यदि वधू की उम्र 18 वर्ष से कम हो तो भी हिंदू विवाह अधिनियम के तहत शादी को अमान्य करार नहीं दिया जा सकता, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने दिया फैसला
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 25, 2023 06:43 PM2023-01-25T18:43:11+5:302023-01-25T18:45:33+5:30
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने आठ जनवरी 2015 को निचली अदालत द्वारा जारी आदेश को निरस्त करते हुए कहा, ‘निचली अदालत का आदेश विषय के उपरोक्त पहलू पर गौर करने में नाकाम रहा।’’
बेंगलुरुः कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा है कि यदि वधू की उम्र 18 वर्ष से कम हो तो भी हिंदू विवाह अधिनियम के तहत शादी को अमान्य करार नहीं दिया जा सकता।
राज्य में एक निचली अदालत ने अधिनियम की धारा 11 के तहत एक विवाह को अमान्य घोषित कर दिया था, लेकिन उच्च न्यायालय ने यह जिक्र किया कि इस धारा में वधू की उम्र 18 वर्ष होने की शर्त शामिल नहीं है। परिवार अदालत के फैसले को पलटते हुए उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति एस विश्वजीत शेट्टी की पीठ ने 12 जनवरी के अपने फैसले में कहा, ‘‘अधिनियम की धारा 11 अमान्य विवाहों से संबद्ध है।
अधिनियम यह प्रावधान करता है कि इसके लागू होने के बाद किया गया कोई भी विवाह अमान्य होगा और अदालत किसी भी पक्ष द्वारा दायर की गई याचिका पर इसे निष्प्रभावी घोषित कर सकती है, बशर्ते कि यह अधिनियम की धारा 5 के एक,चार और पांच उपबंध का उल्लंघन करता हो।’’
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘इस तरह यह स्पष्ट है कि धारा पांच के उपबंध तीन के अधिनियम की धारा 11 के परिदृश्य से विलोपित कर दिया गया है।’ यह उपबंध प्रावधान करता है कि विवाह के समय वधू की उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए। न्यायालय ने आठ जनवरी 2015 को निचली अदालत द्वारा जारी आदेश को निरस्त करते हुए कहा, ‘निचली अदालत का आदेश विषय के उपरोक्त पहलू पर गौर करने में नाकाम रहा।’’