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BJP की चाल के आगे लाख कोशिशें करने के बाद भी कुमारस्वामी नहीं बचा पाए कांग्रेस-JDS सरकार 

By रामदीप मिश्रा | Updated: July 23, 2019 20:51 IST

बीजेपी के पास अपने विधायकों की संख्या 105 थी। इसके बाद दो निर्दलीय विधायक बीजेपी के साथ आ गए, जिससे कांग्रेस-जेडीएस सरकार डामाडोल हो गई और सूबे में सत्ता से हाथ धोना पड़ा है।

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ठळक मुद्देकर्नाटक में पिछले कई दिनों से सियासी संकट चल रहा था, जोकि मंगलवार (23 जुलाई) शाम को समाप्त हो गया है। यहां सूबे की कांग्रेस-जनता दल (सेकुलर) सरकार गिर गई है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खेमे में जश्न का माहौल है और पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा का नया मुख्यमंत्री बनना तय माना जा रहा है।  

कर्नाटक में पिछले कई दिनों से सियासी संकट चल रहा था, जोकि मंगलवार (23 जुलाई) शाम को समाप्त हो गया है। यहां सूबे की कांग्रेस-जनता दल (सेकुलर) सरकार गिर गई है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खेमे में जश्न का माहौल है और पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा का नया मुख्यमंत्री बनना तय माना जा रहा है।    

इस बीच कांग्रेस के हाथ से एक और राज्य चला गया है। पार्टी को बड़ा झटका लगा है। विधानसभा में विश्वासमत के पक्ष यानि एचडी कुमारस्वामी के पक्ष में 99 वोट पड़े हैं, जबकि बीजेपी के पक्ष में 105 वोट डाले गए हैं।

बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने मंगलवार की सुबह कांग्रेस के 12 बागी को सदन में 11 बजे तक उपस्थित होने के लिए कहा था, लेकिन सभी बागी विधायकों ने निजी कारण का हवाला दिया और सदन में उपस्थित दर्ज कराने के लिए और वक्त की मांग की। उनका कहना था कि विधानसभा अध्यक्ष उन्हें मुलाकात के लिए चार सप्ताह का समय दें।

वहीं, बीजेपी के पास अपने विधायकों की संख्या 105 थी। इसके बाद दो निर्दलीय विधायक बीजेपी के साथ आ गए, जिससे कांग्रेस-जेडीएस सरकार डामाडोल हो गई और सूबे में सत्ता से हाथ धोना पड़ा है।

विश्वासमत पर हो रही वोटिंग के समय एचडी कुमारस्वामी खासे मायूस दिखाई दे रहे थे, जबकि बीजेपी खेमे में जश्न का माहौल दिखाई दे रहा था। सरकार गिरने के बाद बीएस येदियुरप्पा विक्ट्री साइन दिखाते हुए नजर आए और उन्होंने साफ कर दिया कि अब सूबे की सत्ता की चाबी उनके पास रहने वाली है। 

आपको बता दें कि विश्वासमत पर चर्चा के दौरान एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि विश्वास मत की कार्यवाही को लंबा खींचने की मेरी कोई मंशा नहीं थी।  मैं विधानसभाध्यक्ष और राज्य की जनता से माफी मांगता हूं। चर्चा चल रही है कि मैंने इस्तीफा क्यों नहीं दिया और कुर्सी पर क्यों बना हुआ हूं। जब विधानसभा चुनाव का परिणाम (2018 में) आया था, मैं राजनीति छोड़ने की सोच रहा था।

उन्होंने कहा कि राजनीति में मैं अचानक और अप्रत्याशित तौर पर आया था। मैं खुशी-खुशी यह पद छोड़ने को तैयार हूं। मेरी सरकार "बेशर्म" नहीं है।  भाषण के बाद भागने वाला नहीं हूं, हम मतदान के लिये जाएंगे और मतगणना होने देंगे। 

टॅग्स :कर्नाटक सियासी संकटएचडी कुमारस्वामीकांग्रेसजनता दल (सेकुलर)भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)बीएस येदियुरप्पा
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