मायावती के एक फोन से बदल गया कर्नाटक का सीन, उड़ गई बीजेपी की नींद?
By पल्लवी कुमारी | Published: May 16, 2018 10:56 AM2018-05-16T10:56:04+5:302018-05-16T16:11:58+5:30
कर्नाटक चुनाव नतीजो में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 104 कांग्रेस 78 और जेडीएस 37, बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) एक, केपी जनता पार्टी एक को सीट मिली है। बीजेपी और जेडीएस दोनों ने राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया है।
नई दिल्ली, 16 मई: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 104 कांग्रेस 78 और जेडीएस 37, बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) एक, केपी जनता पार्टी एक को सीट मिली है। एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली है। राज्य में सरकार बनाने के लिए किसी भी दल को 112 विधायकों के समर्थन की जरूरत पड़ती है। कर्नाटक की 224 विधान सभा सीटों में से 222 सीटों के लिए 12 मई को मतदान हुआ था।
ऐसी स्थिती में किसी भी पार्टी के पास बहुमत न होने की वजह से वह सरकार नहीं बना पा रही है। हालांकि जेपी के येदियुरप्पा के बाद जेडीएस के कुमारस्वामी ने भी राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है। जिसके बाद सबकी निगाहें राज्यपाल के फैसले पर टिकी है। इस दौरान ऐसी खबरें आ रही है कि बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती ने इस पूरे मामेल में अहम भूमिका निभाते हुए बीजेपी के खिलाफ खुद सोनिया गांधी को फोन किया था।
सूत्रों के मुताबिक मायावती ने ही सोनिया और जेडीएस के मुखिया एचडी देवगौड़ा से बात करके उन्हें एक साथ आने और सरकार बनाने का सुझाव दिया था। बसपा के आंतरिक सूत्रों की मानें तो मायावती ने पार्टी के राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ को चुनाव के परिणाम आने के बाद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद से मिलने को कहा था। इसके बाद गुलाम नबी आजाद ने भी सोनिया गांधी को जेडीएस से हाथ मिलाने को कहा।
इसके बाद मायावती ने जेडीएस के देवगौड़ा से बात की और उन्हें कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए मनाया। इसेक बाद सोनिया को भी फोन करके मायावती ने बात कर जेडीएस के साथ के लिए मनाया। गौरतलब है कि बीएसपी ने चुनाव पूर्व कर्नाटक में जेडीएस के साथ गठबंधन किया था और 20 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया था। मायावती ने खुद चुनाव प्रचार के दौरान जेडीएस नेताओं के साथ मिलकर रैली भी संबोधित की थी।
संविधान विशेषज्ञों के अनुसार सरकार गठन के लिए सबसे बड़े दल या सबसे बड़े गठबन्धन को न्योता देने का विशेषाधिकार राज्यपाल के पास है। राज्यपाल वसुभाई वाला का बीजेपी से लम्बा नाता रहा है। वो गुजरात की बीजेपी सरकार में मंत्री रह चुके हैं। वसुभाई वाला का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी पुराना सम्बन्ध रहा है। नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे तो वो गुजरात विधान सभा के सदस्य नहीं थे। उन्हें विधान सभा में भेजने के लिए वसुभाई वाला ने अपनी विधायक सीट से इस्तीफा दिया था जिसके बाद नरेंद्र मोदी उस सीट से उपचुनाव जीतकर सदन में पहुंचे थे।
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