मृत जानवरों की खाल रखना एमएपीए के तहत अपराध नहीं: उच्च न्यायालय

By भाषा | Updated: December 22, 2020 22:35 IST2020-12-22T22:35:38+5:302020-12-22T22:35:38+5:30

Keeping skin of dead animals is not a crime under MAPA: High Court | मृत जानवरों की खाल रखना एमएपीए के तहत अपराध नहीं: उच्च न्यायालय

मृत जानवरों की खाल रखना एमएपीए के तहत अपराध नहीं: उच्च न्यायालय

मुंबई, 22 दिसंबर बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने कहा है कि महज मृत पशु की खाल रखने से महाराष्ट्र पशु संरक्षण अधिनियम (एमएपीए) के अंतर्गत अपराध नहीं बनता।

अदालत ने मृत गायों की खाल रखने वाले एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की।

महाराष्ट्र पशु संरक्षण अधिनियम,1976 गोहत्या, खरीद-फरोख्त और गोमांस के आयात-निर्यात पर प्रतिबंध लगाता है।

न्यायमूर्ति वीएम देशपांडे और न्यायमूर्ति एएस किलोर की खंडपीठ ने शफीकुल्ला खान अशफाकुल्ला खान की याचिका पर 14 दिसंबर को यह आदेश पारित किया, जिसमें उसके खिलाफ जुलाई 2018 में एमएपीए के प्रावधानों के अंतर्गत दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया गया था।

खान की वैन से कथित तौर पर गाय की 187 खालें बरामद की गई थीं।

खान के खिलाफ बुलढाणा जिले के शिवाजीनगर पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था।

उसके खिलाफ संबंधित कानून की धारा 5ए (हत्या के उद्देश्य से राज्य के भीतर गाय, सांड अथवा बैल के परिवहन पर प्रतिबंध), 5बी (हत्या के उद्देश्य से इन पशुओं के राज्य से बाहर परिवहन पर प्रतिबंध) और 5सी (गाय, सांड या बैल के मांस को रखने पर प्रतिबंध) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

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Web Title: Keeping skin of dead animals is not a crime under MAPA: High Court

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