पिछली सरकार के दौरान हुए फोन टैपिंग केस CBI को सौंपेंगी येदियुरप्पा सरकार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 18, 2019 10:58 AM2019-08-18T10:58:03+5:302019-08-18T10:58:03+5:30
पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने फोन टैपिंग केआरोपों को खारिज करते हुए ट्वीट में लिखा- 'मैंने सबसे पहले कहा था कि मुख्यमंत्री का पद स्थायी नहीं होता। मुझे सत्ता में रहने के लिए फोन टैप कराने की कोई जरूरत नहीं थी।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा ने कहा कि पिछली सरकार के दौरान हुए फोन टैपिंग मामले को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपा जाएगा। कांग्रेस विधायक दल के नेताओं सहित कई अन्य नेताओं ने इस मामल में जांच की मांग की है।
कर्नाटक में नई सरकार के गठन के बाद से ही फोन टैपिंग का मामले में लगातार जांच की मांग उठ रही थी। जेडीएस के पूर्व नेता एएच विश्वनाथ ने पूर्व की जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार पर कई नेताओं के फोन टैपिंग और जासूसी करने के आरोप लगाए थे। विश्वनाथ खुद पूर्व की एचडी कुमारस्वामी सरकार का हिस्सा थे।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए ट्वीट में लिखा- 'मैंने सबसे पहले कहा था कि मुख्यमंत्री का पद स्थायी नहीं होता। मुझे सत्ता में रहने के लिए फोन टैप कराने की कोई जरूरत नहीं थी। मेरे खिलाफ लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं।'
कर्नाटक में 22 दिनों से अकेले सरकार चला रहे मुख्यमंत्री बी.एस.येदियुरप्पा को अंतत: शनिवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से 20 अगस्त को मंत्रिमंडल विस्तार करने की हरी झंडी मिल गई। मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया- भाजपा विधायक दल की बैठक मंगलवार को सुबह 10 बजे विधान सौध के सभागार में होगी। उसी दिन दोपहर को मंत्रिमंडल विस्तार होगा।
येदियुरप्पा ने गुरुवार को दिल्ली के लिए रवाना होने से पहले कहा था कि वह अमित शाह से बात कर लंबित मंत्रिमंडल विस्तार को अंतिम रूप देंगे। भाजपा सूत्रों ने कहा कि संभावना है कि 13 मंत्री मंगलवार को पद और गोपनीयता की शपथ लें। राज्य में मंत्रियों की अधिकतम संख्या 34 हो सकती है और ऐसे में बाकी मंत्रियों को बाद में मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि मंत्रिमंडल विस्तार में देरी हुई, क्योंकि पार्टी संभावित मंत्रियों के नामों को तय नहीं कर पा रही थी। पहले भी इस मुद्दे पर चर्चा के लिए येदियुरप्पा दिल्ली गए थे लेकिन अंतिम फैसला नहीं हो पाया।
पार्टी सूत्रों ने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती जातीय समीकरण है। पार्टी के कुल विधायकों में 39 लिंगायत समुदाय से आते हैं और स्वयं मुख्यमंत्री इसी समुदाय से हैं। लिंगायत भाजपा के सबसे बड़े समर्थक हैं। लिंगायत के बाद वोक्कालिगा हैं।
इस समुदाय के प्रमुख चेहरों में आर अशोक, डॉ.सीएन अश्वथ नरायाण, सीटी रवी और एसआर विश्वनाथ शामिल हैं। पार्टी को मंत्रिमंडल में दलित समुदाय, अनुसूचित जनजाति, ब्राह्मण और अन्य पिछड़ी जातियों को प्रतिनिधित्व देना होगा।
पिछली कांग्रेस-जदस सरकार के अयोग्य करार दिए गए 17 विधायकों को भी सरकार में समायोजित किया जा सकता है। कांग्रेस और जेडीएस मंत्रिमंडल विस्तार में हो रही देरी को लेकर भाजपा की ओलाचना कर रही है और येदियुरप्पा पर एक व्यक्ति की सरकार चलाने का आरोप लगाया गया है। येदियुरप्पा ने 26 जुलाई को चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और 29 जुलाई को विधानसभा में विश्वासमत हासिल किया था।