MP: सिंधिया ने कहा- आदिवासियों और वनवासियों के घर उजड़ने से बचाने के लिए दायर करना चाहिए पुनर्विचार याचिका
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 24, 2019 07:36 PM2019-02-24T19:36:59+5:302019-02-24T19:36:59+5:30
सिंधिया ने कमलनाथ को लिखे पत्र में कहा कि 20 फरवरी को प्रकशित हुए उच्च न्यायालय के निर्णय से देशभर के 10 लाख से ज्यादा अनुसूचित जनजाति और वन निवासी परिवारों के लिए चिंताजनक स्थिति उत्पन्न हो गई है.
मध्यप्रदेश से गुना के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हाल ही में आए उच्च न्यायालय के फैसले पर चिंंता जताते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर मांग की है कि मध्यप्रदेश सरकार को आदिवासियों, वनवासियों के घर उजड़ने से बचाने के लिए पुनर्विचार याचिका दायर करनी चाहिए.
सिंधिया ने कमलनाथ को लिखे पत्र में कहा कि 20 फरवरी को प्रकशित हुए उच्च न्यायालय के निर्णय से देशभर के 10 लाख से ज्यादा अनुसूचित जनजाति और वन निवासी परिवारों के लिए चिंताजनक स्थिति उत्पन्न हो गई है. इनमें से 3.5 लाख परिवार तो मध्यप्रदेश से ही हैं, जिसका सबसे बड़ा कारण यह है कि भाजपा प्रशासन में आदिवासियों और वन वासियों द्वारा जमा किए गए दावों को किसी न किसी कारण मान्यता नहीं दी जाती थी. उन्होंने पत्र में कहा कि उच्च न्यायालय में ही पेश किए गए दस्तावेजों के मुताबिक मध्यप्रदेश में 2 लाख 4 हजार 123 अनुसूचित जनजातियों और 1 लाख 50 हजार 664 वन निवासियों के दावों को ठुकराया गया है, जो बाकी राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा है.
सिंधिया ने पत्र में उल्लेख किया है कि केन्द्र सरकार ने वन अधिकार कानून के पक्ष में मजबूत दलीलें पेश नहीं की, यहां तक की सरकारी वकील तो कई पेशियों में उपस्थित ही नहीं रहते थे, लेकिन केन्द्र सरकार की इन लापरवाहियों का नुकसान आदिवासी और वन निवासियों को नहीं भुगतना चाहिए.
उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ से आग्रह किया है कि प्रदेश में बड़ी मात्रा में आदिवासियों और वन निवासियों को उनकी जमीन और घर से उजड़ने से बचाने के लिए और उनके अधिकारियों के हनन को रोकने के लिए हमें हर संभव कोशिश करनी चाहिए. सिंधिया ने पत्र में लिखा कि मध्यप्रदेश सरकार पुनर्विचार याचिका भी दाखित कर सकती है. मुझे यह आशा है कि प्रदेश के आदिवासियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रदेश की सरकार यह कदम जरुर उठाएगी.