कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018: बीजेपी का कर्नाटक चुनाव प्रचार का मास्टर प्लान
By खबरीलाल जनार्दन | Published: April 12, 2018 08:10 AM2018-04-12T08:10:51+5:302018-06-16T10:44:21+5:30
कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 के लिए बीजेपी ने यूपी की तर्ज पर मास्टर प्लान बनाया है, जिसमें 30 केंद्रीय मंत्रियों, 224 सासंदों समेत करीब 9,50,000 लाख कार्यकर्ताओं की तैनाती की जा रही है।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बूते नहीं लड़ने जा रही। इसके लिए पार्टी ने एक व्यापक प्लान बनाया है। इसे बीजेपी का मास्टर प्लान कहा जा रहा है। इसमें कर्नाटक के एक-एक मतदाता पर नजर रखने के लिए बीजेपी ने अपने लोग नियुक्त किए हैं।
हालिया मामला अर्ध पन्ना प्रमुखों की तैनाती का है। बीजेपी ने इसी सप्ताह कर्नाटक में अर्ध पन्ना प्रमुखों की नियुक्ति की है। ये प्रमुख वोटर लिस्ट के हिसाब से तय किए गए हैं। जानकारी के अनुसार हर 50 वोटर पर एक अर्ध पन्ना प्रमुख तैनात किया जा रहा है।
लेकिन इसी बात को थोड़े करीब से देखा जाए तो हम पाएंगे कि बीजेपी ने अपने चुनाव प्रचार की जड़ें गहरे जमाई हैं। केवल पन्ना प्रमुखों के आंकड़े पर जाएंगे तो प्रदेश में 4.96 करोड़ मतदाता हैं। यानी बीजेपी ने 9.92 लाख से ज्यादा अर्ध पन्ना प्रमुख तैनात किए जा रहे हैं। लेकिन ये बीजेपी के प्रचार तंत्र की सबसे छोटी इकाई हैं। आइए एक नजर बीजेपी के कर्नाटक मास्टर प्लान पर डालें। बीजेपी के प्रचार की द्विस्तरीय तैयारी है। (जरूर पढ़ेंः कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018: ना बीजेपी, ना कांग्रेस, जेडीएस बनाएगी कर्नाटक में सरकार और ये होंगे मुख्यमंत्री!)
कर्नाटक के लिए BJP का मास्टर प्लान (लेवन-1)
केंद्रीय मंत्री | कर्नाटक के सभी 30 जिलों के लिए 30 केंद्रीय मंत्री तैनाती की तैयारी |
चुनाव प्रबंधक | मुरलीधर राव (राष्ट्रीय महासचिव) |
चुनाव क्षेत्र प्रभारी | सभी 224 सीटों पर 224 सांसदों की तैनाती की तैयारी |
एरिया प्रमुख | 224 विधायक उम्मीदवार तैनात |
बूथ प्रमुख | 50,000 से बूथ प्रमुख तैनात |
पन्ना प्रमुख | 9,92,000 पन्ना प्रमुख तैनात |
अर्ध पन्ना प्रमुख | 80,000 अर्ध पन्ना प्रमुख तैनाती जारी |
अब जरा इन आंकड़ों के मायने पर नजर डालते हैं और इनकी कार्य प्रणाली को समझते हैं कि आखिरी बीजेपी 224 सीटों वाले इस प्रदेश में करीबन 10 लाख लोगों की टीम रोजाना कैसे मैनेज करती है।
कर्नाटक चुनाव में बीजेपी के केंद्रीय मंत्री
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बीजेपी इस बार कर्नाटक के सभी 30 जिलों का जिम्मा अपने 30 केंद्रीय मंत्रियों को सौंपने जा रही है। ये उम्मीदवारों के चयन, चुनाव बाद प्रदेश में सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। चुनाव प्रचार के दौरान ये चुनाव प्रबंधक मुरलीधर राव से वस्तुस्थिति की जायजा लेते रहेंगे और उन्हें निर्देश देते रहेंगे। इनकी जवाबदेही सीधे राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को होगी।
कर्नाटक चुनाव में बीजेपी के चुनाव प्रबंधक मुरलीधर राव
ये वो प्रमुख शख्स हैं, जिनके ऊपर कर्नाटक में भगवा पताका लहराने का पूरा जिम्मा है। ये चुनाव प्रबंधक हैं। इन्हें अपने ऊपर के पूरे संगठन के गणमान्यों से निर्देश लेकर उस पर रणनीति को तैयार करके अपने नीचे लाखों की टीम तक उस रणनीति को लागू कराने का पूरा जिम्मा होता है। (जरूर पढ़ेंः कर्नाटक चुनाव से पहले मायावती की बड़ी घोषणा, अखिलेश यादव के साथ मिलकर लड़ेंगी अगला लोक सभा चुनाव)
बीजेपी के चुनाव जीतने-हारने में इस पद आसिन शख्स की बड़ी भूमिका होती है। आजाद भारत में पहली बार त्रिपुरा में कमल खिलाने वाले सुनील देवधर की यही भूमिका थी। यह क्षेत्र में चुनाव के तीन से पहले ही आ जाते हैं और बेहद महीन काम करते हैं। इनके नीचे क्षेत्र प्रभारी और एरिया प्रमुख, जो कि आमतौर पर सीधा वह उम्मीदवार होता है, प्रबंधक को उससे लगातार जुड़े रहना होता है।
कर्नाटक चुनाव में बीजेपी के चुनाव क्षेत्र प्रभारी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बीजेपी अपने 224 सांसदों को कर्नाटक चुनाव में चुनाव क्षेत्र प्रभारी का जिम्मा सौंपने जा रही है। इनका काम रोजाना एरिया प्रमुख (बीजेपी के एमएलए उम्मीदवार होंगे) से उन रणनीतियों के लागू होने का जायजा लेंगे जो उन्हें चुनाव प्रबंधक की ओर बताई जाएंगी। ये ना तो इससे नीचे वाले कार्यकर्ताओं को बेजा परेशान करेंगे ना ही चुनाव प्रबंधन के ऊपर दखलअंदाजी करेंगे। (जरूर पढ़ेंः कर्नाटक चुनाव 2018: अंतिम सर्वे में BJP से ज्यादा सीटें कांग्रेस को, JDS के बिना नहीं बनेगी सरकार)
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी के एरिया प्रमुख
ये बीजेपी के वही 224 उम्मीदवार होंगे जिनकी घोषणा आने वाले दिनों में की जाएगी। बीजेपी ने अब 72 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। ऐसे में 72 एरिया प्रमुख तय हो गए हैं। इनका काम चुनाव क्षेत्र प्रभारी और मुख्य तौर पर चुनाव प्रबंधक मुरलीधर राव से अपने क्षेत्र पर रोजाना आधारित गतिविधियों को सक्रिय रूप आगे बढ़ाने का है। ये सीधे पन्ना प्रमुखों से नहीं जुड़ते, बल्कि उसके बजाए बूथ प्रमुखों को तरजीह देते हैं। (कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 की ताजा तरीन खबरें लिए यहां क्लिक करें)
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी के बूथ प्रमुख
कनार्टक में साल 2013 में 52034 पोलिंग बूथ थे। तब कर्नाटक के मतदाताओं की संख्या 4.36 करोड़ थी। इस बार प्रदेश में वोटरों की संख्या बढ़कर 4.96 हो गई है। ऐसे में पोलिंग बूथ भी पहले से ज्यादा होंगे। बीजेपी ने इसकी तैयारी पहले से कर रखी है। पार्टी ने पहले से ही 50 हजार से ज्यादा बूथ प्रमुख तैनात कर रखे हैं। इनका काम एरिया प्रमुख से रोजाना संपर्क में रहना होता है। साथ ही पन्ना प्रमुखों से मिली जानकारी को एरिया प्रमुखों तक पहुंचाना। फिर एरिया प्रमुखों की ओर से रणीनीति को उसी रूप में नीचे लागू कराना।
कर्नाटक चुनाव में बीजेपी के पन्ना प्रमुख
पन्ना प्रमुख फॉमूर्ला अमित शाह का दिया हुआ है। उन्होंने साल 2014 लोकसभा चुनावों के वक्त उत्तर प्रदेश का महासचिव रहते हुए यह संकल्पना इजाद की थी और प्रयोग भी किया था। लेकिन बीते यूपी विधानसभा चुनावों के बाद से इनकी प्रासंगिकता बहुत ज्यादा बढ़ गई है। बीजेपी के ये वो लोग हैं जो सीधे जनता से मुखातिब होते हैं। अन्यथा बाकी नेता आए-गए। बड़े-बड़े मचानों से भाषण। (जरूर पढ़ेंः कर्नाटक चुनावः इन 11 दिग्गज नेताओं को किसी पार्टी की नहीं, पार्टी को इनकी जरूरत)
लेकिन पन्ना प्रमुख बीजेपी की वो इकाई है, जो वोटर लिस्ट एक पन्ने पर फोकस करती है। उसमें जिन लोगों के नाम होते हैं। उनके घर ढूंढती हैं। उनका दरवाजा खटखटाती है। उनके साथ बैठती है। बातें करती है। लोगों से उनके मुद्दे, समस्याएं और अपनी पार्टी के बारे में जानकारियों का लेन-देन करती है। एक तरफ वे पार्टी के विचार को लोगों को सीधे पहुंचाकर उन्हें अपने पक्ष में वोट करने के लिए तैयार करते हैं। (इसे भी पढ़ेंः कर्नाटक में कांग्रेस के खेवनहार सिद्धारमैया, जिन्होंने तय किया चरवाहे से मुख्यमंत्री तक का सफर!)
दूसरी ओर इन्हीं से मिली जानकारियों पर पार्टी अपने घोषणा पत्र, भाषण आदि तैयार करती है। इनकी जवाबदेही बूथ प्रमुख को होती है। पहले ये आखिरी इकाई होते थे। लेकिन पहली बार अब अर्ध पन्ना प्रमुखों की संकल्पना की जानकारी सामने आ रही है। इनकी संख्या करीब 5 लाख के आस-पास बताई जा रही है।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी के अर्ध पन्ना प्रमुख
ये बीजेपी की वह इकाई है जो लोगों के घरों से उठाकर उनको पोलिंग बूथ तक लाने के लिए काम करेगी। इनका प्रमुख काम बहुत महीन स्तर पर जाकर लोगों की सहायता करना, जैसे- उनके बोझ उठवाना। ग्रामीण क्षेत्र में चुनावी मौसम में जानवरों को चारा डालने तक के काम करने में ये गुरेज नहीं करते। शहरी क्षेत्रों में यह घरेलू कामों में शामिल हो जाते हैं।
अर्ध पन्ना प्रमुख वह पद है जो कर्नाटक के वोटर लिस्ट के किसी एक पन्ने में अंकित 100 लोगों में 50 की जिम्मेदारी लिए हुए है। इसका काम रोज उठकर उन पचास लोगों से मुलाकात करनी है। उन्हें तात्कालिक मसलों की जानकारी देनी और उनकी समस्या के बारे में सुनकर उनके निदान की बात करना है। मीडिया में इनकी तैनाती की शुरुआत होने की खबरें आ रही हैं। अगर यह संकल्पना पूरी होती है तो केवल कर्नाटक में करीब 9 लाख से ज्यादा लोग इस पद होंगे। (इसे भी पढ़ेंः कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018: 5 सालों में कैसा रहा सिद्धारमैया सरकार का कार्यकाल)
कर्नाटक चुनावों के पहले अमित शाह ने न्यूज चैनल आज तक को दिए बयान में बताए थे कि उनके पास कुछ टोलियां हैं, जो चुनाव वाले राज्यों में आठ महीने पहले सक्रिय होती हैं। वे शायद इसी पूरी व्यवस्था की बात कर रहे थे। लेकिन कर्नाटक के रण में बीजेपी के तरकश का यह एक तीर था। दूसरी तीर ऐसी है।
कर्नाटक के लिए BJP का मास्टर प्लान (लेवन-2)
चुनाव प्रभारी | प्रकाश जावड़ेकर (मानव संसाधन विकास मंत्री) |
प्रचार प्रभारी | 50 से ज्यादा लोग तैनात- (दिल्ली व देशभर से आ रहे स्टार प्रचारकों की सभाएं, रोड शो कराना) |
बंगलुरु हेडक्वॉटर पर तैनाती शुरू | बंगलुरु बीजेपी मुख्यालय पर मीडिया मैनेजमेंट के लिए 50 से ज्यादा लोगों की तैनाती शुरू हो गई है। |
सोशल मीडिया में प्रचार | बीजेपी की पूरी आईटी सेल का पूरा फोकस कर्नाटक है, अमित वाजपेयी इसका उदाहरण भी पेश कर चुके हैं। |
इस विंग की जिम्मेदारी असल में दूसरे प्रदेशों से आने वाले स्टार प्रचारकों की जनसभाएं, रोड शो, बैठकों आदि को सुचारू रूप से चलाने की है। ये पहले विंग वालों को बिल्कुल भी प्रभावित किए बगैर अपने काम को अंदाज देते हैं। इनका वास्ता पहले विंग वालों से पड़ता है, लेकिन बेहद सतर्कता से ये महज अपने कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न कराने पर फोकस करते हैं।
फिर जो कुछ स्टार प्रचारकों से संबंधित मीडिया में जाना है। किस मीडिया से कितनी और कहां बात करती है। इनका पूरा ध्यान इस पर होता है। इनका जनता से सीधा नाता नहीं होता। ये बड़े प्रचारकों को पूरी तरह से समर्पित विंग है। बेहतर से बेहतर भाषण कराना और अगले दिन उसका मीडिया के माध्यम से प्रसार करना।
सोशल मीडिया प्रचार-प्रसार का जिम्मा भी इसी विंग के पास होती है। अगर पहली विंग के पास कोई ऐसी सामग्री होती है जिसे वायरल करनी है या फिर कुछ भी तो वह स्वयं उसे जारी करने के बजाए इस विंग को सौंप देते हैं।
इस प्रणाली के अतिरिक्त फायदे
इस प्रणाली में बीजेपी पर एक बड़ा अरोप लगा है कि लोगों के बीच उतर बीजेपी बोगस और डमी कैंडिडेट तलाशती है। वह ऐसे लोगों को विरोधियों के सामने खड़ा देते हैं जो बीजेपी की तरफ नहीं झुक रहे होते हैं। ऐसे में बीजेपी कम वोट फीसदी शेयर करने के बाद भी सीट जीतने में कामयाब रहती है।
दूसरी बड़ा फायदा रोजमर्रा में इतने सारे कार्यकर्ताओं की सक्रियता से सोशल मीडिया में खासकर ट्विटर पर अपने पक्ष में माहौल बनाने में काफी फायदा होता है। इस बार बीजेपी का फोकस पहली बार वोट देने के लिए वोटर लिस्ट में आए 18-19 साल के 7, 72,649 वोटरों और प्रदेश के कुल 15.42 लाख युवा वोट हैं। ये युवा स्मार्टफोन धारक हैं और तेजी से फैसले लेते हैं।