मध्यप्रदेश की तस्वीर अब साफ है। कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस आगे बढ़ेगी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दोस्त ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए कोई भूमिका या पद सोचा है या नहीं, इसका खुलासा अभी नहीं हो पाया है। लेकिन इस तरह के सवालों का जवाब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक साक्षात्कार में दे दिया है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिल खोलकर बात की है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सीएम बनने या ना बनने को लेकर जब उनसे सवाल पूछा गया तो उन्होंने अपने पिता का उल्लेख करना शुरू कर दिया।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एमपी का सीएम ना बन पाने पर कहा है, 'ना मेरे पिता को किसी पद या कुर्सी की लालसा रही कभी, ना ही मुझे ऐसी कोई भूख है।"
उल्लेखनीय है कि जनवरी 1989 में चुरहट लॉटरी कांड के चलते अर्जुन सिंह को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। तब माधवराव सिंधिया सीएम बन सकते थे। बल्कि राजीव गांधी ने खुद तब माधवराव सिंधिया को सीएम बनाने के पक्ष में थे। लेकिन अर्जुन सिंह का तत्कालीन कांग्रेस आलाकमान पर दबाव था। कहा जाता है इसी के चलते माधवराव सिंधिया तब मुख्यमंत्री नहीं बन सके थे।
अब जब 29 साल बाद फिर से ऐसी स्थिति बनी तो बरबस ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने पिता की याद आ गई। उन्होंने कहा, ना तो पिता को कोई तरह की कोई लालसा थी, ना अब उन्हें है।
लेकिन सिंधिया इतने पर नहीं रुके। उन्होंने एनडीटीवी को दिए गए अपने इंटरव्यू में अपनी आगे की भूमिका पर कहा, "मेरी भूमिका पार्टी में एक सचेत नेता की है। आलाकमान जिस भी भुमिका में मुझे रखेगा उसको सही ढंग से निभा पा रहा हूं या नहीं यह मायने रखता है। एमपी में मुझे चुनाव प्रचार की भूमिका दी गई थी, उसे मैंने भलीभांति निभाया।"
जब सिंधिया से उनके राजनैतिक भविष्य को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, "देखिए, मैं संसद में महती भूमिका में हूं। अब व्यक्तिगत तौर पर व्यक्तिगत तौर पर आप सिर्फ आस्तीन ऊपर चढ़ा सकते हैं और गर्मी कम होने का अहसास कर के खुश हो सकते हैं।"
उन्होंने इशारों में अपनी बात कही। हालांकि इससे उनका आशय साफ नहीं हुआ। पर वे कई बार इस बात को दोहराते दिखे कि पार्टी हाई कमान उनके लिए जो फैसले करेगा, वे उस भूमिका को स्वीकार करेंगे। उल्लेखनीय है कि इस वक्त एमपी के नवनियुक्त सीएम कमलनाथ के मंत्रिमंडल में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया को जगह मिलती नहीं दिखाई दे रही है।