बेंगलुरु: सरकार की चुनावी गारंटी योजनाओं को 'असंवैधानिक' बताने वाली एनआर नारायण मूर्ति की टिप्पणी पर सरकार ने पलटवार किया। इस पर समाज कल्याण मंत्री एचसी महादेवप्पा ने कहा कि दलितों, पिछड़ों और दबे-कुचले वर्गों को ऊपर उठाने के लिए सरकार इन योजनाओं के जरिए उन्हें संबोधित कर रही है। उन्होंने कहा कि संविधान में इन दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कई आदर्शों का उल्लेख किया गया है।
मंत्री ने आगे कहा, "इन योजनाओं पर सवाल उठाने वाले मूर्ति सामाजिक न्याय के आदर्शों के खिलाफ लगते हैं और उन्होंने संविधान विरोधी टिप्पणी की है। इन गारंटी योजनाओं से लगभग 1.3 करोड़ लोगों को लाभ हुआ है।"
डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने तंज कसते हुए कूटनीतिक जवाब देते हुये कहा कि सरकार को गरीब वर्ग और किसानों के हितों की रक्षा करनी है। मैं पूछता हूं कि सहायता के बिना लोग मूल्य वृद्धि के मुद्दे से कैसे निपटेंगे।
इसी तरह, सांस्कृतिक मंत्री शिवराज तंगदागी ने कहा, "अमीर इन गारंटी योजनाओं को स्वीकार करने में असमर्थ हैं। सरकार ने ये योजनाएं अमीर वर्ग के लिए नहीं बल्कि गरीबों के लिए लागू की हैं. और गरीब वर्ग ने इन योजनाओं को कृतज्ञतापूर्वक स्वीकार किया है।"
राज्य सरकार ने कहा, "अगर मूर्ति ने कहा होता कि पैसे का इस्तेमाल कृषि या वंचित वर्ग के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए था तो हम उनकी सराहना करते।" बता दें कि समिट में जीरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामथ के साथ बात करते हुए इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने कहा था कि मैं मुफ्त दी जा रही सेवाओं के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन लोगों को जो सरकारी सेवाएं मिलती हैं, उन्हें वापस समाज में योगदान देना चाहिए। भारत की समृद्धि के लिए दयालु पूंजीवाद ही एकमात्र समाधान है।