कर्नाटक में इस्तीफों की झड़ी, अब सरकार बचाने के लिए इस आखिरी विकल्प पर हो रहा विचार!
By आदित्य द्विवेदी | Published: July 8, 2019 01:20 PM2019-07-08T13:20:47+5:302019-07-08T13:20:47+5:30
कर्नाटक के सियासी संकट ने सोमवार को गंभीर रुख अख्तियार कर लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गठबंधन की कुमारस्वामी सरकार में कांग्रेस कोटे के सभी मंत्रियों ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है। जानें इस कदम के पीछे है क्या गणित...
कर्नाटक के सियासी संकट ने सोमवार को गंभीर रुख अख्तियार कर लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गठबंधन की कुमारस्वामी सरकार में कांग्रेस कोटे के सभी मंत्रियों ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है। इसके अलावा निर्दलीय विधायक नागेश ने भी कुमारस्वामी सरकार से समर्थन वापल लेकर बीजेपी को देने की बात कही है। इस्तीफे स्वीकार होने की सूरत में सत्तारूढ़ गठबंधन अपना बहुमत खोने की कगार पर पहुंच जाएगा। ऐसे में कांग्रेस-जेडी(एस) एक आखिरी विकल्प पर विचार कर रहे हैं।
सरकार बचाने का आखिरी विकल्प
अमेरिका से शाम को यहां पहुंचे कुमारस्वामी सीधे उस होटल में गए जहां जद(एस) विधायकों की बैठक चल रही थी। उन्होंने भाजपा के ‘‘ऑपरेशन’’ के खिलाफ विधायकों को एकजुट रहने के लिए कहा और सरकार को बचाने के तरीकों पर बातचीत की। उन्होंने बताया कि कुमारस्वामी ने बाद में कांग्रेस महासचिव वेणुगोपाल और सिद्धरमैया समेत विभिन्न कांग्रेस नेताओं से चर्चा की। सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री के साथ कांग्रेस नेताओं की बैठक में बागी विधायकों को साधने के लिए मंत्रिमंडल फेरबदल समेत सभी विकल्पों पर विचार किया जा सकता है।
क्या कारगर होगा ये कमद!
इस विकल्प पर अमल करते हुए सोमवार सुबह कांग्रेस कोटे के सभी मंत्रियों ने प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव को अपना इस्तीफा सौंप दिया। कांग्रेस को उम्मीद थी कि मंत्रियों के इस्तीफे के बाद नाराज विधायक मान जाएंगे। हालांकि बागी विधायकों की तरफ से ऐसे कोई संकेत नहीं मिले हैं और वो इस्तीफा वापस ना लेने पर अड़े हुए हैं। विधायक अभी भी मुंबई के होटल में मौजूद हैं जहां निर्दलीय विधायक नागेश भी थोड़ी देर में पहुंच जाएंगे।
सिद्धारमैया पर सवाल
कर्नाटक के ताजा राजनीतिक घटनाक्रम के लिए बीजेपी ने सिद्धारमैया पर सवाल उठाए हैं। दूसरी तरफ सिद्धरमैया ने आरोप लगाया, ‘‘ यह भाजपा कर रही है। यह उनका धनबल है जो मौजूदा गतिरोध के लिए जिम्मेदार है। भाजपा अपने पाले में विधायकों को शामिल करने के लिए उन्हें लालच दे रही है। वे विधायकों को पैसों की पेशकश कर रहे हैं और मंत्री पद नहीं मिलने की नाराज़गी का दोहन कर रहे हैं।’’
येदियुरप्पा के लिए मौका
भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येद्दियुरप्पा ने कहा कि पार्टी राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रखे हुये है और पार्टी ‘‘संन्यासी’’ नहीं है कि वह सरकार बनाने की संभावना से इंकार कर दें। मध्यावधि चुनाव की किसी भी संभावना को खारिज करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘विधानसभा चुनाव हुए महज 13 महीने हुए हैं और हम चुनाव होने नहीं देंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उनको (गठंधन) को अच्छा प्रशासन देने दीजिए। अगर वे नहीं दे सके तो हम 105 विधायकों की संख्या के साथ वहां है। अभी हम राज्यपाल से मुलाकात नहीं करेंगे या दिल्ली नहीं जाएंगे। हम घटनाक्रमों पर नजर रख रहे हैं।’’
क्या है सरकार बचाने का गणित
डीके शिवकुमार, जी परमेश्वरा और सिद्धारमैया अभी भी सरकार बचने की कवायद लगाने में जुटे हुए हैं। विधायकों के लौटने का दावा किया जा रहा है। ऐसे में कर्नाटक विधानसभा का गणित समझना जरूरी है। राज्य में कुल 224 विधायकों की संख्या है।
राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा में सत्ताधारी गठबंधन का संख्या बल विधानसभा अध्यक्ष के अलावा 118 (कांग्रेस-78, जद(एस)-37, बसपा-1 और निर्दलीय-2) है। बहुमत के लिए 113 विधायकों की जरूरत है लेकिन 13 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद कुमारस्वामी की सरकार अल्पमत में आ गई है।
वहीं, एक निर्दलीय विधायक नागेश के इस्तीफे के बाद सरकार के पास अब कुल 104 विधायक बचे हैं। बीजेपी के पास कुल 105 विधायक हैं। ऐसे में निर्दलीय विधायकों के साथ और सिंगल लार्जेस्ट पार्टी होने के नाते बीजेपी सरकार बनाने का दावा कर सकती है। नागेश ने बीजेपी को समर्थन देने का एलान किया है।
समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से इनपुट्स लेकर