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अपने ही भाई से 7 महीने की गर्भवती हुई नाबालिग, केरल हाईकोर्ट ने दी गर्भपात की अनुमति

By अंजली चौहान | Updated: May 22, 2023 17:21 IST

केरल में एक पिता द्वारा अपनी नाबालिग बच्ची के गर्भपात को लेकर हाईकोर्ट में अर्जी दायर की गई थी। इस याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए गर्भपात की अनुमति दे दी है।

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ठळक मुद्देकेरल हाईकोर्ट ने नाबालिग बच्ची के गर्भपात की अनुमति दी बच्ची अपने ही भाई के कारण गर्भवती हुई थीकोर्ट ने तमाम मेडिकल तर्कों को देखते हुए लिया फैसला

तिरुवनन्तपुरम: केरल उच्च न्यायालय ने सोमवार को एक केस में सुनवाई करते हुए एक नाबालिग बच्ची के गर्भपात की अनुमति दे दी है। मामला एक नाबालिग बच्ची का है जिसे उसके भाई द्वारा गर्भवती किया गया है।

लड़की सात महीने की गर्भवती है जिसे समाप्त करने की कोर्ट से अनुमति मानी गई है। 

नाबालिग लड़की के पिता ने गर्भपात कराने की मांग की थी। अदालत ने कहा कि अगर गर्भपात की अनुमति नहीं दी गई तो विभिन्न सामाजिक और चिकित्सकीय जटिलताएं पैदा होने की संभावना है।

न्यायमूर्ति जियाद रहमान की एकल पीठ ने लड़की की जांच के लिए गठित मेडिकल बोर्ड द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर निर्णय दिया, 32 सप्ताह से अधिक की गर्भावस्था को जारी रखने से 15 साल की लड़की के सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर चोट लगने की संभावना है। 

इस बात को ध्यान में रखते हुए कि नवजात बच्चा अपने ही भाई-बहन से पैदा हुआ है, विभिन्न सामाजिक और चिकित्सीय जटिलताएँ उत्पन्न होने की संभावना है। ऐसी परिस्थितियों में, याचिकाकर्ता द्वारा गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए मांगी गई अनुमति जायज है। 

मेडिकल बोर्ड ने कोर्ट में रखी राय 

मेडिकल रिपोर्ट से ये साफ है कि बच्चा गर्भावस्था की चिकित्सा समाप्ति के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से फिट है। मोडिकल बोर्ड ने यह भी कहा कि किशोर अवस्था में गर्भावस्था में गर्भावस्था की जटिलता की वजह से बच्चे का शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित होने की संभावना है।

प्री मैच्योर डिलीवरी की सभी समस्याओं के साथ एक जीवित बच्चे को जन्म देने की संभावना है इसलिए मेडिकल बोर्ड ने जरूरत पड़ने पर शिशु और उसकी देखभाल को लेकर चिंता जताई है। 

कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा कि लड़की एक जीवित बच्चे को जन्म देगी। ऐसी परिस्थितियों में भी याचिकाकर्ता अपनी बेटी के गर्भपात के लिए अनुमति चाहते हैं। 

ऐसे में अदालत ने यह आदेश दिया कि जिला चिकित्सा अधिकारी, मलप्पुरम और अधीक्षक, सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल, मंजेरी को निर्देश दिया जाता है कि वे बिना किसी देरी के याचिकाकर्ता की नाबालिग बेटी के गर्भ को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने के लिए तत्काल कदम उठाएं। 

टॅग्स :Kerala High Courtकेरलगर्भपात
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