सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर हिंदूवादी संगठन नाराज, SC के फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतरे

By रामदीप मिश्रा | Published: October 3, 2018 10:30 AM2018-10-03T10:30:45+5:302018-10-03T10:31:06+5:30

एसएसी के फैसले के विरोध में प्रदर्शन त्रावणकोर देवासम बोर्ड (टीडीबी) के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व कांग्रेस विधायक प्रयर गोपालाकृष्णन के नेतृत्व में किया गया और उनका मानना है कि इस फैसले का विरोध करते रहेंगे। इसके लिए चाहे कुछ भी हो जाए।

kerala: people protests against Supreme court verdict on Sabarimala temple | सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर हिंदूवादी संगठन नाराज, SC के फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतरे

File: Photo

तिरूवनंतपुरम, 03 अक्टूबरःकेरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का रास्ता सुप्रीम कोर्ट (एससी) ने खोल दिया था, जिसके बाद से विभिन्न हिंदू संगठन नाराज हैं और अब वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में सड़कों पर उतरने लगे हैं। उन्होंने सूबे के तमाम शहरों में फैसले का विरोध किया है। बता दें, इससे पहले भगवान अयप्पा के ब्रह्मचारी होने का कारण बताकर महिलाओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित था। 

खबरों के मुताबिक, एसएसी के फैसले के विरोध में प्रदर्शन त्रावणकोर देवासम बोर्ड (टीडीबी) के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व कांग्रेस विधायक प्रयर गोपालाकृष्णन के नेतृत्व में किया गया और उनका मानना है कि इस फैसले का विरोध करते रहेंगे। इसके लिए चाहे कुछ भी हो जाए।

इसके अलावा प्रदर्शनों की शुरुआत करने वाले संगठनों में अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद शामिल है, जिसकी स्थापना प्रवीण तोगड़िया ने की है। तिरुवनंतपुरम में मंगलवार को कार्यकर्ता एक प्रमुख सड़क पर एकत्र हो हुए और यातायात बाधित कर दिया। हालांकि उन्होंने एंबुलेंसों और मरीजों की गाड़ियों को जाने दिया। एक महिला ने पेट्रोल छिड़क कर आत्मदाह करने का प्रयास किया। लेकिन पुलिस ने उसे बचा लिया।

प्रदर्शनकारियों ने तख्तियां ले रखी थीं जिनमें कहा गया था कि अदालत भगवान अयप्पा से बड़ी नहीं है। उन्होंने मांग की कि राज्य और केंद्र सरकार पुराने प्रतिबंध को बनाए रखने के लिए उपयुक्त कानून लागू करे। अयप्पा धर्म सेना के अध्यक्ष राहुल ईश्वर ने एक मार्च का आयोजन किया।

इस दौरान प्रदर्शनकारियों का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला अस्वीकार्य है क्योंकि प्रत्येक धार्मिक स्थान की अपनी परंपरा रही है। इसे कोर्ट के कानून द्वारा नहीं कुचला जा सकता क्योंकि यह श्रद्धालुओं की भावना को आहत करता है।

आपको बता दें, 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसमें चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी थी। इसमें चार लोगों ने बहुमत से फैसला सुनाया था, जबकि इंदु मल्होत्रा की राय अलग थी। 

कोर्ट के फैसले से पहले सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर रोक थी। सबरीमाला मंदिर की ओर से जारी किए गए आदेश में कहा गया था कि 10 वर्ष से लेकर 50 वर्ष तक की महिलाएं मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती हैं। जिन महिलाओं की उम्र 50 से अधिक है वह दर्शन के लिए आते वक्त अपने साथ आयु प्रमाण पत्र लेकर आएं।

Web Title: kerala: people protests against Supreme court verdict on Sabarimala temple

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