भीमा कोरेगांव हिंसाः पुलिस का दावा-सामाजिक कार्यकर्ता सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए दलितों को कर रहे थे लामबंद

By भाषा | Published: March 13, 2019 08:05 PM2019-03-13T20:05:20+5:302019-03-13T20:05:20+5:30

अपने हलफनामे में पुणे पुलिस ने दावा किया कि फरेरा और अन्य आरोपी प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन भाकपा (माओवादी) के वरिष्ठ सदस्य हैं। पुलिस ने कहा कि आरोपी कानून द्वारा स्थापित सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए इस प्रतिबंधित संगठन की गैर कानूनी गतिविधियों में सहयोग कर रहे थे और उनका प्रचार कर रहे थे।

Koregaon Bhima Violence: Activists Were Mobilising Dalits to Overthrow Government Says Police | भीमा कोरेगांव हिंसाः पुलिस का दावा-सामाजिक कार्यकर्ता सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए दलितों को कर रहे थे लामबंद

भीमा कोरेगांव हिंसाः पुलिस का दावा-सामाजिक कार्यकर्ता सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए दलितों को कर रहे थे लामबंद

महाराष्ट्र पुलिस ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि कोरेगांव-भीमा हिंसा और माओवादियों के साथ संबंध रखने के सिलसिले में गिरफ्तार किये गये सामाजिक कार्यकर्ता ‘सरकार को उखाड़ फेंकने’ के भाकपा (माओवादी) के मंसूबे को पूरा करने के लिए दलितों को लामबंद कर रहे थे।

पुणे के सहायक पुलिस आयुक्त शिवाजी पवार ने आरोपियों में एक--अरूण फरेरा की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए अदालत में दाखिल किये गये हलफनामे में यह बात कही है। पुलिस ने फरेरा के अलावा अन्य आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया था जिनमें वर्नोन गोंजालविस, सुधा भारद्वाज, वी वरवर राव, गौतम नवलखा और आनंद तेलतुम्बड़े आदि हैं।

फरेरा और गोंजालविसस ने बाद में जमानत अर्जी लगायी थी जो बुधवार को न्यायमूर्ति पी एन देशमुख के समक्ष आयी । न्यायमूर्ति ने इस पर अगली सुनवाई की तारीख पांच अप्रैल तय की है। पुलिस ने गोंजालविस की याचिका पर अभी तक हलफनामा दाखिल नहीं किया है।

अपने हलफनामे में पुणे पुलिस ने दावा किया कि फरेरा और अन्य आरोपी प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन भाकपा (माओवादी) के वरिष्ठ सदस्य हैं। पुलिस ने कहा कि आरोपी कानून द्वारा स्थापित सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए इस प्रतिबंधित संगठन की गैर कानूनी गतिविधियों में सहयोग कर रहे थे और उनका प्रचार कर रहे थे। हलफनामे के अनुसार जांच के दौरान खुलासा हुआ कि भाकपा (माओवादी) का मंसूबा राजनीतिक सत्ता हथियाना है।

उसमें कहा गया है, ‘‘इस उद्देश्य को हासिल करने की दृष्टि से संगठन लोगों को सैन्य और राजनीतिक रूप से बड़े पैमाने पर लामबंद कर न केवल पारंपरिक लड़ाई बल्कि जनयुद्ध भी छेड़ रहा है । ’’ 

पुलिस ने हलफनामे में कहा, ‘‘भाकपा (माओवाद) दलितों के बीच पार्टी को खड़ा करने का विशेष प्रयास कर रही है। वह अपने मंसूबे को हासिल करने के लिए दलितों को उनके आत्सम्मान, ऊंची जातियों की सामंती शक्तियों द्वारा भेदभाव, उत्पीड़न एवं शारीरिक हमले के विरूद्ध बड़े पैमाने पर संघर्ष के लिए लामबंद करने की कोशिश करती है। ’’ 

पुलिस ने कहा कि 31 दिसंबर, 2017 को एल्गार परिषद की बैठक में फरेरा और अन्य आरोपियों ने उत्तेजक, भड़काऊ और विद्रोही भाषण दिया तथा उसमें बड़ी संख्या में दलित संगठनों ने हिस्सा लिया।

हलफनामे में कहा गया है, ‘‘इन दलित संगठनों को भाकपा (माओवादी) के कुछ सक्रिय सदस्यों ने सुनियोजित तरीके से एक साथ लाया। भाकपा (माओवादी) के इन सदस्यों ने बैठक के लिए पैसे भी दिये।’’ 

हलफनामे में कहा गया है, ‘‘प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन भाकपा (माओवादी) के साथ मिलकर फरेरा और अन्य आरोपियों की मंशा हिंसक माध्यम से यानी अराजकता, आतंक और नफरत फैलाकर, लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई (केंद्र और राज्य) की सरकारों को गिराना है। ’’ उसमें कहा गया है, ‘‘उद्देश्य कुछ महत्वपूर्ण अधिकारियों की हत्या करना और लोगों में आतंक फैलाना है।’’ 

पुलिस के अनुसार फरेरा और अन्य आरोपियों ने धर्म, जाति और समुदाय के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य भड़काने के लिए पर्चे और पुस्तिकाएं बांटीं। परिणाम था कोरेगांव भीमा में एक जनवरी, 2018 को दंगा फैला।

Web Title: Koregaon Bhima Violence: Activists Were Mobilising Dalits to Overthrow Government Says Police

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