कर्नाटक: सुप्रीम कोर्ट से फैसला पक्ष में नहीं आने पर क्या है बागी विधायकों के पास विकल्प?

By विकास कुमार | Published: July 17, 2019 08:56 AM2019-07-17T08:56:56+5:302019-07-17T08:56:56+5:30

कुमारस्वामी सरकार को 18 जुलाई को सदन में विश्वास मत हासिल करना है. कांग्रेस-जेडीएस अपने विधायकों को व्हिप जारी करेंगे और स्पीकर द्वारा इस्तीफे नहीं स्वीकारने की स्थिति में इन विधायकों को पार्टी के पक्ष में मतदान करना होगा, नहीं तो इनकी सदस्यता रद्द हो सकती है चाहे सरकार बहुमत साबित कर पाए या नहीं.

Karnataka political crisis: what are the options rebel mlas have in case of SC decision not went in their favours | कर्नाटक: सुप्रीम कोर्ट से फैसला पक्ष में नहीं आने पर क्या है बागी विधायकों के पास विकल्प?

बागी विधायकों को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना सकता है.

Highlightsअभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से स्पीकर को थोड़ा और समय देने के लिए कहा. कुमारस्वामी सरकार को 18 जुलाई को सदन में विश्वास मत हासिल करना है. स्पीकर विधायकों के इस्तीफे को ज्यादा दिनों तक होल्ड नहीं कर सकते.

कर्नाटक के राजनीतिक नाटक का अंत अभी होता हुआ दिख नहीं रहा है. 18 जुलाई को विधानसभा में बहुमत साबित करने से पहले कुमारस्वामी सरकार के भविष्य के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज बहुत मायने रखने वाला है. बीते दिन भी कोर्ट में बागी विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी और कर्नाटक विधानसभा स्पीकर का पक्ष रख रहे अभिषेक मनु सिंघवी के बीच तीखी बहस हुई. 

सुप्रीम कोर्ट में बागी विधायकों के पक्ष को रहते हुए मुकुल रोहतगी ने कहा- स्पीकर विधायकों के इस्तीफे को ज्यादा दिनों तक होल्ड नहीं कर सकते. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ये तय नहीं करेंगे कि स्पीकर को क्या करना है और क्या नहीं. कोर्ट केवल संवैधानिक पक्षों को देखेगा कि स्पीकर को कौन सा निर्णय जल्द लेना चाहिए.                    

बागी विधायकों की तरफ से मुकुल रोहतगी ने कहा कि विधायक कोई ब्यूरोक्रेट या कोई नौकरशाह नहीं हैं, जो कि इस्तीफा देने के लिए उन्होंने कोई कारण बताना पड़े. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर हम आपकी बात मानें, तो क्या हम स्पीकर को कोई ऑर्डर दे सकते हैं? आप ही बताएं कि ऐसे में क्या ऑर्डर हम दे सकते हैं?  

वहीं, अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से स्पीकर को थोड़ा और समय देने के लिए कहा. 

क्या होगा बागी विधायकों का 

कुमारस्वामी सरकार को 18 जुलाई को सदन में विश्वास मत हासिल करना है. कांग्रेस-जेडीएस अपने विधायकों को व्हिप जारी करेंगे और स्पीकर द्वारा इस्तीफे नहीं स्वीकारने की स्थिति में इन विधायकों को पार्टी के पक्ष में मतदान करना होगा, नहीं तो इनकी सदस्यता रद्द हो सकती है चाहे सरकार बहुमत साबित कर पाए या नहीं. 

कुल मिला कर स्थिति 'हम तो डूबेंगे ही सनम, तुमको भी ले डूबेंगे' की बनती दिख रही है. सदस्यता रद्द होने की स्थिति में अगर बीजेपी की सरकार बनती है तो ये विधायक किसी भी प्रकार का मंत्री पद नहीं ले सकेंगे जब तक कि ये दोबारा चुन कर विधानसभा नहीं पहुंचे. यदि कुमारस्वामी की सरकार गिरती है तो ऐसे में राज्य में बनने वाली कोई भी सरकार अल्पमत में ही रहेगी जब तक कि उन सभी 16 सीटों पर दोबारा से चुनाव नहीं हो जायेगा. 

अब ऐसे में मंत्री पद का लालच और सदस्यता रद्द होने का डर विधायकों के लिए असुविधाजनक स्थिति पैदा कर रहा है. 

Web Title: Karnataka political crisis: what are the options rebel mlas have in case of SC decision not went in their favours

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