कन्यादान एक पुराना अनुष्ठान या महत्वपूर्ण परंपरा? आलिया भट्ट के विज्ञापन को लेकर छिड़ी बहस

By भाषा | Updated: September 25, 2021 22:49 IST2021-09-25T22:49:40+5:302021-09-25T22:49:40+5:30

Kanyadaan an old ritual or important tradition? Debate erupts over Alia Bhatt's ad | कन्यादान एक पुराना अनुष्ठान या महत्वपूर्ण परंपरा? आलिया भट्ट के विज्ञापन को लेकर छिड़ी बहस

कन्यादान एक पुराना अनुष्ठान या महत्वपूर्ण परंपरा? आलिया भट्ट के विज्ञापन को लेकर छिड़ी बहस

नई दिल्ली, 25 सितंबर लहंगे के एक विज्ञापन में नजर आईं बॉलीवुड अभिनेत्री आलिया भट्ट ने कन्यादान की परंपरा को लेकर बहस तेज कर दी है। इस विज्ञापन में सजे हुए मंडप के पास दुल्हन पवित्र अग्नि के सामने बैठी है, उसका परिवार, दूल्हा और उसके माता-पिता भी चारो ओर दिख रहे हैं। इस यादगार पल में, दुल्हन कैमरे की तरफ देखती है और पूछती है - 'कन्यादान' के रिवाज के माध्यम से एक महिला को वस्तु की तरह क्यों पेश किया जाना चाहिए, जिसका शाब्दिक अर्थ 'बेटी दान करना' है।

बॉलीवुड स्टार आलिया भट्ट के इस विज्ञापन से सोशल मीडिया मंचों और अन्य जगहों पर 'कन्यादान' की सदियों पुरानी परंपरा पर बहस छिड़ गई है।

कई लोग इस अनुष्ठान की सराहना करते हैं जबकि कुछ ऐसे भी हैं जो महसूस करते हैं कि इसे अस्वीकार कर आगे बढ़ा जाना चाहिए।

समाजशास्त्री संजय श्रीवास्तव ने पीटीआई-भाषा से कहा, '' ऐसी युवतियों की संख्या बढ़ रही है जो इस मुद्दे के बारे में सोचना शुरू कर रही हैं। युवतियां उन विचारों (सोशल मीडिया आदि के माध्यम से) तक पहुंच रही हैं जोकि 'महिलाओं को संपत्ति' की अवधारणा के रूप में दशार्ती हैं। यह विज्ञापन भी यही दर्शाता है।''

एक मिनट 41 सेकेंड के इस विज्ञापन में दुल्हन बनी आलिया भट्ट अंत में कहती हैं कि इसे ''कन्यादान'' नहीं ''कन्यामान'' कहा जाना चाहिए।

उद्योगपति वैभव रेखी से शादी करने के दौरान ''विदाई'' और ''कन्यादान'' जैसे रिवाजों को दरकिनार करने वाली अभिनेत्री दीया मिर्जा ने कहा कि वे चाहते थे कि उनकी शादी मूल्यों को प्रतिबिंबित करे ना कि पुराने विचारों को।

मिर्जा ने पीटीआई-भाषा से कहा, '' हम में से कोई भी यह नहीं मानता कि महिलाएं दी जाने वाली या 'दान' करने वाली वस्तु हैं। महिलाओं में स्वाभिमान होता है और वह अपने जीवन के बारे में खुद निर्णय ले सकती हैं इसलिए कन्यादान जैसे अनुष्ठान को मेरी शादी में शामिल नहीं करना, यही दर्शाता है।''

पिछले साल फरवरी में विवाह करने वाली मुंबई की आईटी पेशेवर मेघना त्रिवेदी ने कहा कि आज के समय में कन्यादान जैसे रिवाज का कोई मतलब नहीं है लेकिन फिर भी यह एक परंपरा है जिसे निभाया जाता है।

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Web Title: Kanyadaan an old ritual or important tradition? Debate erupts over Alia Bhatt's ad

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