बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच चल रहा सत्ता के लिए संघर्ष मतदान का समय नजदीक आने के साथ और रोचक होता जा रहा है। इस बीच कांग्रेस ने शुक्रवार को चुनाव आयोग से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ दिये जा रहे कथित बयानों का संज्ञान लेने और उनका चुनावी प्रचार प्रतिबंधित किये जाने की अपील की है।
इस संबंध में कांग्रेस नेता अभिषेक सिंघवी, पवन कुमार बंसल और मुकुल वासनिक सहित कई कांग्रेस नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों से मुलाकात की और चुनाव आयोग से कर्नाटक में सभी राजनीति दलों को चुनावी प्रचार के धर्मनिरपेक्ष और समान अवसर सुनिश्चित करने का अनुरोध किया।
कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग के अधिकारियों से मिलने के बाद पत्रकारों के सामने आरोप लगाया कि अमित शाह और आदित्यनाथ ने कर्नाटक में भाजपा को चुनावी लाभ पहुंचाने के लिए "झूठे", "पक्षपातपूर्ण" और "सांप्रदायिक" प्रचार कर रहे हैं। इसलिए कांग्रेस पार्टी मांग करती है भाजपा के इन दो वरिष्ठ नेताओं के चुनाव प्रचार पर फौरन प्रतिबंध लगाया जाए।
मालूम हो कि अमित शाह द्वारा बीते मंगलवार को कर्नाटक के एक चुनावी सभा में कहा गया था कि अगर कर्नाटक में कांग्रेस सत्ता में आई तो यहां पर परिवारवाद की राजनीति होगी और राज्य में भारी दंगों होंगे। कांग्रेस ने अमित शाह के बयान को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई। इस मामले में कर्नाटक कांग्रेस के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि अमित शाह देश के पहले गृह मंत्री हैं, जिनके पास कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी है, बावजूद उसके वो एक राज्य में दंगे होने की बात कह रहे हैं।
कांग्रेस नेता सुरजेवाला ने कहा कि दरअसल अमित शाह गुजरात मॉडल का जिक्र कर रहे हैं, जैसा की उन्होंने 2002 में गुजरात में किया। अब वो कर्नाटक की जनता को खुलेआम धमकी दे रहे हैं कि अगर चुनाव में भाजपा हारी तो यहां पर दंगे होंगे, लेकिन वो जान लें कि कर्नाटक की जनता ने मन बना लिया है कि 40 फीसदी कमीशन वाली भाजपा सरकार को चलता करके रहेगी।