कर्नाटक में स्कूल की पुस्तकें संशोधित की गईं, पेरियार और कर्नाड सैलेबस में वापस, सनातन धर्म पर लिया ये फैसला

By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: March 6, 2024 07:43 PM2024-03-06T19:43:11+5:302024-03-06T19:44:17+5:30

आठवीं से दसवीं कक्षा के लिए कन्नड़ पाठ्यपुस्तकों में पी लंकेश के निबंध के साथ-साथ गिरीश कर्नाड ('अधिकारा') और देवनूर महादेवा ('यादेगे बिड्डा अक्षरा') के कार्यों और एसजी नरसिम्हाचार के 'गोविना चरित्र' (गाय का चरित्र) के अध्यायों को जोड़ा गया है।

Karnataka government has made its final revision to textbooks Periyar and Karnad back in syllabus Sanatan Dharma | कर्नाटक में स्कूल की पुस्तकें संशोधित की गईं, पेरियार और कर्नाड सैलेबस में वापस, सनातन धर्म पर लिया ये फैसला

(फाइल फोटो)

Highlightsसनातन धर्म को "उचित विवरण" देने का फैसला किया हैगिरीश कर्नाड, पेरियार और देवानूर महादेव जैसे प्रगतिशील लेखकों के कार्यों को सैलेबस में वापस लाया कांग्रेस सरकार ने टीपू सुल्तान से संबंधित कुछ भी न जोड़कर खुद को एक बड़े टकराव से बचा लिया

बेंगलुरू: कर्नाटक सरकार ने कक्षा 1 से 10 तक की पाठ्यपुस्तकों में कन्नड़ पहली भाषा और दूसरी भाषा के लिए अपना अंतिम संशोधन किया है। कन्नड़ तीसरी भाषा के लिए कक्षा 9 और 10 तथा 6ठवीं से 10वीं तक सामाजिक विज्ञान विषय में संशोधन किया गया है।

कई बदलावों के बीच राज्य सरकार ने एक अध्याय में सनातन धर्म को  "उचित विवरण" देने का फैसला किया है और गिरीश कर्नाड, पेरियार और देवानूर महादेव जैसे प्रगतिशील लेखकों के कार्यों को सैलेबस में वापस लाया है।

इन लेखकों को पहले रोहित चक्रतीर्थ के तहत पाठ्यपुस्तक संशोधन समिति द्वारा हटा दिया गया था जिसका गठन बसवराज बोम्मई के तहत पिछली भाजपा सरकार ने किया था। अब विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस की सरकार बनने के बाद पैनल ने पाठ्यपुस्तकों में किए गए सभी सुधारों को बरकरार रखा है। हालाँकि कांग्रेस सरकार ने टीपू सुल्तान से संबंधित कुछ भी न जोड़कर खुद को एक बड़े टकराव से बचा लिया है। 

कुछ प्रमुख परिवर्तनों में सिंधु-सरस्वती सभ्यता अध्याय का नाम बदलकर 'प्राचीन भारतीय सभ्यता-सिंधु-सरस्वती सभ्यता' रखा जाना और वेद कला, सनातन धर्म का उचित विवरण दिया जाना शामिल है। साथ ही आठवीं कक्षा की इतिहास की पाठ्यपुस्तक में जैन और बौद्ध धर्मों की उत्पत्ति को जोड़ा गया है और वीरशैव संप्रदाय के मूल्यों को बसवडी और शिवशरण मूल्यों का नाम दिया गया है।

आठवीं से दसवीं कक्षा के लिए कन्नड़ पाठ्यपुस्तकों में पी लंकेश के निबंध के साथ-साथ गिरीश कर्नाड ('अधिकारा') और देवनूर महादेवा ('यादेगे बिड्डा अक्षरा') के कार्यों और एसजी नरसिम्हाचार के 'गोविना चरित्र' (गाय का चरित्र) के अध्यायों को जोड़ा गया है। 

भाजपा ने संशोधित मसौदे का विरोध करते हुए इसे लोगों में भ्रम पैदा करने की कांग्रेस की कोशिश बताया है। बीजेपी ने कहा है कि "वे कर्नाटक के लोगों के संविधान, आस्था और विश्वास का सम्मान नहीं करते हैं। वे अराजकता, भ्रम और ध्रुवीकरण पैदा करना चाहते हैं। वे उस सनातन धर्म का सम्मान नहीं करते हैं जिसमें हम विश्वास करते हैं, इसलिए वे लोगों को इसके खिलाफ भड़काने की कोशिश कर रहे हैं।" 

पूर्व उच्च ने कहा शिक्षा मंत्री सीएन अश्वथ नारायण ने कहा कि ऐसा करके वे भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं और सनातन धर्म के खिलाफ काम कर रहे हैं। हम इसकी निंदा करते हैं और कांग्रेस सरकार को बेनकाब करेंगे और जागरूकता बढ़ाएंगे। हम पाठ्यक्रम का पुरजोर विरोध करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि समावेश न हो। 

समिति ने कश्मीर के कर्कोटा राजवंश के साथ-साथ अहोम राजवंश के बारे में अध्याय को छोटा कर दिया है। जबकि कक्षा 9 के लिए इतिहास की पाठ्यपुस्तक में कनक दास, पुरंदर दास और शिशुनाला शरीफ जैसे दार्शनिकों और संतों के बारे में अतिरिक्त जानकारी है।

दसवीं कक्षा की इतिहास की पाठ्यपुस्तक में सामाजिक कार्यकर्ताओं सावित्रीभाई फुले और पेरियार के बारे में उद्धरण दिए गए हैं। सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम में 'वैदिक काल की संस्कृति' और 'नए धर्मों का उदय' जैसे स्थायी समावेश हैं। मानवाधिकारों के साथ-साथ मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों के अध्याय के अंतर्गत बाल अधिकारों की जानकारी भी जोड़ी गई है। बसवेश्वर को सांस्कृतिक प्रतीक कहा गया है।

Web Title: Karnataka government has made its final revision to textbooks Periyar and Karnad back in syllabus Sanatan Dharma

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