी जाए, जिससे विलंब से बचा जा सके।

पीठ ने कहा, “इसके अलावा हम निर्देश देते हैं कि जिन कैदियों को हमारे पूर्व के आदेशों पर पैरोल दी गई थी उन्हें भी महामारी पर लगाम लगाने की कोशिश के तहत फिर से 90 दिनों की अवधि के लिये पैरोल दी जाए।”

पीठ ने कहा कि क्षमता से ज्यादा भरी जेलों में कोविड-19 के प्रसार को लेकर गंभीर चिंता है जहां उचित साफ-सफाई, स्वच्छता और चिकित्सा सुविधाओं का अभाव है।

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Web Title: Kovid-19: 7,000 prisoners can get parole or bail to reduce congestion in jails of Jharkhand

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