मुंबई, 30 सितंबर बंबई उच्च न्यायालय ने एक टेलीविजन अभिनेत्री को अपने पांच साल के बेटे को अलग हो चुके पति को सौंपने का निर्देश देने से इनकार करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि एक बच्चे को उसकी मां के साथ रखना ज्यादा स्वाभाविक तथा उसके कल्याण व विकास के लिए अनुकूल लगता है।
न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन जे जमादार की खंडपीठ पति द्वारा दायर एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उसने अभिनेत्री को बेटे का संरक्षण उसे सौंपने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
अदालत ने बच्चे का संरक्षण पिता को सौंपने से इनकार करते हुए कहा कि ऐसी कोई सामग्री नहीं है जिससे प्रथम दृष्टया यह संकेत मिलता हो कि मां के पास मां के पास रहना बच्चे के कल्याण और विकास के लिए हानिकारक है।
अदालत ने कहा कि इतनी छोटी उम्र में बच्चे को मां के साथ की जरूरत होती है और इसलिए उसे मां के संरक्षण में रखना “बच्चे के विकास के लिए अधिक स्वाभाविक और अनुकूल” लगता है।
अदालत ने कहा, “आमतौर पर, इतनी कम उम्र के बच्चे को एक मां जितना प्यार, स्नेह, देखभाल और सुरक्षा प्रदान कर सकती है, वह पिता या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा प्रदान किए जाने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। जरूरी नहीं कि यह पिता और अन्य संबंधों की अनुपयुक्तता को दर्शाता है।”
पीठ ने हालांकि कहा कि बच्चे को माता-पिता दोनों के प्यार की जरूरत होती है और इसलिए पिता को बच्चे से संपर्क रखने की इजाजत होनी चाहिए।
अदालत ने अभिनेत्री को निर्देश दिया कि वह रोजाना वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये पिता को बच्चे से आधे घंटे तक संपर्क रखने और हफ्ते में दो बार प्रत्यक्ष रूप से उसको बच्चे से मिलने की इजाजत दे।
याचिका में पति ने अभिनेत्री पर बच्चे को अवैध तरीके से उससे दूर रखने का आरोप लगाया था।
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