कर्नाटक: कांग्रेस सरकार ने कृषि उपज बिक्री को विनियमित करने के लिए विधेयक को पेश किया

By अनुभा जैन | Published: July 6, 2023 03:29 PM2023-07-06T15:29:14+5:302023-07-06T15:29:54+5:30

कृषि विपणन मंत्री शिवानंद पाटिल ने तर्क दिया कि खुले बाजार या बाजार प्रांगण के बाहर व्यापार के कारण, व्यापारियों द्वारा किसानों का शोषण होने की संभावना है क्योंकि कोई नियामक तंत्र मौजूद नहीं है।

Karnataka Congress government introduces bill to regulate agriculture produce sale | कर्नाटक: कांग्रेस सरकार ने कृषि उपज बिक्री को विनियमित करने के लिए विधेयक को पेश किया

फोटो क्रेडिट- फाइल फोटो

बेंगलुरु: पशुपालन मंत्री के.वेंकटेश ने बीजेपी एमएलसी एन. रवि कुमार द्वारा बुधवार को विधान परिषद में प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए सवाल पर एक लिखित बयान के माध्यम से जवाब दिया। मंत्री के.वेंकटेश  ने कहा कि अभी भी विश्लेषण और चर्चा की जा रही है, लेकिन कर्नाटक गोहत्या रोकथाम और मवेशी रोकथाम अधिनियम 2020 को रद्द करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।

बयान जारी करने के बावजूद बीजेपी एमएलसी ने विरोध जताया और कानून के लिए सरकार की कार्य योजना के बारे में और अधिक स्पष्टता की मांग की और यह भी कहा कि पशु वध को रोकने के लिए अधिनियम को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए जिससे गायों का अवैध परिवहन भी समाप्त होगा।

साथ ही, भाजपा सदस्यों ने मंत्री की उस टिप्पणी पर भी आपत्ति जताई, जिसमें उन्होंने कहा था, “अगर भैंसों का वध किया जा सकता है, तो गायों का क्यों नहीं?“ बीजेपी सदस्यों ने मंत्री से स्पष्टीकरण मांगा। मंत्री द्वारा इस मुद्दे पर बोलने से इनकार करने पर, भाजपा सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन किया, वेल में आ गए और परिषद के अध्यक्ष बसवराज होराट्टी को सदन स्थगित करने के लिए मजबूर किया।

रविकुमार ने सरकार पर आरोप लगाया कि हजारों गायों को अवैध रूप से ले जाया गया और मार दिया गया लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। सदस्यों को शांत करने और सत्तारूढ़ सरकार और भाजपा सदस्यों के बीच तीखी बहस को रोकने के लिए होराट्टी ने सदन को दोपहर तक के लिए स्थगित कर दिया।

यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि यह अधिनियम 2020 में भाजपा सरकार द्वारा अधिनियमित किया गया था जिसमें कानून उल्लंघन करने पर सख्त दंड के साथ कर्नाटक में मवेशी वध, व्यापार और परिवहन पर प्रतिबंध लगाता है और गंभीर रूप से बीमार मवेशियों और 13 वर्ष से अधिक आयु के भैंसों को इससे छूट दी गई है।

इस कानून के कारण किसानों को इन जानवरों के उपयोग के लायक ना होने पर उनकी देखभाल करने या यूं ही छोड़ देने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

इसके अलावा विधान सभा में, सत्तारूढ़ सरकार ने बुधवार को कृषि उपज की बिक्री को विनियमित करने के लिए “कर्नाटक कृषि उपज विपणन (विनियमन और विकास) विधेयक 2023” नामक एक विधेयक पेश किया नया विधेयक कृषि उपज विपणन समिति अधिनियम में उन संशोधनों को वापस लेगा या निरस्त कर देगा जो तीन साल पहले पूर्ववर्ती भाजपा शासन द्वारा पेश किए गए थे। वर्तमान कानून किसानों पर से प्रतिबंध हटाता है और इसमें किसान कृषि उपज का व्यापार कहीं भी, बाजार प्रांगणों के बाहर भी कर सकते है।

बिल को किसानों से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिल रही है लेकिन व्यापारी समुदाय इसका समर्थन कर रहा है। गौरतलब है कि कई किसान संगठन कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) संशोधन कानून या किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे थे। चुनावी घोषणा पत्र में कांग्रेस सरकार ने किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने का वादा किया था।

कृषि विपणन मंत्री शिवानंद पाटिल ने तर्क दिया कि खुले बाजार या बाजार प्रांगण के बाहर व्यापार के कारण, व्यापारियों द्वारा किसानों का शोषण होने की संभावना है क्योंकि कोई नियामक तंत्र मौजूद नहीं है। इस कानून से सरकार के राजस्व पर असर पड़ा है।

विधेयक में आगे कहा गया है कि किसानों को एकीकृत बाजार मंच के तहत बेचे जाने वाले अपने उत्पादों के लिए प्रतिस्पर्धी और उचित मूल्य मिलेगा। कांग्रेस सरकार ने दावा किया कि किसानों को अन्य स्थानों या बाजारों में मौजूद कीमतों के बारे में जानकारी नहीं होती है। और, इसलिए, वे अपनी उपज के मूल्य निर्धारण के संबंध में सही निर्णय नहीं ले पाते हैं।

Web Title: Karnataka Congress government introduces bill to regulate agriculture produce sale

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