केरल: खेल-खेल में 2 साल के बच्चे ने निगल लिया रिमोट की बैटरी, लड़के को लेकर अस्पताल दौड़े माता-पिता और फिर.....
By आजाद खान | Published: December 19, 2022 05:01 PM2022-12-19T17:01:43+5:302022-12-19T17:17:55+5:30
ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों ने बताया कि बहुत ही सही समय पर बच्चे को अस्पताल में लाया गया है और केवल 20 मिनट में ऑपरेशन कर उसके पेट से बैटरी निकाली गई है।
तिरुवनंतपुरम: केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में एक दो सला के बच्चे द्वारा रिमोट की बैटरी निगल लेने की बात सामने आई है। बताया जा रहा है कि जब बच्चे के माता पिता को इस बारे में पता चला कि रिमोट खुला हुआ है और उसकी बैटरी गायब है तो वे तुरन्त समढ गए कि बच्चे ने उसे निगल लिया है।
इस बीच बच्चे की हालत भी गंभीर होने लगी और उसे तुरन्त अस्पताल ले जाया गया है जहां उसका ऑपरेशन हुआ है और वे अब ठीक है। डॉक्टर ने बताया बच्चे का इलाज अस्पताल में जारी और अब वह खतरे से बाहर है।
ऐसे बची बच्चे की जान
यह घटना राजधानी तिरुवनंतपुरम का एक इलाके का है जहां गलती से खेल खेल में एक दो साल के बच्चे द्वारा रिमोट की बैटरी निगल लेने का मामला सामने आया है। ऐसे में जैसे ही बच्चे के माता पिता को अंदाजा हुआ कि बच्चे ने गलती से रिमोट की बैटरी निगल ली है, वे पास के एक स्थानीय अस्पताल ले गए। वहां के डॉक्टरों ने बच्चे को एनआईएमएस अस्पताल में रेफर किया है और उसके घर वालों ने अस्पताल में भर्ती कराया।
जब एनआईएमएस अस्पताल के डॉक्टरों को इस बात की खबर मिली तो उन लोगों ने जल्दी से ऑपरेशन थियेटर को अलर्ट किया और बच्चे को एनेस्थीसिया देकर उसका इलाज शुरू कर दिया था। ऐसे में केवल 20 मिनट के अंदर ही डॉक्टरों ने बच्चे का सफल ऑपरेशन कर उसकी जान को बचा लिया है। डॉक्टर का कहना है बच्चा अभी ठीक है और वह डॉक्टर के निगराने में है।
क्या है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार, खेल खेल में बच्चा गलती से एक रिमोट की बैटरी निगल लिया था जिसके बाद उसकी हालत बिगड़ने लगी थी। बताया जा रहा है कि रिमोट की बैटरी का साइज पांच सेंटीमीटर लंबी और डेढ़ सेंटीमीटर चौड़ी थी जिसे बच्चे ने निगला था। ऐसे में सही समय पर अस्पताल में लाने से बच्चे की जान बच गई है।
इस पर बोलते हुए एनआईएमएस अस्पताल के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर जयकुमार ने कहा है कि हम वक्त रहते एंडोस्कोपी के माध्यम से पेट से बैटरी को निकालने में कामयाब हुए है। उन्होंने यह भी कहा है कि अगर बच्चे को कहीं और भर्ती कराया गया होता तो उसे बचाना काफी मुश्किल हो सकता था।