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सुरक्षा एजेंसियों के सामने है चिंता का विषय, दक्षिण भारत में माओवादी बना रहे हैं नया रेड कॉरीडोर?

By रामदीप मिश्रा | Updated: November 26, 2019 14:45 IST

केरल नक्सली मुठभेड़ मामलाः एनकाउंटर में मारे गए लोगों में से एक मणिवसगाम भी था, जोकि साल 2002 में तमिलनाडु के उथंगराई में हुए बम विस्फोट मामले में शामिल था। इस मामले को लेकर वह 2008 तक जेल में रहा। मामले में बरी होने के बाद उसे 2012 में अन्य मामलों में गिरफ्तार किया गया।

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ठळक मुद्देकेरल के पलक्कड़ जिले के अट्टापडी जंगलों में इस महीने की शुरुआत में सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हुई थी, जिसमें चार संदिग्ध माओवादियों को मार गिराया गया था। इस घटना के बाद एक गंभीर चिंता उभर कर सामने आई है कि दक्षिण भारत में चरमपंथी आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है। 

केरल के पलक्कड़ जिले के अट्टापडी जंगलों में इस महीने की शुरुआत में सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हुई थी, जिसमें चार संदिग्ध माओवादियों को मार गिराया गया था। इस घटना के बाद एक गंभीर चिंता उभर कर सामने आई है कि दक्षिण भारत में चरमपंथी आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है। 

खबरों के अनुसार, एनकाउंटर में मारे गए लोगों में से एक मणिवसगाम भी था, जोकि साल 2002 में तमिलनाडु के उथंगराई में हुए बम विस्फोट मामले में शामिल था। इस मामले को लेकर वह 2008 तक जेल में रहा। मामले में बरी होने के बाद उसे 2012 में अन्य मामलों में गिरफ्तार किया गया। हालांकि उसे एक साल बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया और तब से अंडर ग्राउंड था। तमिलनाडु के लगभग एक दर्जन माओवादी एक दशक से अधिक समय से लापता हैं।

आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु को लेकर सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय है कि इन सभी राज्यों में  माओवादियों की सक्रियता बढ़ी है। पिछले 10 वर्षों से माओवादियों द्वारा अपने प्रभाव क्षेत्रों को फिर से स्थापित करने के लिए लगातार प्रयास किए गए जा रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि कहीं माओवादी अपना नया 'रेड कॉरीडोर' तो नहीं बना रहे हैं।  

कहा जा रहा है कि सालों से माओवादी नेतृत्व आंध्र, तमिलनाडु और कर्नाटक से अपना कैडर वापस ले रहा है और केरल में उसे फिर से संगठित कर रहा है। वहीं, दक्षिणी राज्यों की पुलिस के साथ लगातार हुई मुठभेड़ों ने माओवादियों के आंदोलन को कमजोर किया है,  लेकिन इसने केरल के कन्नूर, पलक्कड़, वायनाड और मलप्पुरम जिलों के आदिवासी क्षेत्रों में सक्रियता और प्रभाव बढ़ाया है।

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से लगभग 230 माओवादी लापता हैं, उनमें से करीब छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा और आंध्र प्रदेश-ओडिशा सीमा में संगठन के लिए भूमिगत होकर काम कर रहे हैं। इसके अलावा तमाम माओवादियों के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।

बता दें कि केरल के पलक्कड़ जिले में हाल में अट्टापडी के पास एक मुठभेड़ में चार संदिग्ध माओवादी मारे गए थे। इस घटना के बाद तमिलनाडु में पुलिस हाई अलर्ट जारी किया गया था। राज्य में माओवादियों के संभावित घुसपैठ को रोकने के लिये सीमावर्ती राजमार्गों पर वाहनों की जांच तेज कर दी गई थी। तमिलनाडु के जंगलों के भीतर तलाश तेज की गई है और नादुगानी, सोलादी, नंबियारकुन्नु गुडालुर और पट्टावयाल में चौकियों को अलर्ट कर दिया गया था। 

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