कपिल सिब्बल ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव पर साधा निशाना, बोले- उनके पास रेल के अलावा आईटी मंत्राल भी है, कैसे संभाल पाएंगे"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 4, 2023 12:50 PM2023-06-04T12:50:24+5:302023-06-04T12:55:07+5:30
राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव पर सवाल उठाते हुए उन्हें पास रेल के अतिरिक्त आईटी मंत्रालय होने को लेकर सवाल खड़ा किया है।
दिल्ली: ओडिशा ट्रेन हादसे को लेकर अब विपक्षी दल सीधे-सीधे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को घेरना शुरू कर दिया है। घटना को लेकर सरकार को घेरने की शुरूआत शनिवार शाम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने की थी। जब उन्होंने रेल मंत्री वैष्णव की मौजूदगी में आशंका व्यक्त की थी कि मरने वालों संख्या में इजाफा हो सकता है। इसी को लेकर मंत्री वैष्णव ने आपत्ति जताई और उन्हें मृतकों के आधिकारिक आंकड़ों को कोट किया।
लेकिन इस हादसे को लेकर विपक्ष लगातार सरकार और रेल मंत्रालय से जवाबदेही स्पष्ट करने की मांग कर रहा है। इसी क्रम में राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव पर सवाल उठाते हुए उन्हें पास रेल के अतिरिक्त आईटी मंत्रालय होने को लेकर सवाल खड़ा किया है और मोदी सरकार द्वारा रेल बजट खत्म किये जाने को लेकर भी तंज कसा है।
देश के वरिष्ठ वकीलों में शुमार कपिल सिब्बल ने ट्वीट करके कहा, "अश्विनी वैष्णव, आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स और रेल मंत्री भी हैं। अब कोई रेल बजट नहीं। अब कोई जवाबदेही नहीं है। एक मंत्री इतने बड़े मंत्रालयों से नहीं संभाल सकता है। बुलेट ट्रेन। वंदे भारत। असाधारण की सेवा करो, साधारण को नीचा दिखाओ! यही है आपदा का नुस्खा!"
Ashwani Vaishnav
— Kapil Sibal (@KapilSibal) June 4, 2023
Minister for IT and Electronics
Minister for Railways
No Railway Budget
No Accountability
One minister cannot deal with such large ministries
Bullet Trains
Vande Bharat
Serve the extraordinary
Let down the ordinary!
Recipe for disaster !
उन्होंने साल 2017 से 2020 के बीच में हुए रेल दुर्घटना का आंकड़ा पेश करते हुए कहा, "साल 2017-2018 में पटरी से उतरी कुल 257 ट्रेनें, साल 2018-219 में कुल ट्रेन पटरी से उतरी 526 और साल 2019-2020 में कुल 399 ट्रेनों ने पटरी का साथ छोड़ा था। इसका सीधा कारण है कि 167 मामलो में ट्रैक का रखरखाव ठीक नहीं था। 149 में ट्रैक मापदंडों का गिरना, करीब 144 हादसे खराब ड्राइविंग के कारण हुए। रेल सुरक्षा के लिए करीब 1 लाख करोड़ रुपये आवंटित हुए लेकिन रेलवे हर साल केवल 5000 करोड़ रुपये ही आपदा के मद में दे पाता है।
वहीं अगर हम कोरोमंडल एक्सप्रेस दुर्घटना के मौजूदा हालात की बात करें तो बालासोर में शुक्रवार की रेल दुर्घटना में मरने वालों की संख्या बढ़कर 288 हो गईं, जबकि 1,000 से अधिक लोग घायल हो गए। हादसे के बाद यह एनडीआरएफ और एसडीआरएफ द्वारा हाल के वर्षों में सबसे बड़े खोज और बचाव अभियानों में से एक माना जा रहा है। लगभग 2000 बचावकर्मी अब भी दो ट्रेनों के मलबे में फंसे सैकड़ों लोगों को खोजने और उन्हें बाहर निकालने के काम में लगे हुए हैं।